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दुर्गा समितियों को नोटिस से यू ही नहीं मची हलचल, बड़े हैं इसके राजनीतिक मायने




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पश्चिम बंगाल में 2021 में विधानसभा के चुनाव होने हैं लेकिन राजनीतिक दलों ने अभी से ही अपनी तैयारी शुरू कर दी है. लोकसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी (BJP) और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के बीच जो आमना-सामना शुरू हुआ था, वह अभी तक जारी है. इस बार ये मसला शुरू हुआ है दुर्गा समितियों और पंडाल को लेकर. दरअसल, आयकर विभाग ने पंडालों से इनकम टैक्स रिटर्न भरने को कहा है लेकिन ममता बनर्जी ने इसका विरोध किया है. ये पूरा मामला क्या है और इसके राजनीतिक मायने क्या हैं, यहां समझिए…

दुर्गा पूजा समितियों को आयकर विभाग का नोटिस

पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा का महत्व ज्यादा है और यही कारण है कि दुर्गा समितियां भी बड़ा महत्व रखती हैं. इनका असर हजारों-लाखों लोगों पर पड़ता है, यही कारण है कि राजनीति की दृष्टि से भी ये मामला बड़ा हो जाता है. इस बीच आयकर विभाग ने कई समितियों को नोटिस जारी किया है और उनका ब्योरा मांगा है.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसका विरोध किया था और इसे धर्म से जुड़ा मसला करार दिया था. साथ ही साथ समितियों ने भी 13 अगस्त को इस फैसले के खिलाफ धरना प्रदर्शन का ऐलान किया था.

क्या थी आयकर विभाग की मांग?

दरअसल, आयकर विभाग ने इन दुर्गा समितियों से इनकम टैक्स रिटर्न भरने को कहा है. साथ ही 30 हजार से ऊपर की जा रही किसी भी तरह की पेमेंट की जानकारी भी देने को कहा है. इसी पर समितियां भड़क गई हैं. इन दुर्गा समितियों के संगठन ‘फोरम फॉर दुर्गात्सव’ ने विरोध दर्ज कराया है.

क्या है राजनीतिक प्रभाव?

विधानसभा चुनाव से पहले मची इस तरह की हलचल से राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी तेज हो गईं हैं. दरअसल, पूरे बंगाल में 28 हजार से अधिक दुर्गा पूजा की कमेटियां हैं, इनमें से सिर्फ 2200 राजधानी कोलकाता में हैं. इन कमेटियों में करीब 400 ने एक साथ मिलकर ‘फोरम फॉर दुर्गात्सव’ नाम का संगठन भी बनाया है.

कोलकाता में जो 2200 से अधिक दुर्गा समितियां हैं, उनमें करीब 25 समितियां ऐसी भी हैं जिनका बजट 50 लाख से अधिक का है. बाकी अन्य कमेटियों का भी बजट 15 लाख तक का है. इसी को देखते हुए आयकर विभाग ने नोटिस जारी किया है.

विधानसभा चुनाव पर है नजर

बंगाल में 2021 में विधानसभा चुनाव होने हैं लेकिन तैयारियां अभी से ही शुरू हो गई हैं. बंगाल की राजनीति में इन दुर्गा समितियों का बड़ा किरदार है, ऐसे में राजनीतिक पार्टियों की नज़र इन पर ही है. लोकसभा चुनाव से पहले पिछले साल जो दुर्गा पूजा हुई थी, वहां बीजेपी ने करीब 3000 से अधिक कैंप लगाए थे और अपनी विचारधारा को लोगों तक पहुंचाया था. साथ ही इस बार अक्टूबर में दुर्गा पूजा के दौरान भी बीजेपी कई बड़े कार्यक्रम करने की तैयारी में हैं.

इन समितियों में अभी तक टीएमसी का वर्चस्व दिखता रहा है, लेफ्ट की सरकार के खिलाफ ममता बनर्जी ने इन समितियों को साधकर अपने मिशन को आगे बढ़ाया था. जो लंबे समय से इनके ही साथ हैं, ऐसे में ममता को डर है कि बीजेपी उनकी पार्टी के इस वोट बैंक में सेंध लगाने में जुटी है.