Home छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ : खाद्य नियंत्रक का ID-पासवर्ड चोरी कर बनाए 1600 फर्जी राशनकार्ड

छत्तीसगढ़ : खाद्य नियंत्रक का ID-पासवर्ड चोरी कर बनाए 1600 फर्जी राशनकार्ड




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खाद्य नियंत्रक के माड्यूल से आइडी व पासवर्ड चोरी कर 1,613 फर्जी राशनकार्ड बनाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। खास बात यह है कि इस गड़बड़ी को लेकर अफसर भी अपनी जिम्मेदारी से बचने का प्रयास कर रहे हैं। पुलिस ने धोखाधड़ी का अपराध दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। फूड इंस्पेक्टर अजय कुमार मौर्य ने इस मामले की शिकायत सिविल लाइन थाने में दर्ज कराई है। इसमें बताया गया है कि राज्य शासन के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति व उपभोक्ता संरक्षण विभाग के आदेश पर प्रदेश भर में राशनकार्डों के नवीनीकरण के लिए शिविर लगाए गए।

शिविर में उपभोक्ताओं के आवेदनपत्रों के डाटा एंट्री का काम व्यापार विहार स्थित रेसिलायंस सॉफ्ट कंपनी को दिया गया है। इसके लिए कंपनी को अलग से आइडी व पासवर्ड दिया गया। इस कार्य के अतिरिक्त खाद्य विभाग द्वारा खाद्य अधिकारी के नाम से आइडी पासवर्ड खाद्य नियंत्रक को दिया गया है।

विभागीय कार्य एवं राशन कार्ड से संबंधित समस्त कार्य किए जाते हैं। इस आइडी पासवार्ड से कार्यालय से नवीनीकरण से संबंधित कार्य नहीं किए गए हैं और न ही किया जाना था, लेकिन वेबसाइट पर राशन कार्डों के नवीनीकरण से संबंधित आवेदन पत्रों की दर्ज जानकारी का निरीक्षण करने पर पता चला कि खाद्य अधिकारी के माडयूल में कूटरचना करते हुए नगर निगम क्षेत्र के एक हजार छह सौ 13 राशन कार्डों का नवीनीकरण आवेदन अवैध रूप से दर्ज कर दिया गया है।

इसकी अनुमति इस कार्यालय द्वारा नहीं दी गई है। खाद्य नियंत्रक दिनेश्वर प्रसाद की ओर से इस मामले की शिकायत फूड इंस्पेक्टर मौर्य ने की है। उनकी रिपोर्ट पर पुलिस ने धारा 420 के तहत अपराध दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

स्पष्टीकरण देकर निभाई औपचारिकता

खाद्य विभाग के जिम्मेदार अफसरों ने शिकायत में बताया है कि खाद्य नियंत्रक के मॉड्यूल से आइडी व पासवर्ड चोरी कर कूटरचना करने के मामले में संबंधित स्टॉफ को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसमें उनके जवाब से संतुष्ट होकर अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है। जवाब में कर्मचारियों ने इस तरह की डाटा एंट्री करने से इन्कार किया है।

मॉड्यूल हैक कर किया गया है फर्जीवाड़ा

विभाग के अफसरों को आशंका है कि खाद्य नियंत्रक के मॉड्यूल को हैक कर फर्जीवाड़ा किया गया। यही वजह है कि इस मामले की साइबर सेल की मदद से तकनीकी जांच के लिए पुलिस को मामला सौंपा गया है।