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Ganpati Special : देश के ‘ये’ हैं सबसे बड़े गणपति मंदिर, जहां बॉलीवुड स्टार भी टेकते हैं मत्था




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देशभर में 2 सितंबर को गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाएगा। गणेशोत्सव को लेकर सभी लोग तैयारियों में जुट गए हैं। बात करें महाराष्ट्र की तो यहां सबसे ज्यादा धूमधाम से गणेशोत्सव मनाया जाता है। भारत में भगवान गणेश के मंदिर के रूप में सिद्धिविनायक मंदिर ज्यादा प्रसिद्ध है लेकिन इसके अलावा भी बहुत से प्राचीन मंदिर हैं जिन पर भक्तों का अटूट विश्वास हैं। इन मंदिरों में दर्शन मात्र से ही भक्तों के कष्टों का निवारण हो जाता है।

श्री सिद्धिविनायक मंदिर – 
यह भारत में गणेशजी के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से पहले स्‍थान पर है। इसे एक निसंतान महिला की आस्‍था पर बनवाया गया था। यहां रोजाना लाखों की संख्‍या में भक्‍त आते हैं। यह मंदिर मुंबई में स्थित है। बॉलिवुड सिलेब्रिटीज यहां अक्‍सर देखने को मिल जाते हैं।

श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई मंदिर – 
महाराष्‍ट्र में सिद्धिविनायक मंदिर के साथ बाद यह दूसरा सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। पुणे स्थित इस मंदिर के दर्शन करने देश भर से लोग आते हैं। इस मंदिर के ट्रस्ट को देश के सबसे अमीर ट्रस्ट का खिताब हासिल है। कहा जाता है कि कई साल पहले श्रीमंत दगडूशेठ और उनकी पत्नी लक्ष्मीबाई ने अपना इकलौता बेटा प्लेग में खो दिया था। जिसके बाद दोनों ने इस गणेश मूर्ति की स्थापना यहां करवाई थी।

कनिपकम विनायक मंदिर चित्तूर – 
यह मंदिर आंध प्रदेश के चित्‍तूर जिले में तिरूपति मंदिर से 75 किमी दूर स्थित है। यह मंदिर अपने प्राचीन ऐतिहासिक शिल्‍प कला और खूबसूरत डिजायन के लिए विख्‍यात है। यहां दर्शन के लिए आने वाले भक्‍त अपने पाप धोने के लिए मंदिर के पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं। इस मंदिर की खासियत यह है कि ये विशाल मंदिर नदी के बीचों बीच बना हुआ है। इस मंदिर की स्थापना 11वीं सदी में चोल राजा कुलोतुंग चोल प्रथम ने की थी।जिसका विस्तार बाद में 1336 में विजयनगर साम्राज्य में किया गया।

मनकुला विनायक मंदिर, पुडुचेरी – 
भारत के सर्वाध‍िक प्राचीन मंदिरों में से एक इस मंदिर को 1666 साल पहले बनवाया गया था। जब पुडुचेरी फ्रांस के अधीन था। इस मंदिर के बारे में मान्‍यता है कि यहां भगवान गणेश की प्रतिमा को कई बार समुद्र में फेंक दिया गया था, लेकिन यह उसी स्‍थान पर फिर से रोजाना प्रकट हो जाती थी। यहां ब्रह्मोत्‍सव और गणेश चतुर्थी हर साल बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। किसी जमाने में यहां गणेश मूर्ति के आसपास बालू ही बालू था। इसलिए लोग इन्हें मनकुला विनयागर पुकारने लगे।

