Home छत्तीसगढ़ दूरस्थ अंचल में हैंडपंप संधारण कार्य में महिला तकनीशियनों की भूमिका सराहनीय 

दूरस्थ अंचल में हैंडपंप संधारण कार्य में महिला तकनीशियनों की भूमिका सराहनीय 




IMG-20240704-WA0019
IMG-20220701-WA0004
WhatsApp-Image-2022-08-01-at-12.15.40-PM
1658178730682
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.50-PM
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.48-PM

राज्य के ग्रामीण अंचलों में जल जीवन मिशन के तहत शुद्ध पेयजल की आपूर्ति की जा रही है। जशपुर जिले के दूरस्थ क्षेत्रों में हैंडपंप संधारण कार्य में महिला तकनीशियनों की भूमिका सराहनीय है। कलेक्टर श्री रितेश कुमार अग्रवाल के दिशा निर्देश में जिले के 08 विकासखण्डों के 444 पंचायतों में सभी 756 ग्रामों एवं 5447 बसाहटों में 16586 हैण्डपपों तथा 101 नलजल योजना के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल सुलभ कराया जा रहा है। सभी ग्रामवासियों को लगातार पर्याप्त मात्रा में सहज रूप से शुद्ध पेयजल की आपूर्ति हो रही है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा विशेष अभियान चलाकर हैण्डपंप संधारण का कार्य किया जा रहा है। जिले में स्वीकृत 48 हैण्डपंप तकनीशियनों के विरूद्ध मात्र 22 हैण्डपंप तकनीशियन ही कार्यरत हैं। कार्यक्षेत्र विस्तृत होने और हैण्डपंपों की संख्या में लगातार वृद्धि होने के उपरान्त भी हैण्डपंप खराबी की सूचना प्राप्त होने पर हैण्डपंप तकनीशियन सुधार कार्य हेतु तत्काल रवाना हो जाते हैं। हैण्डपंप सुधार कार्य में महिला हैण्डपंप तकनीशियनों का कार्य भी सराहनीय है। सभी तकनीशियन तेज गर्मी की परवाह न करते हुए लोगों को पीने के पानी की समस्या का समाधान लगातार काम कर रहे हैं।
जशपुर जिले के विभिन्न विकासखण्डों के अंतर्गत 109 ग्रामों के 139 बसाइटों में स्थापित 189 नग हैण्डपंपों में ग्रीष्म ऋतु में भू-जल स्तर नीचे जाने के कारण कम मात्रा में पानी आने की शिकायतें मिलती हैं। वर्तमान में जिले का औसत भू-जल स्तर लगभग 1200 मीटर है। जिले के जशपुर, मनोरा तथा पत्थलगांव विकासखण्ड में अन्य विकासखण्डों की तुलना में भू-जल स्तर नीचे जाने की शिकायत अधिक है। भू-जल स्तर नीचे जाने वाले हैण्डपपों में राईजर पाईप बढ़ाकर चालू किया जा रहा है। ग्रामीण पेयजल व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने में ग्राम पंचायतों का भी महत्वपूर्ण योगदान है।
हैण्डपंप के चारों ओर बनाया गया प्लेटफार्म एवं नाली न टूटे तथा हैण्डपंप के आसपास गन्दे पानी का जमाव न हो ताकि गंदगी न फैले तथा मच्छर मक्खी न हो इसलिए ग्राम पंचायतों को हैण्डपप के चारों ओर तथा गड्ढों में मुरूम डलवाना चाहिए। जिससे कि पेयजल स्त्रोत सुरक्षित हो तथा ग्राम भी साफ सुथरा लगे ।
पेयजल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु सभी ग्रामों में 05-05 महिलाओं को चिन्हित कर उन्हें फील्ड टेस्ट किट के माध्यम से स्थल पर ही जल परीक्षण किये जाने हेतु प्रशिक्षित किया गया है। अब तक जिले में 53103 नग जल परीक्षण फील्ड टेस्ट किट के माध्यम से किया जा चुका है। जिले में स्थापित सभी हैण्डपंपों तथा अन्य पेयजल स्त्रोतों का मानसून के पूर्व तथा वर्षा ऋतु के समाप्ति उपरान्त दो बार सोडियम हाइपोक्लोराइड द्वारा निर्जीवीकरण किया जाता है और वर्ष में एक बार बैक्टिरियोलॉजिकल परीक्षण किया जाता है। फील्ड टेस्ट किट के माध्यम से जल परीक्षण में यदि किसी विशेष पैरामीटर का परिणाम अधिक आता है तो पेयजल का नमूना जिला स्तरीय जल परीक्षण प्रयोगशाला में लाकर परीक्षण किया जाता है। जिला स्तरीय जल परीक्षण प्रयोगशाला में सभी पैरामीटर के परीक्षण की सुविधा है तथा कोई भी निर्धारित राशि का भुगतान कर जल नमूनों की जांच करवा सकता है। जशपुर जिला स्तरीय प्रयोगशाला को शीघ्र ही एन.ए.बी.एल. मान्यता की सम्भावना है। इसके लिए सभी औपचारिकताएं पूर्ण कर ली गई हैं।