Home जानिए भविष्य में ऐसे होगा लेन-देन ढूंढ़े नहीं मिलेंगे एटीएम, पढ़े पूरी ख़बर

भविष्य में ऐसे होगा लेन-देन ढूंढ़े नहीं मिलेंगे एटीएम, पढ़े पूरी ख़बर




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क्या आपको याद है कि पैसे निकालने के लिए पिछली बार आप कब बैंक गए थे. शायद लंबा अरसा बीत गया होगा. एटीएम ने हमारी जिंदगी कितनी आसान कर दी है. अब पैसे निकालने के लिए बैंकों की लंबी-लंबी कतार में नहीं लगना पड़ता. ये सब गुजरे जमाने की बात हो गई है. छोटे-छोटे शहर-कस्बों तक में एटीएम की सुविधा मिलने लगी है. लेकिन जितनी तेजी से एटीएम की संख्या बढ़ी है, अब वो उतनी ही तेजी से घटने वाली है. जी हां आने वाले दिनों में हो सकता है आपको एटीएम ढूंढ़ने के लिए काफी चक्कर लगाने पड़ें.

आने वाले वक्त में एटीएम ढूंढ़ना मुश्किल हो सकता है. बैंकों के लिए एटीम के रखरखाव और उसकी महंगी मशीनों का खर्च उठाना मुश्किल पड़ रहा है. सख्त रेग्युलेशन की वजह से बैंक एटीएम की संख्या कम करते जा रहे हैं. रिजर्व बैंक के एक आंकड़े से तो यही पता चलता है. एटीएम से ट्रांजेक्शन की संख्या बढ़ी है लेकिन पिछले 2 साल में एटीएम की संख्या में कमी आई है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के आंकड़े के मुताबिक प्रति एक लाख लोगों पर भारत में एटीएम की संख्या ब्रिक्स देशों की तुलना में पहले से ही काफी कम है.

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया समय-समय पर एटीएम को लेकर बैंकों को गाइडलाइंस जारी करता रहा है. पिछले साल भी सुरक्षा के लिहाज से सेंट्रल बैंक ने गाइडलाइंस जारी किए थे. इन सबकी वजह से बैंकों को बार-बार एटीएम के सॉफ्टवेयर और बाकी पार्ट्स अपडेट करने पड़ रहे हैं. इससे एटीएम के रखरखाव का खर्च बढ़ा है. इसलिए कई बैंकों ने अपने एटीएम की संख्या कम कर दी है.

why indian banks shutting down their ATMs RBI reports on atm use
एटीएम का रखरखाव काफी खर्चीला हो चुका है

क्यों कम होती जा रही है एटीएम की संख्या?
विशेषज्ञ मानते हैं कि विदेश की तुलना मे हमारे यहां पहले से ही एटीएम की संख्या काफी कम है. इसमें और कमी आना चिंताजनक है. एटीएम ऑपरेटर्स को एटीएम चलाने के लिए जो फीस दी जा रही है वो कम है और बिना अप्रूवल के वो इसमें बढ़ोतरी भी नहीं कर सकते. एटीएम ऑपरेटर्स, जिसमें बैंक के साथ थर्ड पार्टी भी शामिल है, वो एटीएम से किसी डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड के जरिये कैश निकालने पर 15 रुपये का इंटरचेंज फीस वसूल करती है.

इंटरचेंज फीस बड़ा फैक्टर है. अब हालत ये है कि बैंक अपने एटीएम लगाने की बजाय इंटरचेंज फीस देकर किसी दूसरे बैंक का एटीएम इस्तेमाल करना ज्यादा आसान मानती है. इसके जरिये बैंक एटीएम के रखरखाव में होने वाले खर्च को बचा रहा हैं. इंटरचेंज फीस बढ़ाना भी कोई उपाय नहीं है. क्योंकि इसका बोझ उपभोक्ताओं पर पड़ सकता है.

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विदेशकी तुलना में हमारे यहां पहले से ही कम है एटीएम की संख्या

बैंकिंग सेक्टर में सुधार के बाद बढ़ा एटीएम पर भार
2014 के बाद स्थितियां ज्यादा विकट हुई हैं. जब मोदी सरकार करीब 35.5 करोड़ लोगों को बैंकिंग सिस्टम में लेकर आई. सरकार के बैंकिंग सेक्टर में सुधार की वजह से भी एटीएम पर भार बढ़ा है. सरकार की डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम की वजह से भी एटीएम का इस्तेमाल बढ़ा है.

पब्लिक सेक्टर के बैंकों ने अपने एटीएम की संख्या कम की है. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने 5 एसोसिएट बैंक को अपने साथ मिला लिया. 2018 की पहली छमाही में एसबीआई ने करीब 1 लाख आउटलेट बंद कर दिए. डिजिटाइजेशन के बाद बैंक अपने और ब्रांच बंद करने वाला है.

मोबाइल बैंकिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसकी वजह से भी एटीएम की संख्या कम होगी. पिछले 5 साल में मोबाइल बैंकिंग पांच गुना रफ्तार से बढ़ी है. विशेषज्ञ बताते हैं कि एटीएम खत्म हो जाएंगे ऐसा कहना अभी जल्दबाजी होगी लेकिन ये हकीकत है कि एटीएम घाटे का सौदा हो चुका है. और घाटे के सौदे में कोई निवेश नहीं करता.