बबुल का पेड़ जिसे स्थानीय भाषा में देशी कीकर कहा जाता है। पुरानी मान्यताओं के अनुसार इस पेड़ में भगवान विष्णु का निवास माना जाता है।प्राचीन समय में इस पेड की पुजा की जाती थी । इस पेड़ को काटना महापाप माना जाता है। जिस जगह यह पेड होता है वह जगह अत्यंत शुभ मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि जिस घर में यह पेड़ पाया जाता है कि वह घर हमेशा धन धान्य से परिपूर्ण रहता है। यह पेड़ एक मात्र पश्चिमी राजस्थान में पाया जाता है इस पेड़ की गिनती दुर्लभ क्षेणी में होती है ।बबूल का गोद औषधीय गुणों से भरपूर होता है तथा अनेक रोगों के उपचार में काम आता है बबूल की हरी पतली टहनियां दातून के काम आती हैं।बबूल का गोद उतम कोटि का होता है जो औषधीय गुणों से भरपूर होता है तथा सेकडो रोगों के उपचार में काम आता है ।बबूल की दातुन दांतों को स्वच्छ और स्वस्थ रखती है। बबूल की लकड़ी का कोयला भी अच्छा होता है। हमारे यहां दो तरह के बबूल अधिकतर पाए और उगाये जाते हैं। एक देशी बबूल जो देर से होता है और दूसरा मासकीट नामक बबूल. बबूल लगा कर पानी के कटाव को रोका जा सकता है। जब रेगिस्तान अच्छी भूमि की ओर फैलने लगता है, तब बबूल के जगंल लगा कर रेगिस्तान के इस आक्रमण को रोका जा सकता है।
इसके फायदे जानकर चौंक जाएंगे-
1) कमर दर्द में बबूल की छाल, फली और गोंद को बराबर मात्रा में पीस लें। फिर इसकी एक चम्मच मात्रा को दिन में 3 बार सेवन करने से कमर दर्द में राहत मिलती है। सिर दर्द में पानी में बबूल की गोंद घिसकर लगाने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
2) खांसी में बबूल की गोंद को मुंह में रखकर चूसने से खांसी ठीक हो जाती है। यदि शरीर का कोई हिस्सा जल गया हो तो बबूल के गोंद को पानी में घोलकर शरीर के जले हुए हिस्से पर लगाने से जलन दूर हो जाती है। मधुमेह में बबूल के गोंद का पाउडर गाय के दूध के साथ दिन में 3 बार लेने से आराम मिलता है।
3) शारीरिक शक्ति को बढ़ाने के लिए बबूल के गोंद को घी के साथ तलकर उसमे दोगुनु मात्रा में चीनी मिला दें। इसे रोजाना 20 ग्राम की मात्रा को मुंह में रखकर चूसने से शरीर में ताकत का संचार होता है।