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मोदी सरकार करने जा रही है ऐसा काम, सूचना के लिए नहीं पड़ेगी आरटीआई लगाने की जरूरत




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केंद्र सरकार जल्द ही मंत्रालयों और विभागों के कामों में पारदर्शिता लाने के लिए एक बड़ी योजना पर काम कर रही है। अगर सरकार की इस योजना पर अमल हुआ तो आरटीआई लगाने वालों की संख्या घट जाएगी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का कहना है कि सब कुछ इतना पारदर्शी हो जाएगा कि लोगों को आरटीआई लगाने की जरुरत ही नहीं पड़ेगी। सरकार खुद आगे आकर सारी सूचनाएं जनता के सामने रख देगी। किसी मंत्रालय या विभाग में कौन सा टेंडर लगा है, उसकी क्या शर्तें हैं, कौन-कौन आवेदक हैं, किस आवेदक के कितने नंबर बनते हैं, टेंडर प्रक्रिया और परिणाम, यह सब वेबसाइट पर उपलब्ध रहेगा।


जनता, आवेदक और टेंडर अलॉट करने वाली संस्था, सारी कार्यवाही देख सकेंगे। केंद्रीय गृह मंत्री का कहना है कि जब इतना कुछ पारदर्शी हो जाएगा कि आरटीआई लगाने की जरुरत ही नहीं पड़ेगी।

संसाधन बचाने के लिए ड्रोन का उपयोग

शनिवार को केंद्रीय सूचना आयोग के 14वें स्थापना दिवस समारोह में बोलते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यह बात कही है। उन्होंने संसाधन बचाने का एक उदाहरण देते हुए बताया कि केदारनाथ में विकास कार्यों पर किस तरह नजर रखी जा रही है। एक ऐसी तकनीक, जिसमें भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश नहीं होती है और पारदर्शिता सौ फीसदी रहती है। वहां चल रहे विकास कार्यों पर निगरानी रखने के लिए ड्रोन की मदद ली जा रही है। अधिकारी अपने दफ्तर में बैठकर विकास कार्यों पर नजर रख रहे हैं। छोटे से छोटा कार्य ऑनलाइन होता है।

जैम पोर्टल है उदाहरण

शाह ने एक दूसरा उदाहरण जैम पोर्टल का बताया। lउन्होंने कहा कि शनिवार को वे सुबह खुद इस पोर्टल को चेक करके आए हैं। खरीददार और सप्लायर, सब प्रक्रिया का हिस्सा बन रहे हैं। सारी सूचनाएं लोगों के सामने हैं। इसके अलावा डैश बोर्ड भी बहुत काम की चीज है। किस गांव में कब शौचालय बनेगा, सिलेंडर का नंबर कब आएगा, सौभाग्य और दूसरी योजनाओं का पल-पल का अपडेट वेबसाइट पर उपलब्ध है। थानों में ऑनलाइन एफआईआर हो रही है, उसका प्रगति रिपोर्ट भी ऑनलाइन देख सकते हैं।

सरकारी जानकारी को लोगों तक पहुंचाएं सूचना अधिकारी

गृहमंत्री अमित शाह ने केंद्रीय सूचना आयोग से आग्रह किया कि वे सरकार की सभी सूचनाएं लोगों तक पहुंचाने में मदद करें। चूंकि देशभर में करीब पांच लाख सूचना अधिकारी हैं, इसलिए वे इस काम में सरकार की सहायता कर सकते हैं। सूचना अधिकारी लोगों के बीच रहते हैं, लिहाजा वे सुगमता से सरकारी कदमों की जानकारी लोगों तक पहुंचाने में सक्षम हैं।

इसके लिए आयोग के सदस्य प्रेसवार्ता करें। इसका फायदा यह होगा कि लोगों को सूचना लेने के लिए आरटीआई लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। उन्हें वे सभी सूचनाएं पहले ही मिल जाएंगी। मोदी सरकार ने इस दिशा में काम शुरु कर दिया है। आने वाले समय में इसका असर उस वक्त दिखेगा, जब आरटीआई आवेदकों की संख्या तेजी से घटने लगेगी।