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हमेशा से दिल्ली बसी थी अरुण जेटली के दिल में, दिल्ली यूनिवर्सिटी से शुरू हुई थी राजनीतिक पारी




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 • 66 वर्ष से अधिक समय का दिल्ली का साथ अंततः छूट गया
• स्कूली शिक्षा, कॉमर्स ग्रेजुएट और लॉ की डिग्री दिल्ली से ही प्राप्त की
• वर्ष 2002 में दिल्ली भाजपा के प्रभारी बने
• चुनाव प्रचार एवं रणनीति बनाने में माहिर थे
• डीडीसीए के अध्यक्ष एवं दिल्ली विश्वविद्यालय कोर्ट के सदस्य रहेअरुण जेटली का 66 वर्ष से अधिक समय का दिल्ली का साथ आखिरकार छूट गया। वर्ष 1952 में दिल्ली में जन्म हुआ, दिल्ली के सेंट जेवियर्स स्कूल में शिक्षा प्राप्त की, दिल्ली विश्वविद्यालय के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से वाणिज्य में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और दिल्ली विश्वविद्यालय से ही लॉ की डिग्री उत्तीर्ण की। दिल्ली के राजनीतिक गलियारे में विशेषकर भारतीय जनता पार्टी में अरुण जेटली एक मजबूत स्तंभ के रूप में स्थापित रहे।

दिल्ली के सभी फैसलों में जेटली की अहम भूमिका वर्ष 2002 में दिल्ली भाजपा का प्रभारी बनने के उपरान्त पिछले 17 वर्षों में प्रदेश भाजपा संबंधी फैसले चाहे वह अध्यक्ष की नियुक्ति हो, मुख्यमंत्री का चेहरा निर्धारित करना हो, निगम के महापौर व स्थायी समिति का अध्यक्ष या लोकसभा, विधानसभा एवं निगमों के उम्मीदवार हों, सभी फैसलों में अरुण जेटली की महत्ती भूमिका रही थी। चुनाव प्रचार एवं रणनीति बनाने में वे माहिर माने जाते थे, वर्ष 1990 तक दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनाव में भी वह समय देते और छात्र नेताओं का मार्गदर्शन करते रहे। दिल्ली की राजनीति से उनका जुड़ाव वर्ष 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष के तौर पर हुआ। उस समय देश में आपतकाल लगा तो जयप्रकाश नारायण के आहवान की अलख जगा गिरफ्तार हो गए और दिल्ली की राजनीति का अहम चेहरा बन गए।

केजरीवाल की माफी पर दी माफी

आपतकाल के खत्म होने के बाद जनता पार्टी अध्यक्ष चंद्रशेखर ने उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य नियुक्त किया, जेटली कुछ समय तक दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के अध्यक्ष भी रहे। दिल्ली के राजनितिक परिदृश्य का आंकलन करने में उनका कोई सानी नहीं था। डीडीसीए के अध्यक्ष एवं दिल्ली विश्वविद्यालय कोर्ट के सदस्य रहे, दिल्ली में कार्यरत विपक्षी नेतों से भी उनके मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं।

दिल्ली के वर्तमान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आरोपित मानसिकता से व्यथित अरुण जेटली ने उनके विरुद्ध जरूर मानहानी एवं अपराधिक मुकद्दमा दर्ज किया, लेकिन उनके माफी मांगने के बाद बड़ा दिल दिखा कर उन्हें माफ भी कर दिया।

कई लोगों मदद की थी

निगम, विधानसभा व संसद का चुनाव लड़ने वाले आर्थिक रूप से कमजोर कई उम्मीदवारों की जेटली ने आर्थिक मदद भी की। अरुण जेटली भारतीय जनता पार्टी ही नहीं देशभर के एकमात्र ऐसे राजनेता रहे जो हिन्दी व अंग्रेजी में धाराप्रवाह बोल सकते थे, विचार व्यक्त कर सकते थे। उनका निधन देश विशेषकर दिल्ली के लिए तो एक अपूरणीय क्षति है।