रायपुर। प्रदेश में अब लघु किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए छत्तीसगढ़ कामधेनु विश्वविद्यालय ने गरीबों की गाय कही जाने वाली बकरी पर शोध करना शुरू कर दिया है, जो आइसीआर के माध्यम से ट्राइबल के विकास के लिए है। इसमें उस्मानाबादी बकरे, बकरी की प्रजातियों को शामिल किया है। यह प्रदेश के आंचलिक जिलों में बकरी का पालन कर रहे किसानों के लिए वरदान साबित होगा।
सीजी कामधेनु विवि के कुलपति डॉ. एनपी दक्षिणकर की मानें तो मौजूदा समय प्रदेश में जमूनापारी समेत अन्य प्रजातियों की बकरी का पालन किसान करते हैं, जबकि उस्मानाबादी बकरी, बकरे का पालन किया जाए तो किसानों की आर्थिक आय में तेजी से बढ़ोतरी होगी, क्योंकि स्थानीय प्रजातियों की तुलना में उस्मानाबादी प्रजाति में मृत्युदर कम होने के साथ बच्चे की जन्मदर भी बेहतर है।
स्थानीय नस्ल में होगा सुधार
वीसी डॉ. दक्षिणकर ने प्रदेश में पशुपालन के माध्यम से किसानों की आय में बढ़ोतरी करने के लिए बकरी पालन की योजना में सुधार करना चाहते हैं, इसलिए आइसीआर के माध्यम से आदिवासी क्षेत्रों में रह रहे लोगों को उस्मानाबादी बकरी के पालन से जोड़ते हुए प्रशिक्षित करने की दिशा में प्रयास चल रहा है।
लगभग 37 लाख रुपये के इस प्रोजेक्ट के जरीए उन्नत नस्ल की बकरी किसानों तक पहुंचे यही विवि का उद्देश्य है। मौजुदा समय लगभग सौ उस्मानाबादी बकरे, बकरी पर रिसर्च चल रहा है। इसके अलावा आगामी दिनों में यूनिवर्सिटी से तरफ से शिविर आयोजित किए जाएंगे। जहां किसानों को प्रशिक्षित कर बकरियों का मुफ्त में वितरण किया जाएगा। ताकि स्थानीय बकरियों की नस्ल में सुधार होगा।
मांस और दूध के लिए बेहतर
ओस्मानाबादी बकरी के इस नस्ल का प्रयोग दूध और मांस दोनों के लिए किया जाता है। इस नस्ल की बकरी महाराष्ट्र में पाई जाती है। आम तौर पर इस नस्ल की बकरी वर्ष में दो बार प्रजनन क्रिया करती है। इस प्रजनन क्रिया के दौरान ट्विन्स अथवा ट्रिप्लेट (एक साथ दो या तीन) बच्चे भी प्राप्त हो सकते हैं।
तात्कालिक समय में उस्मानाबादी बकरे की कीमत अन्य प्रजातियों के अपेक्षा दूगना है। जबकि जमुनापारी नस्ल की बकरियां सिर्फ दूध के मामले में बेहतर होती हैं। लेकिन इनकी मृत्युदर अधिक होती है। इस नस्ल की बकरी का प्रजनन वर्ष में एक ही बार होता है। साथ ही इस बकरी से जुड़वां बधो पैदा होने के संयोग काफी कम होते हैं।
आर्थिक आय में होगी बढ़ोतरी
मौजुदा समय प्रदेश में जमुनापारी समेत अन्य प्रजातियों के बकरी का पालन किसान करते हैं, जबकि उस्मानाबादी बकरी, बकरे का पालन किया जाए तो किसानों के आर्थिक आय में तेजी से बढ़ोतरी होगी। इस दिशा में विवि में रिसर्च कार्य शुरू किया गया है। जल्द ही बेहतर परिणाम आएंगे। – डॉ. एनपी दक्षिणकर, कुलपति, सीजी कामधेनु विवि