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वीएस नायपॉल को इस किताब के लिए नोबेल प्राइज से नवाजे गए थे जानिए…




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नायपॉल को 1971 में बुकर प्राइज़ और साल 2001 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था

साहित्य के दो सबसे श्रेष्ठ सम्मानों से सम्मानित होने वाले भारतीय मूल के प्रसिद्ध लेखक वीएस नायपॉल V.S Naipaul का आज जन्मदिन है. आज से 87 वर्ष पहले इसी दिन 17 अगस्त,1932 को उनका जन्म ट्रिनिडाड के चगवानस में हुआ था. बीते ही वर्ष इसी अगस्त महीने की 12 तारीख को उनकी मृत्यु भी हो गई. नॉयपाल आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी किताबें, उनके लेख और उनकी प्रसिद्धि सालों साल हमारे बीच जिंदा रहेंगी.

वीएस नायपॉल का पूरा नाम विद्याधर सूरज प्रसाद नायपॉल था. सन् 1880 में मजदूरी के लिए उनका पूरा परिवार भारत से ट्रिनिडाड आकर बस गया. लेकिन बाद में वहां रहते हुए उनके पिता एक अंग्रेजी अखबार में जर्नलिस्ट बन गए. नायपॉल के पिता के मन में लेखकों के लिए काफी सम्मान था. वो अंदर ही अंदर चाहते थे कि उनके बच्चे लेखक बनें.

ठीक ऐसा ही हुआ. ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी करने के बाद नायपॉल ने लेखन की दुनिया में प्रवेश किया. नायपॉल की पहली किताब ‘द मिस्टिक मैसर’ 1951 में प्रकाशित हुई थी. 50 सालों में उन्होंने करीबन 30 किताबें लिख डालीं. उनके भाई शिवा नायपॉल भी लेखक हैं.

वो किताबें जिनके लिए नेयपॉल को बुकर और नॉवेल पुरस्कार मिला नायपॉल को 1971 में बुकर प्राइज़ और साल 2001 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

उनकी किताब ‘In a free state’ को बुकर. वहीं साल 2001 में उन्हें नोवेल प्राइज से नवाजा गया.

इस्लाम धर्म के आलोचक थे नायपॉल नायपॉल अपने बयानों को लेकर भी चर्चा में रहते थे. उन्होंने इस्लाम की ख़ूब आलोचना की. उनका मानना था कि इस्लाम ने लोगों को ग़ुलाम बनाया और दूसरों की संस्कृतियों को नष्ट करने की कोशिश की.