मिस्त्र की राजधानी काहिरा में अंधविश्वास ने एक 12 साल की बच्ची की जान ले ली। लड़की की खतने के दौरान मौत हो गई। इस घटना के बाद बच्ची के माता पिता और चिकित्सक को गिरफ्तार करने के आदेश जारी किए गए हैं।
बता दें मिस्र की संसद में साल 2008 में एक कानून पारित कराकर इस कुप्रथा को प्रतिबंध लगा दिया है। बावजूद इसके बड़े स्तर में इस तरह की घटनाएं सामने आती रहती है।
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मिस्र में कई और लड़कियों को खतने के लिए बाध्य किया जाएगा और उनमें से कई लड़कियों की तब तक मौत होती रहेंगी, जब तक कि देश में इसके लिए स्पष्ट रणनीति नहीं होगी और इसे सही में अपराध नहीं माना जाएगा। सरकार ने 2015 में एक सर्वेक्षण कराया था, जिसमें यह सामने आया कि मिस्र की 87 फीसदी महिलाओं का 15 से 49 साल की उम्र में खतना हुआ था।
क्या होता है खतना
इस प्रथा में बच्चियों के प्राइवेट पार्ट में कुछ अंश को ब्लेड से काट दिया जाता है। इस दौरान बच्चियों को बेहोश भी नहीं किया जाता है। कुछ महिलाएं बच्ची के हाथ-पैर पकड़ते हैं और एक महिला मुल्तानी मिट्टी लगाकर ब्लेड से सामने का हिस्सा काट देती है। इस प्रक्रिया के बाद बच्चियां दर्द से कई महीनों तक छटपटाती हैं। साथ ही कई मामलों में में इन्फेक्शन के कारण उनकी मौत भी हो जाती हैं।
क्यों होता है खतना?
इस्लाम के मुताबिक, इस प्रथा के बाद महिलाएं अपने पति के प्रति ज्यादा वफादार रहती हैं। ऐसा माना जाता है कि अगर महिला की सेक्स में रूचि रहती है तो ये गलत है। उसे सेक्स एन्जॉय करने का कोई हक़ नहीं है। इसलिए खतना प्रथा के जरिए महिला के प्राइवेट पार्ट्स को काट दिया जाता है।कई तरह के हैं नुकसान इस प्रक्रिया में एक ही ब्लेड से कई खतना करने पर इन्फेक्शन फ़ैल जाता है। कई दर्द ना सहने के कारण कोमा में चली जाती हैं।