Home विदेश ‘HOWDY MODI’: ये तेरा ही जादू है मोदी……..

‘HOWDY MODI’: ये तेरा ही जादू है मोदी……..




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‘हाउडी मोदी’ भारत ही नहीं पूरी दुनिया में वर्तमान समय में चर्चा का विषय बना हुआ हैं। ह्ययूस्‍टन में रविवार को आयोजित होने वाला यह कार्यक्रम भारत के लिए गर्व का विषय हैं। विदेशी धरती पर पीएम मोदी के लिए आयोजित हुए कार्यक्रमों में अब तक का सबसे बड़ा कार्यक्रम होगा। यह इसलिए भी खास हैं क्योंकि दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र अमेरिका और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के राष्‍ट्रध्‍यक्ष ट्रंप और मोदी एक मंच साक्षा करेंगे।

यहीं नहीं इसमें पीएम मोदी को सुनने के लिए अमेरिका के 48 राज्यों से प्रवासी भारतीय लोग एकत्र होंगे। मोदी के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी भारतीय समुदाय को संबोधित करेंगे। सबसे रोचक बात यह हैं कि इस कार्यक्रम में अमेरिका के अलग-अलग कोने में रहने वाले भारतीय समुदाय के संगठनों ने हाउडी मोदी कम्युनिटी बनाई और यही पूरा आयोजन अपने खर्च पर कर रही है। इसमें न तो भारत सरकार का कोई पैसा लगा है और न ही भाजपा ने पैसा दिया है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अमेरिका में मोदी कितने लोकप्रिय हैं। भारतीय समुदाय के अलावा अन्य अमेरिकियों के बीच भी मोदी खासे लोकप्रिय हैं।मोदी के लिए एकजुट हुए 600 भारतीय समुदाय

विदेशी धरती पर बसे प्रवासी भारतीयों का मोदी के प्रति प्‍यार ही हैं जो में यह वृहद कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा हैं। कुछ समय पहले ह्यूस्‍टन के लोगों को जब पता चला कि पीएम मोदी संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा को संबोधित करने न्‍यूयॉर्क आ रहे हैं तभी भारतीय अमेरिकी समुदाय ने पीएम मोदी को ह्यूसटन में रह रहे भारतीयों से मिलने के लिए आमंत्रित किया था।

वैसे तो भारतीय समुदाय अलग-अलग धर्म, जाति और भाषा के आधार पर बटा हुआ हैं लेकिन इस कार्यक्रम को सभी मिलकर आयोजित कर रहे हैं। ह्यूस्टन में भी 600 से ज्यादा संगठन इस कार्यक्रम के लिए साथ आए। ऐसे में भारतीय समुदाय में एकजुटता बढ़ी है। लोगों का आत्मविश्वास बढ़ा है कि उनके देश के प्रधानमंत्री उनके साथ खड़े हैं। अमेरिका हो यूरोप हो या मिडिल ईस्ट हो पीएम मोदी के भारतीय समुदायों को संबोधित करना और उन देशों के राष्ट्राध्यक्षों का इन कार्यक्रमों में शामिल होना ग्लोबल जियो पॉलिटिक्स में बड़ा असर दिखाता है। मोदी को भारत के रिफॉर्मर और ट्रांसफार्मर के रूप में देखा जाता है, जिनकी नीतियां भारत के साथ-साथ ह्यूस्टन के आर्थिक विकास के लिए भी अच्छी हैं। ऐसे में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए ह्यूस्टन शहर बेहद उत्साहित है।

अमेरिका के 48 राज्यों से प्रवासी भारतीय ह्यूस्टन पहुंचेंगे
48 राज्यों से प्रवासी भारतीय ह्यूस्टन पहुंचेंगे

टेक्सास इंडिया फोरम के प्रवक्ता गीतेश देसाई ने मीडिया को दी गयी जानकारी के अनुसार टेक्सास फोरम इंडिया के नेतृत्व में अमेरिका के 33 राज्यों के 600 से ज्यादा भारतीय समुदाय के संगठन संयुक्‍त रुप से यह कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। कार्यक्रम की घोषणा के चंद दिनों के भीतर ही अमेरिका भारतीय समुदाय के 50 हजार लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवाए। जिसमें अमेरिका के 48 राज्यों से प्रवासी भारतीय ह्यूस्टन पहुंचेंगे ।

अयोजकों के अनुसार इस एतिहासिक कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए 1100 वॉलेंटियर्स पूरे जोश और उत्साह के साथ दिन रात तैयारियों को अंतिम रुप देने में जुटे हुए हैं। पिछले दोनों कार्यक्रमों के मुकाबले यह बहुत बड़ा आयोजन है। 2014 में मोदी ने न्यूयॉर्क के मेडिसन स्क्वेयर गार्डन और 2016 में सेन जोस सिलिकॉन वैली में हुए प्रोग्राम में करीब 18 हजार लोगों को संबोधित किया था। ह्यूस्टन में इनसे तीन गुना ज्यादा भीड़ होगी। पिछले कार्यक्रम इनडोर स्टेडियम में हुए थे। इस बार प्रोग्राम के लिए आउटडोर फुटबॉल स्टेडियम चुना गया है। फिर इस बार खुद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प इसमें आ रहे हैं, इसलिए यह अपने आप में नायाब कार्यक्रम होगा।

