Home समाचार यूएई में मोदी को सर्वोच्च सम्मान, पाकिस्तान में आपत्ति क्यों?

यूएई में मोदी को सर्वोच्च सम्मान, पाकिस्तान में आपत्ति क्यों?




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भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शनिवार को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ ज़ायेद’ से सम्मानित करेगा.

यह सम्मान पाने वाले वो पहले भारतीय प्रधानमंत्री बनेंगे. ‘ऑर्डर ऑफ़ ज़ायेद’ यूएई का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है जो बादशाहों, राष्ट्रपति और राष्ट्र प्रमुखों को दिया जाता है.

इससे पहले साल 2007 में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, 2010 में ब्रिटेन की महारानी एलिज़ाबेथ, 2016 में सऊदी के शाह सलमान बिन अब्दुल्ला अज़ीज़ अल सऊद और साल 2018 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को यह सम्मान दिया गया था.

यूएई ने इस सम्मान की शुरुआत साल 1995 में की थी.

पीएम मोदी को इस सम्मान के लिए क्यों चुना गया?

अबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख़ मोहम्मद बिन ज़ायेद अल नाह्यान के मुताबिक, भारत और यूएई के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने में पीएम मोदी ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है.

इस साल अप्रैल में शेख़ मोहम्मद बिन ज़ायेद अल नाह्यान ने एक ट्वीट के माध्यम से इस सम्मान की घोषणा की थी.

उन्होंने लिखा था, “भारत के साथ हमारे ऐतिहासिक और व्यापक रणनीतिक संबंध हैं, जिसके पीछे मेरे परम मित्र नरेंद्र मोदी का बहुत योगदान है. उन्होंने इन रिश्तों को और मज़बूत किया है. उनके प्रयासों को देखते हुए यूएई के राष्ट्रपति शेख़ ख़लीफ़ा बिन ज़ायेद अल नाह्यान ने उन्हें ज़ायेद सम्मान से नवाज़ा है.”

विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि इस साल का ज़ायेद सम्मान ‘विशेष महत्व’ रखता है क्योंकि यह पीएम मोदी को शेख़ ज़ायेद की जन्म शताब्दी के मौके पर दिया जा रहा है. यूएई में साल 2019 को सहिष्णुता का साल घोषित किया गया है.

बयान में आगे दावा किया गया है कि यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है. दोनों के बीच मज़बूत द्विपक्षीय व्यापारिक रिश्ते हैं और दोनों के बीच सालाना कारोबार क़रीब 60 बिलियन डॉलर तक पहुंचने वाला है.

भारत और यूएई

मोदी के कार्यकाल में दोनों देशों के नेताओं के बीच राजनयिक यात्राओं में अभूतपूर्व बढ़ोतरी देखने को मिली है.

शेख़ मोहम्मद बिन ज़ायेद पिछले तीन सालों में दो बार भारत का दौरा कर चुके हैं. पहली बार उन्होंने फ़रवरी 2016 में भारत का दौरा किया था, वहीं दूसरी बार साल 2017 के गणतंत्र दिवस के मौके पर वो बतौर मुख्य अतिथि समारोह में शामिल हुए थे.

दूसरी तरफ मोदी पहले ऐसे भारतीय प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने यूएई का दो बार दौरा किया है. पहली बार वो अगस्त 2015 में यूएई आए थे.

वहीं दूसरी बार साल 2018 में यूएई ने नरेंद्र मोदी को वर्ल्ड गर्वमेंट समिट में बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया था. पांच साल से कम समय में यह उनकी तीसरी यात्रा होगी.

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस यात्रा के दौरान वहां के क्राउन प्रिंस से मुलाक़ात करेंगे. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मामलों के पारस्परिक हितों पर बातें होगी.

अबू धाबी में भारतीय दूतावास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर एक स्मारक डाक टिकट भी जारी करेगा.

इसके अलावा मोदी वहां रूपे कार्ड का शुभारंभ भी करेंगे. मास्टर और वीज़ा कार्ड की तरह यह भारत का कार्ड आधारित अपनी भुगतान प्रणाली योजना है.

संयुक्त अरब अमीरात में भारत के राजदूत नवदीप सूरी ने बताया, ”प्रधानमंत्री के दौरे की वजह ज़ायेद सम्मान तो है ही लेकिन वो रुपे कार्ड को भी निजी तौर पर बढ़ावा देना चाहते हैं.”

पाकिस्तान की आपत्ति

मोदी सरकार के जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधान को निष्प्रभावी बनाने और भारत प्रशासित कश्मीर में मानधिकार उल्लंघन के कथित मामलों के बीच नरेंद्र मोदी को यूएई का सर्वोच्च सम्मान मिलने की ख़बर पाकिस्तान के लिए किसी सरप्राइज से कम नहीं है.

लाहौर में राजनीतिक विज्ञान के विशेषज्ञ डॉ. उम्बरीन जावेद ने बीबीसी से कहा, “भले ही नरेंद्र मोदी एक ऐसे देश का दौरा कर रहे हैं, जिससे उनके बहुत सारे आर्थिक संबंध हैं, लेकिन कश्मीर मुद्दे के कारण इस समय यह पाकिस्तान के लिए एक भावुक विषय बन गया है.”

डॉ. उम्बरीन ने कहा, “यह एक ऐसा समय है जब पाकिस्तान को लगता है कि भारत प्रशासित कश्मीर में मानवाधिकारों का उल्लंघन बढ़ सकता है. भविष्य में कश्मीरियों को बहुत परेशानी होने वाली है.”

पाकिस्तानी उम्मीद कर रहा था कि “मुस्लिम देशों को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अनुच्छेद 370 पर अपने फ़ैसले को वापस लेने के लिए समझाने की कोशिश करनी चाहिए ना कि उन्हें अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित करना चाहिए.”

हाल ही में ब्रिटेन की लेबर पार्टी के सांसद नाज़ शाह ने यूएई के क्राउन प्रिंस को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज़ायेद मेडल देने पर पुनर्विचार करने के लिए कहा था. उन्होंने नरेंद्र मोदी पर कश्मीर में मानवाधिकारों का उल्लंघन करने के आरोप लगाए थे.

हालांकि इस मामले पर पाकिस्तान सरकार की तरफ से चुप्पी साधी गई है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता डॉ. मोहम्मद फ़ैसल के मुताबिक ये भारत और यूएई का आपसी मामला है और वे इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देंगे.

जबसे भारतीय संविधान से अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर का विशेष दर्ज़ा ख़त्म किया गया है कि ट्विटर पर कश्मीर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सें संबंधित हैशटैग ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है.

पीएम मोदी को यूएई का सर्वोच्च सम्मान दिए जाने पर भी सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने नाख़ुशी ज़ाहिर की है.

एक ट्विटर यूज़र ताहिर नक़वी ने लिखा है, “मोदी को सर्वोच्च सम्मान देकर अरब केवल मामले पर मुहर ही लगा रहे हैं.”

हालांकि एक अन्य ट्विटर यूज़र इमान हाज़िर मज़ारी को इसमें कोई ताज्ज़ुब की बात नहीं लगी.

उन्होंने लिखा है, “मैं समझ नहीं पा रहा कि कश्मीर को ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से भारत में मिला लिए जाने पर यूएई की प्रतिक्रिया पर लोग कैसे और क्यों हैरान हो रहे हैं. मुस्लिम समाज नाम की कोई चीज़ नहीं है, जैसा मैंने पहले भी कई बार कहा है. मुस्लिमों की हत्या का समर्थन करने वाला पहला देश हमेशा यूएई और सउदी अरब ही हैं.”