Home छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ : धर्म बदल कर प्रेम विवाह करने के मामले में सुनवाई...

छत्तीसगढ़ : धर्म बदल कर प्रेम विवाह करने के मामले में सुनवाई दो दिन बढ़ी




IMG-20240704-WA0019
IMG-20220701-WA0004
WhatsApp-Image-2022-08-01-at-12.15.40-PM
1658178730682
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.50-PM
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.48-PM

 छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने मुस्लिम युवक द्वारा हिन्दू धर्म अपनाने के बाद हिन्दू युवती से प्रेम विवाह करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई होने के कारण यहां पेश याचिका में सुनवाई दो दिन आगे बढ़ा दी है। धमतरी निवासी मुस्लिम युवक मोहम्मद इब्राहिम सिद्दिकी ने हिन्दू धर्म अपनाने के बाद धमतरी की हिन्दू युवती से रायपुर के आर्य समाज मंदिर में प्रेम विवाह किया है।

युवती के पिता ने विवाह को शून्य घोषित करने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिका में युवती को मानसिक रोगी होने और उसका उपचार चलने की बात कही गई। हाई कोर्ट ने मामले में युवती को बुलाकर पूछताछ की थी। कोर्ट ने युवती को पिता के साथ भेजने के बजाए उसे वन स्टॉप सखी सेंटर रायपुर में रखने का आदेश दिया है।

हाई कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ पिता ने सुप्रीम कोर्ट में अलग से याचिका दाखिल की है। हाई कोर्ट में लंबित मामले को सुनवाई के लिए सोमवार को चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन एवं जस्टिस पीपी साहू की डीबी में रखा गया। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट में कहा कि सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को इस मामले की सुनवाई होनी है। इस पर कोर्ट ने यहां चल रहे मामले की सुनवाई दो दिन बढ़ा दी है।

दुष्कर्म के आरोपित डॉक्टर को हाई कोर्ट से मिली अग्रिम जमानत

बिलासपुर हाई कोर्ट ने पीड़ित के विशाखा कमेटी के समक्ष दिए बयान व पुलिस रिपोर्ट मे अंतर होने पर दुष्कर्म के आरोपित डॉक्टर को अग्रिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। राज्य मानसिक रोग अस्पताल में सोशल वर्कर का काम करने वाली पीड़ित ने अस्पताल के चिकित्सक डॉ. बीके बनर्जी के खिलाफ 18 जुलाई 2019 को दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

रिपोर्ट में कहा गया कि डॉक्टर उसे 2015 से लगातार छेड़छाड़ करता था। 29 मई 2019 को घर आया व उसके साथ दुष्कर्म किया। पीड़ित की रिपोर्ट पर पुलिस ने डॉक्टर के खिलाफ जुर्म दर्ज किया है। गिरफ्तारी से बचने डॉक्टर ने हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत आवेदन पेश किया।

इसमें कहा गया कि आवेदक को झूठे मामले में फंसाया जा रहा है। पीड़िता ने जून 2019 को अस्पताल की विशाखा कमेटी में शिकायत की थी। कमेटी में पूछताछ के दौरान उसने अपने बयान में कहा कि आरोपित डॉक्टर 29 मई 2019 को घर आकर छेड़छाड़ करने लगा। उसके चिल्लाने पर वह भाग गया।

इसके बाद वह विशाखा कमेटी के समक्ष नोटिस के बावजूद उपस्थित नहीं हुई। साथ ही थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। इसमें दुष्कर्म का आरोप लगाया है। दोनों ही बयान में अंतर होने से मामला सिर्फ छेड़छाड़ का ही बनता है। जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल ने सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता को शर्त के साथ अग्रिम जमानत प्रदान किया है।