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फरीदाबाद – पलवल ने जताई भाजपा में आस्था, नौ में से सात सीटों पर खिला कमल…




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हरियाणा विधानसभा चुनाव में फरीदाबाद और पलवल जिले के मतदाताओं ने केंद्र और राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में आस्था जताई है। यहां के नौ विधानसभा क्षेत्रों में से सात पर कमल खिला है। कांग्रेस के खाते में मात्र एक सीट गई है। एक सीट निर्दलीय के खाते में गई।

पलवल जिले की जनता ने विपक्ष को नकार दिया है। यहां की पलवल, होडल और हथीन सीट में भाजपा ने परचम लहराया है। फरीदाबाद विधानसभा क्षेत्र से किस्मत आजमाने वाले भाजपा के नरेंद्र गुप्ता को कमतर आंका जा रहा था। मगर उन्होंने 21 हजार मतों के अंतर से जीत दर्जकर आलोचकों का मुंह बंद कर दिया है।

गुप्ता ने कांग्रेस के लखन सिंगला को परास्त किया।

बल्लभगढ़ से भाजपा विधायक मूलचंद शर्मा दोबारा निर्वाचित हुए हैं। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार पूर्व विधायक आनंद कौशिक को हराया। जनता ने उनका पूर्व विधायक का तमगा बरकरार रखा। कौशिक 2009 में फरीदाबाद से विधानसभा चुनाव जीते थे। इस बार उन्हें बल्लभगढ़ से टिकट दिया गया। उन्होंने करीब 25 हजार और निर्दलीय उम्मीदवार दीपक चौधरीको करीब साढ़े 18 हजार वोट मिले।

पृथला सीट जरूर भाजपा के खाते में नहीं आई। टिकट वितरण में बरती गई उदासीनता का खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ा। यहां से नयनपाल रावत को टिकट न देना भाजपा को भारी पड़ा। सोहनपाल छोकर की वजह से पार्टी की साख को बट्टा लगा। लोगों ने निर्दलीय और भाजपा के बागी नयनपाल रावत पर भरोसा जताया। वह करीब साढ़े 16 हजार वोटों से जीत गए। छोकर तीसरे स्थान पर रहे। उन्हें 22 हजार वोट मिले। दूसरे स्थान पर कांग्रेस के रघुबीर सिंह तेवतिया रहे। तेवतिया को करीब 48 हजार वोट मिले।

एनआईटी सीट भी भाजपा ने गंवा दी। यशवीर डागर को टिकट न देना पार्टी को महंगा पड़ा। नागेंद्र भड़ाना को टिकट देने से नाराज भाजपा कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस उम्मीदवार नीरज शर्मा की अंदरखाने मदद की और वह जीत गए। तिगांव सबसे हॉट सीट रही। यहां से केंद्रीयमंत्री कृष्णपाल गुर्जर के पुत्र देवेंद्र चौधरी टिकट मांग रहे थे। मगर भाजपा ने राजेश नागर पर दोबारा भरोसा जताया। यहां केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, मुख्यमंत्री मनोहर लाल और दिल्ली भाजपा अध्यक्ष सांसद मनोज तिवारी ने पहुंचकर फिजा बदल दी। गुर्जर ने जमकर प्रचार किया। नागर करीब 33 हजार के मार्जिन से चुनाव जीत गए। कांग्रेस उम्मीदवार ललित नागर की हार का कारण भीतरघात रहा।

साल 2014 में 36 हजार वोटों के मार्जिन से जीतने वालीं भाजपा उम्मीदवार सीमा त्रिखा को इस बार काफी पसीना बहाना पड़ा। कांग्रेस के विजय प्रताप ने उन्हें कड़ी टक्कर दी। किस्तम की धनी सीमा जीतने में कामयाब रहीं। पंजाबी वोटों ने सीमा त्रिखा की जीत में चार चांद लगा दिए।