Home जानिए खराब आदतों के निशाने पर लिवर, जानें इसे स्वस्थ रखने के उपाय..

खराब आदतों के निशाने पर लिवर, जानें इसे स्वस्थ रखने के उपाय..




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लिवर जब बीमार होता है तो शरीर में कई समस्याएं सिर उठाने लगती हैं। अस्वस्थ जीवनशैली, खान-पान की खराब आदतें और लंबे समय तक शरीर में आ रहे बदलावों को नजरअंदाज करना लिवर से जुड़ी परेशानियों को बढ़ा देता है।शरीर की पांच सौ से अधिक गतिविधियों में लिवर की भूमिका होती है। शरीर के मेटाबॉलिज्म को ठीक रखने का काम लिवर का ही होता है। खाने से बनने वाली ऊर्जा को बनाए रखने से लेकर शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को साफ करने का काम भी लिवर ही करता है। खून को शरीर का दर्पण कहते हैं और इस दर्पण को साफ रखने में भी लिवर की खास भूमिका होती है। हमारे रक्त से अपशिष्ट पदार्थों को फिल्टर करने का काम भी लिवर के ही जिम्मे है। ऐसे में लिवर में जरा सी भी परेशानी कई तरह की बीमारियों को न्योता दे सकती है।

कहीं आपका लिवर खतरे में तो नहीं:लिवर अंग और ग्रंथि दोनों है। यह सैकड़ों रासायनिक क्रियाओं में सहायता करता है, जो हमें जीवित रखने के लिए जरूरी है। इसके अलावा कई रसायनों का स्राव भी लिवर से होता है। लिवर शरीर के विभिन्न अंगों की अच्छी सेहत में भूमिका निभाता है, लेकिन लिवर की सेहत अगर ज्यादा बिगड़ती है तो उसकी भरपाई करना आसान नहीं होता। रोजमर्रा की भागदौड़ में अकसर हम अपने शरीर के लक्षणों पर ध्यान नहीं देते हैं। हालांकि, अलग-अलग रोगों के लक्षण अलग होते हैं, पर लिवर संबंधी रोगों में कुछ सामान्य लक्षण ऐसे होते हैं….

– त्वचा और आंखों का पीला पड़ना
– पेट या पैर की एड़ियों के पास सूजन
– उल्टी आना
– भूख कम लगना
– बार-बार चक्कर आना
– खुजली महसूस होना
– गहरे रंग का पेशाब
– मल त्याग में खून आना

प्रमुख समस्याएं:—

हेपेटाइटिस:हेपेटाइटिस लिवर से जुड़ी सबसे बड़ी समस्या है। लिवर में होने वाले वायरल इंफेक्शन की वजह से हेपेटाइटिस होता है। इससे लिवर में सूजन आ जाती है और लिवर पूरी तरह खराब भी हो सकता है। हेपेटाइटिस पांच प्रकार का होता है- हेपेटाइटिस ए बी सी डी और ई। हेपेटाइटिस ए और ई आमतौर पर दूषित पानी और भोजन के सेवन से होता है। यह बच्चों और वयस्कों को अधिक होता है। उन क्षेत्रों में अधिक होता है, जहां भीड-भाड़ बहुत होती है और साफ-सफाई की उचित व्यवस्था नहीं होती। वहीं हेपेटाइटिस बी, सी, और डी संक्रमित व्यक्ति के रक्त अथवा अन्य द्रव्य पदार्थों के संपर्क में आने से होता है। इसमें टाइप ए और सी के संक्रमण को गंभीर माना जाता है, जो आगे चलकर लिवर सिरोसिस और कैंसर का कारण बन सकता है। टाइप ए और बी से बचाव के लिए टीकाकरण उपलब्ध है। टाइप सी और ई के लिए कोई टीकाकरण नहीं है।

