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अमेरिका ने 638 बार रची थी साजिश फिदेल कास्त्रो को मारने की




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क्यूबा (Cuba) के पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो (Fidel Castro) को मारने की 638 बार साजिश रची गई. लेकिन उन्होंने हर बार मौत को चकमा दे दिया. वो पूरी जिंदगी अमेरिका को ललकारते रहे…

क्यूबा (Cuba) के पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो (Fidel Castro) ने एक बार कहा था कि अगर किसी शख्स की हत्या की कोशिश करने का कोई ओलंपिक मुकाबला होता तो वो इसमें गोल्ड मेडल जीतते. फिदेल कास्त्रो को मारने के लिए 638 साजिशें रची गईं. लेकिन हर बार फिदेल कास्त्रो खुद को बचाने में सफल रहे. फिदेल कास्त्रों की हत्या की 638 साजिशों का आंकड़ा भी आधिकारिक है, कोशिशें शायद इससे भी ज्यादा हुई हों. उन्हें मारने के लिए, जहरीले सिगार, जहरीले पेन और विस्फोटक वाली सिगरेट तक के तरीके आजमाए गए. इनमें से ज़्यादातर साजिशें अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA ने रची थीं. इन साजिशों में क्यूबा से भागकर अमेरिका में बसे फिदेल कास्त्रो के विरोधी भी शामिल थे. अपनी 80वीं सालगिरह पर फिदेल कास्त्रो ने कहा था कि अस्सी की उम्र में बहुत खुश हूं. मैंने कभी ये नहीं सोचा था. दुनिया के सबसे ताकतवर देश के बगल में हूं. जो मुझे हर रोज मारने के नए प्लान बनाते हैं.

गर्लफ्रेंड ने भी रची थी मारने की साजिश

फिदेल कास्त्रो को मारने की साजिश में उनकी एक गर्लफ्रेंड भी शामिल रहीं. कास्त्रो को मारने के लिए जहरीले कोल्ड क्रीम का जार उनतक पहुंचाना था. कास्त्रो की पूर्व गर्लफ्रेंड मारिटा लॉरेंज इस साजिश के लिए राजी हो गई थी. लेकिन कहते हैं कि इसकी भनक फिदेल कास्त्रो को लग गई. उन्होंने अपनी पूर्व प्रेमिका मारिटा को पिस्टल देकर कहा कि वो उन्हें गोली मार दे. जाहिर है मारिटा ने ऐसा नहीं किया.

फिदेल कास्त्रो का लोहा पूरी दुनिया मानती थी. उनका जन्म 13 अगस्त 1926 को क्यूबा में हुआ था. क्यूबा के राष्ट्रपति फुल्गेन्सियो बतिस्ता अमेरिका के कट्टर समर्थक थे. उनपर अमेरिकी हितों की रक्षा के लिए क्यूबा की जनता के साथ अनदेखी के आरोप लगे. क्यूबा में भ्रष्टाचार और अत्याचार चरम पर थी. 1952 की क्यूबा क्रांति से पहले कास्त्रो तानाशाह राष्ट्रपति फुल्गेन्सियो बतिस्ता के विरुद्ध चुनाव लड़े. लेकिन साजिश के तहत उन्हें हार का सामना करना पड़ा. लोग वोटिंग करने से पहले ही वोटिंग खत्म करा दी गई.

क्यूबा के हालात बिगड़ते गए और जनता का सत्ता के खिलाफ गुस्सा बढ़ता गया. 26 जुलाई 1953 को फिदेल कास्त्रो ने क्रांति का बिगुल फूंक दिया. करीब 100 साथियों के साथ सैंटियागो डी क्यूबा में उन्होंने एक सैनिक बैरक पर हमला किया. लेकिन यह हमला नाकाम रहा. उन्‍हें 15 साल की सजा हुई और साथियों के साथ जेल में डाल दिया गया. दो साल बाद 1955 में एक समझौते के तहत उन्हें रिहा किया गया.

जेल से छूटकर वो मैक्सिको चले गए. मैक्सिको में फिदेल और उनके भाई राउल कास्त्रो ने चेग्‍वेरा के साथ बतिस्‍ता शासन के खिलाफ गुरिल्‍ला युद्ध की शुरुआत की. फिदेल के क्रांतिकारी विचारों और आदर्शों को क्यूबा की जनता का भरपूर समर्थन मिला. 1959 में उन्‍होंने राष्ट्रपति फुल्गेन्सियो बतिस्ता का तख्ता पलटकर उसे खदेड़ दिया और सत्ता पर नियंत्रण हासिल कर लिया.

फिदेल कास्त्रो दुनिया के ऐसे तीसरे शख्स हैं, जिन्होंने किसी देश पर सबसे लंबे वक्त तक राज किया. उन्होंने 1959 में क्यूबा की सत्ता संभाली थी और 2008 तक वो लगातार शासन करते रहे.
अपनी पूरी जिंदगी फिदेल कास्त्रो ने दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका को चुनौती दी. उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपतियों का मजाक उड़ाया.

फिदेल कास्त्रो को लेकर कई दिलचस्प तथ्य दुनिया में फैले हैं. हालांकि उनमें से कई अमेरिकी प्रोपेगैंडा के तहत फैलाए गए हैं. कहते हैं उनका किरदार रूमानियत भरा था लकिन उन्होंने करीब आधी सदी तक क्यूबा पर बेहद सख्ती से राज किया.

फिदेल कास्त्रो ने क्यूबा की अर्थव्यवस्था को बाकी दुनिया के लिए कभी नहीं खोला. देश में सख्ती से राशन का सिस्टम लागू था. क्यूबा में रहकर वहां की किसी चीज़ की बुराई करने का सवाल ही नहीं था. क्यूबा को अमेरिकी प्रतिबंध का सामना करना पड़ा. हालांकि बंदिशों के बावजूद क्यूबा के लोग खुश रहे.

फिदेल कास्त्रो अपनी जिंदगी के आखिरी दिनों में अपनी जवानी का साया भर रह गए थे. 2008 में उन्होंने क्यूबा की सत्ता अपने भाई राउल कास्त्रो को सौंप दी. 25 नवंबर 2016 को 90 साल की उम्र में उनका स्वाभाविक निधन हुआ.