सरकार ने देश की दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनियों अमेजन और फ्लिपकार्ट से उनके मंच के शीर्ष पांच विक्रेताओं के नाम, पसंदीदा विक्रेताओं के उत्पादों की सूची, प्रमुख वेंडर्स के सामानों की प्राइस लिस्ट और विक्रेताओं को दिए जाने वाले समर्थन के बारे में खुलासा करने आदि का ब्यौरा मांगा है।
सूत्रों के मुताबिक, खुदरा व्यापारियों के संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इडिया ट्रेडर्स कैट) की शिकयत को गंभीरता से लेते हुए उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग डीपीआईआईटी) ने इन दोनों कंपनियों को अलग-अलग प्रश्नावली भेजकर ये सूचनाएं मांगी हैं। डीपीआईआईटी ने इन कंपनियों से उनके कैपिटल स्ट्रक्चर, बिजनेस मॉडल और इन्वेंटरी मैनेजमेंट सिस्टम की भी डिटेल मांगी है।
कैट ने अपनी शिकायत में कहा था कि अमेजन और फ्लिपकार्ट ने मेगा फेस्टिवल सेल की आड़ में सरकार की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई पॉलिसी का उल्लंघन कर रही हैं। इस बारे में अमेजन और फ्लिपकार्ट को मीडिया क्वेरी भेजे जाने पर कोई जवाब नहीं मिला। कैट ने आरोप लगाया है कि ये कंपनियां बेहद सस्ते दाम पर प्रॉडक्ट की पेशकश कर अनैतिक तरीके अपना रही हैं साथ ही अनुचित गतिविधियों का अनुसरण करके बाजार बिगाड़ने वाली कीमत की पेशकश कर रही हैं।
बता दें कि डीपीआईआईटी अमेजन व फ्लिपकार्ट और कैट के सदस्यों के साथ अलग-अलग कई बैठकें कर चुका है। गौरतलब है कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में कहा था कि सरकार वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली फ्लिपकार्ट तथा अमेजन के खिलाफ बाजार बिगाड़ने वाली कीमत के मुद्दे की जांच कर रही है।
अमेजन और फ्लिपकार्ट को भेजी गई प्रश्नावली में जो डिटेल मांगी गई हैं, उनमें उनके मंच पर सूचीबद्ध विक्रेताओं की कुल संख्या, नियंत्रित और अनियंत्रित विक्रेताओं की सूची और उनकी हिस्सेदारी, डिस्ट्रीब्यूटर व रिटेलर की प्रमुख वेंडर्स के लिए प्राइस लिस्ट तथा शीर्ष 5 विक्रेताओं की कुल बिक्री के अनुपात से जुड़े प्रश्न शामिल हैं। इसके अलावा पेमेंट गेटवेज के साथ अमेजन और फ्लिपकार्ट के गठजोड़ के बारे में भी ब्यौरा मांगा गया है। सूत्रों ने कहा कि उनसे मंच से जुड़े पेमेंट गेटवे भुगतान मंचों) की जानकारियां भी साझा करने के लिए कहा गया है।
जानिए क्या कहती है एफडीआई पॉलिसी
मौजूदा एफडीआई पॉलिसी के मुताबिक, सरकार ने ई-कॉमर्स मार्केट प्लेस मॉडल में 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दे रखी है। हालांकि इन्वेंट्री आधारित मॉडल पर यह लागू नहीं होती है। ई-कॉमर्स कंपनियां अपने प्लेटफॉर्म पर बिकने वाले प्रॉडक्ट की कीमतों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर प्रभावित नहीं कर सकती हैं।