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चल रही थी अंतिम संस्कार की तैयारी, पति की अंतिम इच्छा पत्नी ने ऐसे पूरी की…




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छिंदवाड़ा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइस का 1 अगस्त से सत्र प्रारंभ हो चुका है। वहीं कॉलेज को सोमवार को पहला देहदान मिल गया, जिस पर एमबीबीएस के स्टूडेंट प्रैक्टिकल कर सकेंगे। वार्ड नंबर दो फैंडस कॉलोनी निवासी रिटायर्ड बैंक कैशियर सत्यप्रकाश शुक्ला का रविवार को दुर्ग छत्तीसगढ़ में ह्दयघात से निधन हो गया। सत्यप्रकाश अपनी पुत्री के ससुर की तेहरवी में शामिल होने गए थे। सोमवार की सुबह उनका शव छिंदवाड़ा उनके निवास स्थान लाया गया। परिजन जब उनकी अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे इसी दौरान उनकी पत्नी सुधा शुक्ला ने परिजनों को इस बात की सूचना दी कि जिंदा रहने के दौरान पति ने यह अंतिम इच्छा जाहिर की थी कि उनकी मौत के बाद उनके शव को मेडिकल कॉलेज को दान कर दिया जाए।

परिजनों ने जिला अस्पताल के सीएस डॉ सुशील राठी से संपर्क कर देहदान की बात बताई, जिसके बाद मेडिकल कॉलेज प्रबंधन से संपर्क कर परिजनों ने सभी तरह की औपचारिकताएं पूर्ण की। जिसके बाद शव को मेडिकल कॉलेज को सौंपा गया जिसे फ्रीजर में रखवाया गया। कॉलेज की कक्षाएं शुरू हो चुकी है इस दौरान एमबीबीएस के विद्यार्थी प्रैक्टिकल करेंगे।

देहदान का जिले में पहला मामला

मेडिकल कॉलेज में प्रैक्टिकल के लिए मानव शरीर की आवश्यकता पड़ती है। कॉलेज का सत्र अगस्त से शुरू हुआ है। प्रदेश के अन्य मेडिकल कॉलेज में देहदान के कई मामले आते है। मेडिकल कॉलेज को आने वाले दिनों में और आवश्यकता पड़ेगी ऐसे में जिला प्रशासन व मेडिकल कॉलेज लगातार प्रयासरत है जिस पर एमबीबीएस विद्यार्थी प्रैक्टिकल करेंगे। डॉक्टर्स के मुताबिक एक देह से दस डॉक्टर सीखते हैं।

प्रयास कर रहे हैं

मेडिकल के लिए पहली बॉडी देहदान में मिली है, जिस पर एमबीबीएस के विद्यार्थी प्रैक्टिकल कर सकेंगे। कॉलेज को और बॉडी उपलब्ध कराई जा सके। जिसको लेकर प्रयास किए जा रहे है। प्रशासन की स्वीकृति के बाद अज्ञात बॉडी जिनके वारसान नहीं मिलते है वह स्वीकृत कराई जा सकती है।

जिले में देहदान का पहला मामला सामने आने के बाद शहर के लोग सीनियर सिटीजन सत्यप्रकाश के इस निर्णय का स्वागत कर रहे है। लोगों का मानना है कि लोगों को आगे आना चाहिए। मौत के बाद बॉडी मेडिकल कॉलेज को देने से वहां पढ़ने वाले विद्यार्थी प्रैक्टिकल कर सकेंगे। इस बात को लेकर लोगों में जागरुकता नहीं है। देहदान के साथ ही पूर्व में कई लोग आगे आए है जिन्होंने मरने के बाद नेत्रदान करने का निर्णय लिया है। लोगों का कहना है कि जिले में भले ही यह पहला मामला हो, लेकिन अब लोगों में जागरूकता भी आएगा।