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तो 2023 में दुनिया का 5वां सबसे बड़ा एयरपोर्ट बन जाएगा जेवर हवाई अड्डा




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अगर सब कुछ योजना के मुताबिक रहा तो करीब 4 साल बाद उत्तर प्रदेश में दुनिया का 5वां सबसे बड़ा एयरपोर्ट अपनी शक्ल ले लेगा. ग्रेटर नोएडा के प्रस्तावित जेवर एयरपोर्ट के लिए जो प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है उसके पास होने पर यह क्षेत्र के लिहाज से दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से दोगुना हो जाएगा और प्रस्ताव के अनुसार 2022-23 में तैयार होने के बाद यह दुनिया का 5वां सबसे बड़ा हवाई अड्डा बन जाएगा.

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लोड कम करने और स्थानीय लोगों की ओर से आर्थिक विकास, पर्यटन, रोजगार और व्यवसाय बढ़ाने की मांग को लेकर जेवर एयरपोर्ट बनाने की मांग लंबे समय से की जा रही थी. अब राज्य सरकार की ओर से पैसे आवंटित किए जाने के बाद इस संबंध में काम शुरू हो गया है. राज्य सरकार की ओर से फंड पास कर दिया गया है. स्थानीय प्रशासन ने जमीन अधिग्रहण को लेकर अपनी प्रक्रिया शुरू कर दी है.

6 से 8 रनवे करने का प्रस्ताव

द नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (एनआईएएल) एक प्रस्ताव तैयार कर रही है जिसके तहत जेवर एयरपोर्ट को 6 रनवे से बढ़ाकर 8 रनवे तक करने का सुझाव दिया जाएगा. प्रस्ताव तैयार करने के बाद प्रोजेक्ट को लेकर जमीन अधिग्रहण की तैयारी होने पर ही इसे मंजूरी के लिए राज्य सरकार को भेजा जाएगा. एक बार प्रोजेक्ट के पहले चरण के लिए जमीन का अधिग्रहण (1,239 हेक्टेयर भूमि) कर लिया जाता है तो द नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (एनआईएएल) जेवर एयरपोर्ट को 6 से बढ़ाकर 8 रनवे करने की मंजूरी के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजेगी.

राज्य सरकार अगर जेवर एयरपोर्ट को 8 रनवे करने की मंजूरी दे देता है तो इसे करीब 5 हजार हेक्टेयर जमीन पर तैयार किया जाएगा और फिर क्षेत्र के लिहाज से यह दुनिया का 5वां सबसे बड़ा एयरपोर्ट बन जाएगा. दुनिया के 5 सबसे बड़े इंटरनेशनल एयरपोर्ट में 4 अमेरिका में हैं जबकि एक एशिया से है. जबकि भारत का सबसे बड़ा एयरपोर्ट हैदराबाद एयरपोर्ट है जो करीब 2,224 हेक्टेयर क्षेत्र (5,496 एकड़) में फैला है.

दुनिया में 5 और एशिया में नंबर 2

दुनिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट सऊदी अरब में है. दामम के किंग फहद इंटरनेशनल एयरपोर्ट 77,600 हेक्टेयर जमीन पर बना है. इसके बाद अमेरिका के डेंवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट का नंबर आता है जो 13,571 हेक्टेयर जमीन पर बना है. तीसरे नंबर पर अमेरिका का ही डलास इंटरनेशनल एयरपोर्ट है जो 6,963 हेक्टेयर जमीन पर फैला हुआ है. चौथे और पांचवें नंबर पर अमेरिका के ही ओरलैंडो इंटरनेशनल एयरपोर्ट और वाशिंगटन ड्यूलेस इंटरनेशनल एयरपोर्ट हैं जो क्रमशः 5,383 और 4,856 हेक्टेयर जमीन पर बने हुए हैं.

करीब 5 हजार हेक्टेयर में तैयार होने जा रहे जेवर एयरपोर्ट दुनिया का पांचवां और एशिया का दूसरा सबसे बड़ा एयरपोर्ट बन जाएगा. किंग फहद इंटरनेशनल एयरपोर्ट के बाद एशिया का दूसरा सबसे बड़ा एयरपोर्ट चीन के शंघाई है. शंघाई इंटरनेशनल एयरपोर्ट 3,988 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है, इस लिहाज से जेवर एशिया का दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट बन जाएगा.