इसलिए ह्यूस्टन में किया जा रहा आयोजन

अमेरिका के अन्य प्रांतों की तुलना में टेक्सास प्रांत में प्रवासी भारतीयों की तादाद अच्छी है। टेक्सास में भारतीय समुदाय के 5 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं। इसमें अकेले ह्यूस्टन में 1.5 लाख से ज्यादा प्रवासी भारतीय हैं। ह्यूस्टन को ऊर्जा की अंतरराष्ट्रीय राजधानी कहा जाता है। यहां दुनिया का सबसे बड़ा मेडिकल सेंटर है। यहां नासा का हेडक्वार्टर भी यहीं है। ये कुछ बातें हैं जो तेज विकास और आर्थिक तरक्की के लिए भारत के हित में हो सकती हैं। यही कारण है कि प्रधानमंत्री मोदी ने ह्यूस्टन आने का आमंत्रण स्वीकार किया।

काउंसलेट जनरल ऑफ इंडिया ह्यूस्टन के मुताबिक, टेक्सास की जीडीपी 1.6 ट्रिलियन यूएस डॉलर है। अमेरिका का यह राज्य अगर एक देश होता तो यह दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होती। अमेरिका की 500 सबसे बड़ी कंपनियों में से 92 कंपनियां इसी राज्य में हैं। वहीं, विश्व की फॉर्च्यून 500 कंपनियों में से 12 यहीं की हैं। हेल्थकेयर, रिन्यूएबल एनर्जी, हाई टेक्नोलॉजी, डिफेंस/एयरोस्पेस और फाइनेंशियल सर्विस के क्षेत्र में अमेरिका का यह राज्य बेहद आगे है। भारत-यूएस के कुल व्यापार का 10% अकेले इसी राज्य से होता है। टेक्सास प्रतिदिन 30 लाख बैरल से ज्यादा ऑइल का उत्पादन करता है, जो कि कुल यूएस के तेल उत्पादन का 50% और विश्व के कुल तेल उत्पादन का 5% है। अगर टेक्सास एक देश होता तो यह 9वां सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश होता।

राज्य में 25 हजार से ज्यादा भारतीय छात्र हैं। राज्य का ह्यूस्टन शहर का चौथा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर भारत है। 2018 में भारत का ह्यूस्टन से व्यापार करीब 4.3 बिलियन डॉलर रहा। भारत की तीन सबसे बड़ी तेल और गैस उत्पादक कंपनियां ऑइल इंडिया लिमिटेड, गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (गेल) और ओएनजीसी लिमिटेड के हेडक्वार्टर ह्यूस्टन में हैं। टेक्सास राज्य में सबसे ज्यादा भारतीय छात्र यूनिवर्सिटी ऑफ ह्यूस्टन में ही पढ़ते हैं।

ट्रंप के लिए इसलिए महत्वपूर्ण हैं यह आयोजन

अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के लिए इस कार्यक्रम का आमंत्रण स्‍वीकार करने के लिए कई कारण हैं। सबसे पहले आपको बता दें कि 2020 में अमेरिका में राष्‍ट्रपति के चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में कोई भी बड़ा नेता ऐसा मौका कैसे गंवा सकता हैं। ट्रंप के लिए टेक्सास बहुत महत्वपूर्ण हैं। 1980 से लेकर अब तक टेक्सास रिपब्लिकन पार्टी का गढ़ रहा लेकिन 2016 में जब डोनाल्‍ड ट्रंप जब चुनाव लड़ रहे थे तब उस समय रिपब्लिकन प्राइमरीज में अपने विरोधी के मुकाबले कम वोट मिले थे। वह इस मौके पर कोशिश करेंगे कि मोदी के लिए जुटे अमेकिन भारतीयों के बीच रिपब्लिकन पार्टी के गढ़ में अपना वोट प्रतिशत सुधारे।

यहां प्रधानमंत्री मोदी की वैश्विक नेता के तौर पर छवि और दूसरा यहां का भारतीय समुदाय, जो आज बड़ी संख्या में अर्थव्यवस्था से लेकर हर क्षेत्र में योगदान दे रहा है। यहां भारतीय समुदाय के लोग डॉक्टर, इंजीनियर और साइंटिस्ट तो हैं ही, साथ ही गूगल, माइक्रोसॉफ्ट समेत कई ऐसी छोटी-बड़ी कंपनियां हैं, जिनके सीईओ भी भारतवंशी हैं। राजनीति और प्रशासनिक सेवाओं में भी भारतीयों की अच्छी तादाद है। ओबामा एडमिनिस्ट्रेशन में कई भारतीय थे। ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन में भी कई भारतीय हैं।

आज भारतीय कंपनियां यहां हजारों की संख्या में रोजगार पैदा कर रही हैं। यहां करीब 2 लाख भारतीय छात्र हैं। भारतीयों की प्रति व्यक्ति आय भी आम अमेरिकियों के मुकाबले दोगुना है। ऐसे में भारतीयों को यहां बड़े सम्मान की नजर से देखा जाता है। यही कुछ कारण रहे हैं जिनके चलते ट्रम्प भी इस आयोजन में शामिल हो रहे हैं।