लिवर सिरोसिस:लिवर सिरोसिस में लिवर स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो जाता है। लिवर का आकार सिकुड़ने लगता है और वो सख्त होने लगता है। इस रोग में लिवर की कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं और उनकी जगह फाइबर तंतु ले लेते हैं। गलत खान-पान की आदतों और शराब के अत्यधिक सेवन से ये समस्या पैदा होती है। कई बार ज्यादा वसायुक्त और मांसाहारी खाने से भी ये समस्या पैदा हो सकती है। खून में कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना और कुछखास दवाओं के कारण भी यह समस्या होती है। इस समस्या के हद से बढ़ने के बाद इसका उपचार सिर्फ लिवर ट्रांसप्लांट के रूप में सामने आता है।

लिवर कैंसर:लिवर में विकसित होने वाला कैंसर लिवर की कोशिकाओं को नष्ट कर देता है। लिवर कैंसर दो तरह से होता है। पहला, जो लिवर कोशिकाओं से ही शुरू होता है। दूसरा, जो दूसरे अंगों से शुरू होकर लिवर तक पहुंचता है। लिवर सिरोसिस, फैटी लिवर या हेपेटाइटिस का बढ़ जाना भी लिवर कैंसर का कारण हो सकता है। गहन जांच के बाद कैंसर रेडिएशन, कीमोथेरेपी, सर्जरी आदि से उपचार होता है। गंभीर मामलों में ट्रांसप्लांट भी किया जाता है।

पीलिया:यह सबसे आम समस्या है। इसमें त्वचा और आंखों का रंग पीला पड़ जाता है। हमारे शरीर में लाल रक्त कणिकाएं चार माह में अपने आप टूट जाती हैं। बिलिरूबिन इसके उप-उत्पाद के रूप में बनता है। खून से लिवर में जाता है और वहां गॉल ब्लेडर में शामिल होने वाले बाइल से मिल जाता है। वहां से यह पेशाब और मल के जरिए बाहर निकलता है। पर जब यह प्रक्रिया गड़बड़ाती है तो शरीर में बिलिरूबिन का स्तर बढ़ जाता है। दवाओं और खान-पान में सुधार से उपचार किया जाता है। पीलिया में लापरवाही जानलेवा भी बन सकती है।

फैटी लिवर:लिवर कोशिकाओं में वसा के जमने से फैटी लिवर की समस्या पैदा होती है। जरूरत से ज्यादा मात्रा में फैट जमा होने से लिवर के टिश्यू सख्त हो जाते हैं। फैटी लिवर से जुड़ी समस्या दो तरह की है। एक, एल्कोहॉलिक फैटी लिवर, जो शराब के ज्यादा सेवन से होता है। दूसरी, नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर, जो अन्य कारणों से होता है। यूं इसके स्पष्ट लक्षण सामने नहीं आते, पर कुछलोगों में बहुत अधिक थकान और लिवर का आकार बढ़ने के तौर पर इसके लक्षण दिखते हैं। मोटापा, टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ितों में इसकी आशंका अधिक होती है। ए्प्रिरन, स्टेरॉएड का अधिक सेवन करने वालों को भी यह हो सकता है।

साफ पानी पिएं और ताजी चीजें खाएं:शरीर को जो भी पोषक तत्व और ऊर्जा चाहिए, वो लिवर के जरिए ही मिलते हैं। यदि हम खराब क्वालिटी का संक्रमित या तीखा, तला-भुना खाते हैं, नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं, तो इसका असर लिवर पर पड़ता है। गंभीर समस्या होने पर लिवर ट्रांसप्लांट का विकल्प है, पर यह महंगा है। इसकी नौबत ही ना आए, इसके लिए संतुलित भोजन और अच्छी जीवनशैली अपनाना जरूरी है। स्वस्थ लिवर के लिए जरूरी है कि मोटापा कम करें, साफ पानी पिएं, ताजी चीजें खाएं और किसी भी तरह के नशीले पदार्थों और दवाओं का इस्तेमाल ना करें।