जेवर में 5 हजार हेक्टेयर में एयरपोर्ट बनाने की तैयारी चल रही, राजनाथ सिंह की योजना

इस महत्वाकांक्षी परियोजना को 2001 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने पास किया था. अब इस काम को आगे बढ़ाने का सिलसिला जोर पकड़ता दिख रहा है. योगी आदित्यनाथ सरकार ने पिछले साल अगस्त में जमीन अधिग्रहण के लिए 800 करोड़ रुपए आवंटित कर दिया था.

इसके बाद यूपी सरकार ने नवंबर 2018 में जमीन अधिग्रहण के लिए 1,260 रुपए का फंड पास कर दिया था. अब पिछले महीने के अंत में राज्य सरकार ने विस्थापित परिवारों के लिए पुर्नवास का खातिर 894 करोड़ रुपए जारी कर दिए हैं.

मुख्यमंत्री योगी ने दिया निर्देश

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले हफ्ते अपने नोएडा दौरे के दौरान अधिकारियों से जेवर एयरपोर्ट के रनवे को 8 रनवे तक करने का प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया था. शुरुआती दौर में जेवर एयरपोर्ट के लिए 4 रनवे तैयार करने की योजना थी, लेकिन प्राइसवाटर हाउस कूपर्स (पीडब्ल्यूसी) की ओर से कराए गए एक सर्वे में इस एयरपोर्ट पर रनवे की संख्या बढ़ाकर 6 करने की बात कही गई थी. वर्तमान में दिल्ली एयरपोर्ट पर 3 रनवे है.

3,600 परिवार होंगे विस्थापित

दिल्ली एयरपोर्ट से 88 किलोमीटर दूर जेवर एयरपोर्ट के विकास के लिए लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 1239 हेक्टेयर भूमि पर जेवर के 6 गांवों में भूमि अधिग्रहण को लेकर 30 अक्टूबर 2018 को नोटिफिकेशन जारी किया. इससे पहले 17 अक्टूबर को जिला प्रशासन ने राज्य सरकार को इस संबंध में रिपोर्ट भेजा था. स्थानीय प्रशासन को योजना के पहले चरण के तहत 1239 हेक्टेयर भूमि हासिल करने के लिए जेवर में 6 गांवों से करीब 3 हजार किसानों से जमीन अधिग्रहित करनी होगी और इसमें 3,600 परिवार प्रभावित होंगे.

स्थानीय प्रशासन ने अधिग्रहण का काम शुरू भी कर दिया है. हालांकि जेवर एयरपोर्ट को पूर्ण रूप से तैयार करने के लिए सरकार को कम से कम 5 हजार हेक्टेयर जमीन की दरकार होगी.

जेवर में एयरपोर्ट बनने से 3,600 परिवार प्रभावित होंगे

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ेगा एयर ट्रैफिक

दिल्ली हवाई अड्डे पर हर साल छह करोड़ से ज्यादा यात्री आते-जाते हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है. नागरिक विमानन मंत्रालय खुद कह चुका है कि बढ़ती भीड़ को देखते हुए दिल्ली के एयर ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए 2040 तक यहां पर 3 एयरपोर्ट चाहिए होगा. अगले कुछ सालों में यात्रियों की संख्या लगभग दोगुनी हो जाएगी और यह 11 करोड़ तक पहुंच जाएगी.

दिल्ली-एनसीआर के इस दूसरे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को तैयार करने में लगभग 15 हजार से 20 हजार करोड़ की लागत आ सकती है और इसके 2022-23 में बनकर तैयार होने की संभावना है.

जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा अभी अपने शुरुआती रूप में है, लेकिन अगले 3-4 सालों में जब यह बनकर तैयार हो जाएगा तो न सिर्फ दुनिया का विशालकाय एयरपोर्ट होगा बल्कि हजारों लोगों के रोजगार का साधन बनेगा. हालांकि एक बात यह भी है कि इसके लिए करीब पौने 4 हजार परिवारों को अपने जड़ से अलग होना पड़ेगा. सरकार और प्रशासन इनके पुर्नवास की बात तो कर रही है, लेकिन चंद मुआवजों के अलावा उनके लिए ऐसी व्यवस्था भी होनी चाहिए कि उन्हें अपनी जमीन छोड़ने का कभी अफसोस न हो और सरकार जमीन अधिग्रहण को लेकर ऐसी नजीर भी पेश करे कि हर जगह इस फॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाए.