Home जानिए जानिए रामायण के बारे में ये महत्वपूर्ण जानकारी.

जानिए रामायण के बारे में ये महत्वपूर्ण जानकारी.




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क्या सच में भगवान राम ने विशाल समुद्र को पार करके रावण से युद्ध किया था? हालांकि हमारे धार्मिक साहित्य में इन घटनाओं के कई साक्ष्य दर्ज हैं और वे उन किस्से-कहानियों से कहीं ज़्यादा महत्व रखते हैं। बहरहाल आश्चर्य की बात यह है की श्रीलंका में 5 ऐसी जगह आज भी मौजूद है जो रामायण की सत्यता को पूरी तरह से प्रमाणित करती है।

1 – लंकापति रावण ने देवी सीता को तीन अलग-अलग जगहों पर रखा था।
रामायण के अनुसार सीता हरण के बाद रावण ने सबसे पहले देवी सीता को यहां एक गुफा में रखा था और उस गुफा का प्रवेश द्वार बिल्कुल किंग कोबरा सांप के सिर जैसा था। लेकिन बाद में जब सीता ने वहां रहने से मना कर दिया तो तब उन्हें अशोक वाटिका में स्थानांतरित कर दिया गया। अशोक वाटिका में सीता जिस पेड़ के नीचे बैठती थीं, यहां वह जगह सीता एलिया के नाम से प्रसिद्ध है। वर्ष 2007 में श्रीलंका सरकार ने एक खोज के माध्यम से दावा किया है कि अशोक वाटिका ही दरअसल सीता एलिया है। हनुमान द्वारा लंका जलाये जाने के बाद देवी सीता को अशोक वाटिका से कट्टु गाला स्थानांतरित किया गया। यहां श्रीलंका के पुरातात्विक विभाग के अनुसार, उस जगह में खुदाई के दौरान ऐसी कई गुफाएं मिली जो सीधा रावण के महल तक जाती हैं।

2 – श्रीलंका में हनुमान जी के पदचिन्ह
महाकाव्य के अनुसार हनुमान जी जब देवी सीता की खोज में निकले तब उनको यहां एक विशाल समुद्र पार करना पड़ा और उसे पार करने के लिए उन्होंने एक विशालकाय रूप धारण किया। जब वो समुद्र पार करके लंका पहुंचे तब उनके पदचिन्ह (पैरों के निशान) वहां की भूमि पर छप गए। वे पदचिन्ह आज भी वहां देखे जा सकते हैं।

3 – श्रीलंका में संजीवनी बूटी का पाया जाना
हिंदु धर्म में मान्यता रखने वाला यहां हर व्यक्ति संजीवनी बूटी से परिचित होगा और यह वही औषधि थी जिससे भगवान श्री राम के छोटे भाई लक्षमण की जान बची थी। वैसे तो यह बूटी सिर्फ हिमालय में पाई जाती है, लेकिन श्रीलंका में इसका मिलना रामायण की सत्यता को और प्रमाणित करता है।

4 – एक विशाल हाथी द्वारा श्रीलंका का रक्षण
रामायण में सुन्दर कांड अध्याय के अनुसार लंका की रक्षा एक विशाल हाथी द्वारा किया जाता था, जिसका वध हनुमान जी ने युद्ध के दौरान किया था। देश के पुरातात्विक विभाग को यहां इस तरह के हाथी के अवशेषों के प्रमाण मिले हैं। जिसकी विशेषताएं महाकाव्य में वर्णित जीव से बहुत मिलती हैं जबकि असल हाथियों से काफी भिन्न हैं, जो की उस देश में तथा वहां के आस पास की अन्य जगहों पर पाए जाते हैं।