मधुर महागणपति मंदिर, केरल – 
दसवीं शताब्‍दी में बना यह अति प्राचीन मंदिर मधुवाहिनी नदी के किनारे स्थित है। माना जाता है कि यहां स्थित भगवान गणेश की मूर्ति न ही मिट्टी की बनी है और न ही किसी पत्‍थर की। बल्कि यह अलग प्रकार के तत्‍व से बनी है। कहा जाता है कि शुरुआत में ये भगवान शिव का मंदिर था लेकिन पुजारी के छोटे से बेटे ने मंदिर की दीवार पर भगवान गणेश की प्रतिमा का निर्माण किया। कहते हैं मंदिर के गर्भगृह की दीवार पर बनाई हुई बच्चे की प्रतिमा धीरे-धीरे अपना आकार बढ़ाने लगी। वो हर दिन बड़ी और मोटी होती गई। उस समय से ये मंदिर भगवान गणेश का बेहद खास मंदिर हो गया।

रणथंभौर गणेश मंदिर, राजस्थान – 
राजस्थान के सवाई माधौपुर से लगभग 10 किमी. दूर रणथंभौर के किले में बना गणेश मंदिर भगवान को चिट्ठी भेजे जाने के लिए मशहूर है। खास बात यह है कि यहां रहने वाले लोगों के घर जब कभी कोई मंगल कार्य होता है तो वो सबसे पहले रणथंभौर वाले गणेश जी के नाम कार्ड भेजना बिल्कुल नहीं भूलते। भक्‍तजन यहां गणेशजी के ‘त्रिनेत्र’ स्‍वरूप के दर्शन करने आते हैं। करीब 1000 साल पुराना यह मंदिर रणथंबौर किले में सबसे ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर 10वीं सदी में रणथंभौर के राजा हमीर ने बनवाया था।

मोती डूंगरी गणेश मंदिर, जयपुर – 
जयपुर में सेठ जय राम पालीवाल ने 18वीं शताब्‍दी में य‍ह मंदिर बनवाया था। छोटे से पहाड़ पर स्थित यह मंदिर जयपुर के मुख्‍य टूरिस्‍ट स्‍पॉट में से एक है। यहां पर जयपुर की महारानी गायत्री देवी का महल ‘मोती डूंगरी पैलेस’ भी सिथत है। ‘गणेश चतुर्थी’ के अवसर पर यहां काफी भीड़ रहती है।

गणेश टोक मंदिर, गंगटोक – 
गंगटोक के प्रसिद्ध टूरिस्‍ट स्‍पॉट में से एक यह मंदिर अपनी खूबसूरती और प्‍यारी लोकेशन के लिए प्रसिद्ध है। बौद्ध धर्म के अनुयायियों के इस स्‍थान पर गणेशजी का मंदिर यहां आने वाले टूरिस्‍टों के लिए आस्‍था का प्रमुख केंद्र है। मंदिर के लिए तीन मंजिले मकान के बराबर सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। मंदिर के अंदर नेपाली पुजारी तैनात दिखाई देते हैं। वे भक्तों को प्रसाद देते हैं और हाथों में कलावा बांध देते हैं।

गणपतिपुले मंदिर, रत्नागिरी, महाराष्ट्र – 
इस मंदिक की खासियत यह है कि यहां मौजूद भगवान गणेश की मूर्ति उत्तर दिशा में नहीं बल्कि पश्चिम दिशा की ओर हैं। यहां आने वाले लोगों का मानना है कि इस मंदिर में गणेश जी की स्थापना किसी व्यक्ति ने खुद नहीं की बल्कि यह मूर्ति स्वयं प्रकट हुई है।

उच्ची पिल्लयार मंदिर, तमिलनाडु – 
भगवान गणेश के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है उच्ची पिल्लयार मंदिर, जो कि तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली (त्रिचि) नामक स्थान पर रॉक फोर्ट पहाड़ी की चोटी पर बसा बसा हुआ है। यह मंदिर लगभग 273 फुट की ऊंचाई पर है और मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 400 सीढ़ियों की चढ़ाई करनी पड़ती है। पहाड़ों पर होने की वजह से यहां का नजारा बहुत ही सुंदर और देखने योग्य होता है। मान्यता है इस मंदिर की कहानी रावण के भाई विभीषण से जुड़ी है। यहां विभीषण ने एक बार भगवान गणेश पर वार किया था।