दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के मेट्रो राइड को फ्री करने वाली योजना के ऐलान के बाद एक लंबी बहर छिड़ गई है. कोई इसे महिलाओं के लिए फायदेमंद बता रहा तो कोई इसे अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक. इस लिस्ट में अब भारत में मेट्रो मैन के नाम से मशहूर और दिल्ली मेट्रो के पहले प्रबंध निदेशक ई. श्रीधरन का भी नाम जुड़ गया है.
सब्सिडी की राशि सीधे महिलाओं के खाते में
श्रीधरन ने मेट्रो में महिलाओं को मुफ्त यात्रा सुविधा देने की केजरीवाल सरकार की पहल को मेट्रो के लिए नुकसानदायक बताया है. उन्होंने कहा कि मुफ्त यात्रा की जगह सब्सिडी की राशि सीधे महिलाओं के बैंक खाते में जमा करनी चाहिए. श्रीधरन ने मोदी से कहा, दिल्ली सरकार के प्रस्ताव पर सहमत ना हो.
पत्र लिख केजरीवाल के प्रस्ताव पर जाहिर की नाखुशी
सूत्रों का कहना है कि श्रीधरन ने इस मामले में 10 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर केजरीवाल सरकार के प्रस्ताव पर नाखुशी जाहिर की है. श्रीधरन ने चिट्ठी में लिखा है कि अगर सरकार वास्तव में किसी को मुफ्त यात्रा सुविधा देने के लिए कोई उपाय करना चाहती है तो इसके लिए मेट्रो की मौजूदा प्रणाली में कोई बदलाव करने की जगह लाभार्थी को लाभ राशि सीधे उसके बैंक खाते में देना (डीबीटी) बेहतर उपाय होगा.
श्रीधरन ने आगे कहा’मेट्रो के व्यवस्थित तंत्र को बनाए रखने के लिए 2002 में मेट्रो सेवा शुरू होने के समय ही हमने किसी तरह की सब्सिडी नहीं देने का सैद्धांतिक फैसला किया था और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी इसकी प्रशंसा की थी. इतना ही नहीं अटल जी ने भी उद्घाटन के समय खुद टिकट खरीदकर मेट्रो यात्रा कर इस बात का संदेश दिया था कि मेट्रो सेवा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए ऐसा किया जाना जरूरी है.’
एजेंसियों से लिया गया कर्ज अदा करना होगा मुश्किल
श्रीधरन ने दलील दी कि सब्सिडी देने की परंपरा से मेट्रो प्रबंधन द्वारा विदेशी एजेंसियों से लिया गया कर्ज अदा करना मुश्किल होगा. उन्होंने कहा कि दिल्ली मेट्रो की इस प्रतिबद्धता का पालन देश के अन्य शहरों की मेट्रो सेवा द्वारा भी किया जा रहा है. अगर दिल्ली में मुफ्त यात्रा सेवा शुरू होगी तो ऐसी मांग अन्य शहरों में भी उठेगी. श्रीधरन ने सुझाव दिया कि सरकार अगर चाहे तो अन्य सरकारी योजनाओं की तरह इस सब्सिडी को भी डीबीटी पद्धति से लाभार्थी के खाते में सीधे पहुंचाए.