कई बार देखा और सुना गया हैं कि महिलाएं प्रसव के बाद अपने बच्चों को दुध नहीं पिलाती हैं। उनकी सोच इतरह की होती हैं कि दुध पिलाने से शरीर कमजोर और उनके स्तन का आकार खराब हो जायेगा। इस भ्रम में माताऐं फँस कर अपना और बच्चे दोनों का स्वास्थ खराब कर लेती हैं। बच्चे को दूध पिलाना के मां लिए भी बहुत ही फायदेमंद होता है क्योंकि नियमित स्तनपान कराने से उनका वजन संतुलन में होता हैं और माँ व बच्चे के बीच एक भावनात्मक जुड़ाव पैदा होता है। मां का दूध बच्चे के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास के लिए बहुत जरूरी है, मां के दूध में वो सभी पौस्टिक तत्व पाए जाते हैं जो बच्चों को सेहतमंद रखता हैं।
मां के दूध से बच्चे की रागे प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता हैं और यह बच्चा को पीलिया, कमजोरी, कुपोषण जैसे रोगोगो से दूर रखता है।-
सामान्य प्रसव में बच्चे को जन्म के आधा घंटे के अंदर मां का दूध पिलाना लाभकारी होता हैं। सीजेरियन डिलेवरी के दौरान भी जन्म के 4 घंटे बाद बच्चे को मां का दूध पिलाया जा सकता है। क्याकि सीजेरियन डिलेवरी के दौरान दिए गए एनेस्थिसिया का असर 4 घंटे में समाप्त हो जाता है।