राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग नई दिल्ली द्वारा बच्चों के अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित शिकायतों की जांच करने दुर्ग संभाग के पांचों जिलों को एक एस्प्रिरेशनल डिस्ट्रिक्ट में शामिल किया गया है। आगामी 12 जुलाई को जिला मजिस्ट्रेट के कोर्ट में राजनांदगांव जिले में बच्चों (बालक-बालिकाओं) की विभिन्न समस्याओं पर राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग द्वारा गठित समाधान बेंच चर्चा कर सुनवाई करेगी। इन समस्याओं का समाधान संबंधित विभागों द्वारा किया जाएगा।
कलेक्टर श्री जयप्रकाश मौर्य ने इस संबंध में राजनांदगांव जिले के विभिन्न विभागों के जिला कार्यालय प्रमुखों को पत्र लिखकर स्कूल छात्रावासों, स्कूलों, ग्राम पंचायतों तथा स्वास्थ्य केन्द्रों के जरिए अधिक से अधिक लोगों को इस सुनवाई के संबंध में जानकारी देने के निर्देश दिए हैं। पत्र में यह भी कहा गया है कि गांवों और नगरीय निकायों के वार्डों में मुनादी कराकर इसका प्रचार-प्रसार किया जाए। शासकीय कार्यालयों में सूचना पटल में भी उससे संबंधित सूचना चस्पा की जाए। कलेक्टर ने इस संबंध में सचिव विधिक सेवा प्राधिकरण, अध्यक्ष एवं सर्व सदस्य बालक कल्याण समिति, पुलिस अधीक्षक, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत, सभी अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, श्रम पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास, उप संचालक समाज कल्याण, जिला शिक्षा अधिकारी, प्रतिनिधि जिला शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थान, कार्यपालन अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, जिला परिवहन अधिकारी, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास, जिला खाद्य अधिकारी, उप संचालक पंचायत, कार्यपालन अभियंता लोक निर्माण, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत (समस्त) तथा समन्वयक चाईल्ड लाईन को पत्र भेजा है।
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग केन्द्र सरकार की वैधानिक निकाय है। आयोग का गठन बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम 2005 के अंतर्गत मार्च 2017 में किया गया है। आयोग का मुख्य उद्देश्य सभी बच्चों को बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम 2005 एवं संविधान में निहित तथा अन्य अधिनियमों के तहत बच्चों को दिए गए अधिकारों को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना है।
बाल अधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ कोई शिकायत हो तो आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्य के सामने 12 जुलाई को कोई भी व्यक्ति (जैसे बच्चे, माता-पिता, अभिभावक, कार्यवाहक) या कोई अन्य व्यक्ति शिकायत दर्ज करा सकते हैं। 12 जुलाई को कलेक्ट्रेट में सुबह 9 बजे से पंजीयन किया जाएगा। 10 बजे से बैठक शुरू होगी।
बाल श्रमिक के रूप में खतरनाक स्थानों पर बच्चों के उपयोग, किसी प्रकार के परिश्रम या क्षतिपूर्ति की राशि प्राप्त न होना, बच्चों द्वारा सड़क पर सामान बेचना, एसिड अटैक संबंधी मामले, माता-पिता, अभिभावक या अन्य किसी व्यक्ति द्वारा बच्चों का भिक्षावृŸिा के लिए उपयोग करना, बच्चों को भिक्षावृŸिा करने मजबूर करना, शारीरिक शोषण, लैंगिक हमला, परित्यक्त, उपेक्षित, घरेलू हिंसा से पीड़ित, एचआईवी से ग्रसित बच्चों के साथ भेद-भाव, पुलिस द्वारा शोषित-प्रताड़ित, बाल देख-रेख संस्थाओं में प्रताड़ित शोषित बच्चे, अवैध रूप से गोद लिए बच्चे, बाल देख-रेख संस्थाओं में रहने वाले बच्चों की मानव तस्करी, बच्चों के खिलाफ हिंसा, बच्चों की मानव तस्करी, किसी व्यक्ति अथवा संस्था की लापरवाही के कारण हुई बच्चों की मौत, बच्चों का अपहरण, इलेक्ट्रानिक, सामाजिक और प्रिंट मीडिया में बाल अधिकारों के उल्लंघन, स्कूलों या पड़ोसियों द्वारा बच्चों के शोषण एवं स्कूलों में बुनियादी ढांचों में कमी, बच्चों की प्रतियोगिता परीक्षा शुल्क संबंधी, स्कूलों में बच्चों के साथ शारीरिक शोषण अथवा प्रताड़ना, स्कूलों में प्रवेश नहीं देना, विकलांगता संबंधी शिकायत, भेदभाव पूर्ण व्यवहार, यौन शोषण से पीड़ित बच्चों को मुआवजा, चिकिल्सा लापरवाही, बालकों से विश्वासघात, बालकों के मामलों में निष्क्रियता, बच्चों के रोग संबंधी, कुपोषण, मध्यान्ह भोजन, मादक द्रव्यों के सेवन एवं नशा तथा पुर्नवास संबंधी मामलों की शिकायतें आयोग के समक्ष दर्ज कराई जा सकती है।