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पाकिस्तान से एक नया खतरा, जानवरों पर भी है कड़ी नजर, सीमा पर अलर्ट




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पाकिस्तान से एक बार फिर भारत को नया खतरा पैदा हो गया है. बीएसएफ के जवानों की बार्डर पर दुश्मनों के साथ-साथ वहां के जानवरों पर भी कड़ी नजर है. इस बार खतरा पाकिस्तान के जानवरों से है. पाकिस्तान में फैले कांगो हेमेरेजिक फीवर ने भारत में भी पैर पसारने का खतरा पैदा कर दिया है.

भारत सरकार और राजस्थान सरकार ने बॉर्डर से सटे सभी इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया है. पाकिस्तान में इस रोग के फैलने के बाद राजस्थान के चिकित्सा विभाग ने बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, श्रीगंगानगर और जोधपुर के इलाके में स्वास्थ्य विभाग की टीम भेज दी है.

कांगो हेमेरेजिक फीवर

गुजरात में भी क्रीमियन कांगो हेमेरेजिक फीवर बीमारी (सीसीएचएफ) फैलने का खतरा पैदा हो गया है. इसके रोगियों की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए केंद्र सरकार भी चिंतिति है और सरकार ने भी नेशनल सेंटर डिसीज ऑफ कंट्रोल की 2 सदस्य टीम को स्थिति का जायजा लेने के लिए राजस्थान भिजवाया है.

राजस्थान से लगते पाकिस्तान के सिंध प्रांत में सीसीएचएफ कांगो रोग के अब 45 रोगी सामने आ चुके हैं, जिसमें 16 की मौत हो चुकी है. यह रोग अब भारत के लिए खतरा बनता जा रहा है. इस रोग के 2 संदिग्ध रोगी जोधपुर में मिले हैं. हालांकि, उनमें कांगो रोग की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन चिकित्सक संदेह जता रहे हैं कि उनमें कांगो रोग हो सकता है. इसके अलावा बाड़मेर के एक रोगी की जोधपुर में मृत्यु हुई है, उसमें भी कांगो रोग के कीटाणु होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.

वायरस फैलने का खतरा

विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान से भारत आ-जा रहे लोगों में इस बीमारी का वायरस फैलने का खतरा है. सीमा पार कर आ रहे मवेशी और पालतु पशुओं से भी अब खतरा जताया जा रहा है.

बता दें कि राजस्थान के पाकिस्तान से लगती सीमा पर कई बार मवेशी इस पार आ जाते हैं. इन मवेशियों के शरीर पर सीसीएचएफ वायरस की वाहक हायलोमा चींचड़ चिपके रहने से वायरस के भारत के मवेशियों पर आने की आशंका रहती है.

पश्चिमी राजस्थान के जोधपुर जिले में कांगो फीवर के दो मामले सामने आए हैं. जोधपुर के एक शख्स का गुजरात के अहमदाबाद में हुए टेस्ट में सामने आया कि उसे कांगो फीवर हुआ है.

क्या हैं बीमारी के लक्षण

मुख्य चिकित्सा अधिकारी भूपेंद्र बारूपाल ने बताया, ‘यह बीमारी हिमोरल नामक परजीवी से फैलती है, इसलिए इसकी चपेट में आने का खतरा उन लोगों को ज्यादा होता है जो गाय, भैंस, बकरी, भेड़ आदि जनावरों को पालते हैं. सीसीएचएफ बीमारी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा रीबावेरीन ज्यादा कारगर नहीं है.

यह एक वायरसजनित बीमारी है. इसमें सबसे पहले तेज बुखार, जी मचली, सिरदर्द, मसल्स, गर्दन व पीठ में दर्द होता है. इसके बाद उल्टी, दस्त, पेट दर्द और गले में खरास शुरू होने के बाद शरीर में ब्लीडिंग शुरू हो जाती है.’