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केंद्र सरकार ने दो कदम आगे बढ़कर किसान नेताओं के पाले में डाली गेंद, मीटिंग की इनसाइड स्टोरी पढ़िए…




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तीनों कृषि कानूनों के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने बुधवार को अब तक का सबसे बड़ा स्टैंड लिया. इससे पूर्व हुई सभी बैठकों से दसवें दौर की यह मीटिंग बेहद अलग और अहम रही. केंद्र सरकार ने डेढ़ साल तक कानूनों को होल्ड पर रखने का बड़ा प्रस्ताव देते हुए अब गेंद किसान नेताओं के पाले में डाल दी. केंद्र की इस पहल पर किसान नेता भी सोचने को मजबूर हो गए हैं. यही वजह है कि किसान नेताओं ने गुरुवार को बैठककर सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा करने की बात कही है. 22 जनवरी को फिर होने वाली बैठक में किसान नेता केंद्र सरकार के फैसले पर अपना रुख स्पष्ट करेंगे. अगर सरकार की तरफ किसान नेताओं ने भी रुख में नरमी लाते हुए केंद्र के फैसले को मंजूर किया तो फिर किसान आंदोलन अगली बैठक में खत्म हो सकता है.

गृहमंत्री के घर रणनीति

विज्ञान भवन में बुधवार को ढाई बजे से बैठक शुरू होने से पहले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने गृहमंत्री अमित शाह के घर जाकर मीटिंग की. गृहमंत्री के घर पर दसवें दौर की बैठक को लेकर खास रणनीति बनी. सूत्रों के मुताबिक, इस दौरान सरकार की तरफ से अब तक का सबसे बड़ा स्टैंड लेने का निर्णय हुआ. मंत्रियों के बीच तय हुआ कि 26 जनवरी से पहले किसान आंदोलन को खत्म कराने का यही एकमात्र रास्ता है कि किसानों के सामने कानूनों को कम से कम एक से डेढ़ साल तक स्थगित करने का प्रस्ताव दिया जाए और इस बीच दोनों पक्षों की बातचीत चलती रहे. गृहमंत्री से चर्चा के बाद विज्ञान भवन पहुंचे कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने यही प्रस्ताव किसान नेताओं के सामने रखा.

अब गेंद किसानों के पाले में

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बैठक में किसान नेताओं से कहा कि कृषि सुधार कानूनों को एक से डेढ़ वर्ष तक स्थगित किया जा सकता है. इस दौरान किसान संगठन और सरकार के प्रतिनिधि किसान आन्दोलन के मुद्दों पर विस्तार से विचार-विमर्श करके उचित समाधान पर पहुंच सकते हैं. केंद्र सरकार के इस बड़े स्टैंड को देखते हुए किसान नेताओं ने विचार करने की बात कही. ऑल इंडिया किसान सभा के महासचिव हनन मुल्लाह ने आईएएनएस से कहा, “सरकार ने बैठक में कहा कि कोर्ट में एफिडेविट देकर हम कानून को डेढ़- दो साल तक रोक सकते हैं. इस दौरान कमेटी जो रिपोर्ट देगी, हम उसको लागू करेंगे. अब सभी किसान संगठन 21 जनवरी को सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा कर 22 जनवरी की बैठक में अपना जवाब देंगे.