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ऐसी कटती है इनकी लाइफ, IAS बेटों और परिवार छोड़ आवारा कुत्तों के साथ रहते हैं रिटायर्ड जज




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पशु प्रेम को किस्से तो आपने बहुत सुने और पढ़े होंगे लेकिन हम आज आपको बता रहे हैं पशु प्रेम का एक ऐसा किस्सा जिसके कारण एक जज ने न केवल सुख सुविधा बल्कि अपने घर परिवार को भी छोड़ दिया. बिहार के लखीसराय में पशु प्रेम की ऐसी ही कहानी लिख रह हैं सेवानिवृत जज शशिकांत सिंह.

शशिकांत सिंह के साथ उनके परिवार के लोगों की बजाय आपको आवारा कुत्ते दिखेंगे जिनका घर के हर कोने पर कब्ज होता है. सुख-सुविधा और घर परिवार को छोड़कर तंग कमरे मे पशुओं को अपना परिवार मानकर सेवानिवृत्त जिला जज शशिकांत सिंह पिछले कई दिनों से जीवन यापन कर रह रहे हैं. लखीसराय कोर्ट परिसर स्थित उपभोक्ता फोरम के एक कमरे में वो फिलहाल एक-दो नहीं बल्कि तीस कुत्तों के साथ रह रहे हैं.

सुबह मे कुत्तों को नहलाना, उनको दूध-बिस्किट का नाश्ता देने के बाद मीट-चावल भोजन कराना शशि की दिनचर्या में शामिल है. शशि बताते हैं कि वो प्रतिदिन दो हजार कुत्तों के खाना पर खर्च करते हैं यानि महीने के 60 हजार रुपए. शशिकांत को खुद सोने के लिए भले ही चौकी भी ना हो लेकिन उन्होंने सभी कुत्तों के लिए चौकी की व्यवस्था कर रखी है, यही नहीं बीमार पड़ने पर वो सभी का इलाज भी करवाते हैं.

रिटायर्ड जज शशिकांत सिंह बताते हैं कि बचपन से हीं उन्हे कुत्तों के प्रति प्रेम रहा है. बचपन से ही वो मां से छिपाकर और किचेन से रोटी चुराकर कुत्तों को खिलाते थे. हाईकोर्ट मे वकालत के दौरान ही उनकी न्यायिक सेवा मे नौकरी लग गई. लखीसराय में वो 2005 में एडीजे रहे इसके बाद उपभोक्ता फोरम में जज के रूप में उनकी प्रतिनियुक्ति हुई. इस दौरान भी शशि का कुत्तों के प्रति प्रेम बना रहा. वो जहां रहते हैं कुत्तों का झुंड हमेशा उनके साथ में रहता है.

पुत्र आईएएस तो अधिकारी हैं घरवाले

यूपी के जौनपुर के शशिकांत सिंह के दो पुत्र आईएएस हैं. उनको परिवार के लोग लखीसराय से लेने आए लेकिन पशु-प्रेम में शशि ने सबको वापस भेज दिया. शशिकांत के दो बेटे जहां आईएएस हैं वहीं परिवार के अन्य सदस्य भी बड़े अधिकारी हैं. उनके इस पशु प्रेम की चर्चा चहुंओर होती है.