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दुर्ग के मैकेनिक ने तैयार किया ऐसा लिक्विड, जो नहीं होने देगा टायर को पंक्चर




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दोपहिया और चारपहिया वाहन चलाने वालों को टायर पंक्चर होने की समस्या का सामना करना पड़ता है। इससे जहां समय बर्बाद होता है, वहीं पैसे भी खर्च होते हैं, लेकिन अब चिंता करने की जरूरत नहीं है। दुर्ग के रहने वाले मैकेनिक तुका लाल वर्मा ने ऐसा लिक्विड तैयार किया है जो गाड़ी को पंक्चर नहीं होने देता।

इसकी पुष्टि छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के वैज्ञानिक ने की है। परिषद ने इस लिक्विड को भारत पेटेंट कार्यालय के कोलकाता रीजन में रजिस्टर्ड करा दिया है। यह लिक्विड टायर में कील लगने के बाद भी हवा निकलने नहीं देता। यह ट्यूब लेस टायर और ट्यूब वाले टायर दोनों में काम करता है।

पांच साल लगे बनाने में

बातचीत में मैकेनिक तुका लाल ने बताया कि पांच वर्षों की मेहनत से पिछले वर्ष लिक्विड तैयार हुआ। लिक्विड तैयार होने के बाद इसे टायर के अंदर लेप की तरह लगाया। फिर टायर में दस कील ठोकी, लेकिन हवा बाहर नहीं आई।

इस तरह करता है कार्य

टायर में जब कील घुसती है तो आजू-बाजू के छेद को लिक्विड अपने आप बंद कर देता है। कील को जब टायर से बाहर निकाला जाता है तो पुन वह लिक्विड किल के साथ बाहर आते हुए छेद को अपने आप बंद कर देता है।

इतना लगाना होगा लिक्विड

स्कूटर और मोटरसाइकिल में – 300 से 500 ग्राम तक

कार और जीप में – 800 ग्राम तक

ये है लिक्विड की अवधि

-ट्यूबलेस टायर में लिक्विड 20 हजार किलोमीटर तक काम करता है

– ट्यूब वाले टायर में तीन साल तक लिक्विड काम करता है

टायर की मल्टीनेशनल कंपनियां दे रहीं ऑफर

मैकेनिक ने बताया कि फार्मूले के बारे में जैसे ही टायर बनाने वाली मल्टीनेशनल कंपनियों को पता चला, उन्होंने खरीदने के लिए ऑफर किया। कई कंपनियों ने नौकरी के साथ पैसे देने का भी ऑफर दिया है। कंपनियों ने स्वयं अपने शो रूम में लिक्विड को चेक किया। मैकेनिक ने बताया कि इसका प्रयोग ट्रक के टायर में नहीं किया गया है।

इनका कहना है

छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद का पेटेंट सूचना केंद्र प्रदेश के शोधकर्ताओं एवं जनमानस द्वारा किए गए नवाचार को संरक्षित करने तथा उन्हें उचित मंच और लाभ मिले इसके लिए अनवरत कार्य कर रहा है। इसी कड़ी में दुर्ग के तुका लाल वर्मा की खोज को बेहतर मंच देने के लिए परिषद ने उसे पेटेंट कराया है। -डॉ. अमित दुबे, वैज्ञानिक छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, रायपुर