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पेट्रोल, डीजल के दाम बढ़े, कच्चा तेल नरम




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पेट्रोल के दाम में दो दिन के विराम के बाद मंगलवार को फिर वृद्धि दर्ज की गई जबकि डीजल के दाम में लगातार दूसरे दिन वृद्धि का सिलसिला जारी रहा। तेल विपणन कंपनियों ने पेट्रोल के दाम में पांच पैसे और डीजल के दाम में पांच से छह पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में फिर नरमी देखी जा रही है।

इंडियन ऑयल की वेबसाइट के अनुसार, पेट्रोल के दाम पांच पैसे प्रति लीटर की वृद्धि के साथ इसकी कीमत दिल्ली में 73.13 रुपये, कोलकाता में 75.15 रुपये, मुंबई में 78.70 रुपये और चेन्नई में 75.90 रुपये प्रति लीटर हो गए हैं। चारों महानगरों में डीजल के दाम भी बढ़कर क्रमश: 66.71 रुपये, 68.45 रुपये, 69.83 रुपये और 70.44 रुपये प्रति लीटर हो गए हैं।

डीजल दिल्ली, कोलकाता और चेन्नई में पांच पैसे प्रति लीटर और मुंबई में छह पैसे प्रति लीटर मंहगा हो गया है। वहीं, चारों महानगरों में पेट्रोल के दाम में पांच पैसे प्रति लीटर की वृद्धि हुई है।

पेट्रोल और डीजल के भाव बढ़ने से आने वाले दिनों में महंगाई बढ़ सकती है, क्योंकि तेल के दाम में वृद्धि का सीधा असर वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य पर पड़ता है।

अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार आईसीई पर ब्रेंट क्रूड मंगलवार को पिछले सत्र के मुकाबले 0.21 फीसदी की नरमी के साथ 71.33 डॉलर प्रति बैरल पर बना हुआ था।

कमोडिटी बाजार के जानकारों के अनुसार, कच्चे तेल के उत्पादन में वृद्धि होने की उम्मीदों से कीमतों में नरमी है। जानकार बताते हैं कि दरअसल, आगामी महीनों में अमेरिका में कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ने की उम्मीद की जा रही है। इसके बाद अमेरिका ने तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक को भी तेल का उत्पादन बढ़ाने को कहा है, ताकि ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध के कारण कच्चे तेल की आपूर्ति में होने वाली कमी की पूर्ति हो सके।

हालांकि कुछ विश्लेषकों को इस बात में संदेह है कि जून में ओपेक की बैठक के पहले तेल उत्पादक देशों का समूह कोई बड़ा फैसला ले सकता है। बहरहाल, ओपेक के फैसले का इंतजार है, इसलिए आने वाले दिनों तेल की आपूर्ति को लेकर पैदा होने वाले संकट को लेकर बाजार में एक तरह से उहापोह की स्थिति बनी हुई। दरअसल, अमेरिका ने ईरान से तेल के निर्यात पर पूर्ण पाबंदी लगाते हुए भारत समेत वहां से तेल खरीदने वाले देशों को नवंबर में दी गई छूट की समय सीमा दो मई से आगे नहीं बढ़ाने का फैसला लिया है।

उनके अनुसार, चीन में फैक्ट्री उत्पाद की रफ्तार इस महीने सुस्त रहने के कारण भी कच्चे तेल के दाम में नरमी आई है क्योंकि चीन कच्चे तेल का बहुत बड़ा आयातक देश है।