अंग्रेजी हुकूमत का गवाह बना राजधानी रायपुर का पहला पुलिस थाना सिटी कोतवाली भवन को इंटीग्रेटेड स्वरूप देने का प्रस्ताव पुलिस विभाग ने बनाया है। अंग्रेजों के जमाने की इस पुरानी इमारत के मूल स्वरूप को छोड़कर शेष को ढहाकर पीछे की खाली जमीन पर हाइटेक कंट्रोल रूम और थाना भवन बनाने की तैयारी है। दरअसल आमानाका पुलिस थाना के नए हाइटेक भवन के पिछले महीने लोकार्पण के बाद अब तेलीबांधा और सिटी कोतवाली थाने को रिनोवेट करने का प्रस्ताव बनाया गया है।
मालवीय रोड से कालीबाड़ी मार्ग पर पुराने भवन में संचालित कोतवाली थाने में कभी अंग्रेजों की कचहरी चलती थी। 1802 में कचहरी भवन के रूप में इसका निर्माण किया गया। सौ साल बाद वर्ष 1903 में यह भवन पुलिस विभाग को हैंडओवर कर दिया गया। तब से यहां कोतवाली थाना संचालित है। उस समय रायपुर, नागपुर कमिश्नरी के अंतर्गत आता था। बिंद्रा नवागढ़, भखारा में भी इसकी दो पुलिस चौकियां थीं। दूर-दूर से यहां लोग अपनी शिकायतें व रिपोर्ट लिखाने आते थे।
पं.शुक्ल, वामन राव लाखे और खूबचंद बघेल ने बंदी गृह में गुजारे हैं दिन
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पं. रविशंकर शुक्ल, वामन राव लाखे, माधवराव सप्रे, सुंदरलाल शर्मा, खूबचंद बघेल जैसे महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने कोतवाली थाने के बंदी गृह (हवालात) में कई दिन गुजारे थे। 1857 की क्रांति की सुनवाई तब इसी कचहरी भवन में होती थी। रायपुर क्षेत्र की कचहरी यहां लगती थी और बंदियों को रखने के लिए बंदी गृह (हवालात) भी उसी समय बनाया गया, जो आज भी वैसा ही है। असहयोग आंदोलन के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों को इसी हवालात में बंद करके रखा जाता था।
भवन का रख-रखाव निगम के जिम्मे
कोतवाली के सामने चौक में महावीर स्वामी के स्तूप स्थापित की गई है। नगर में चाहे किसी भी प्रकार का धार्मिक, राजनैतिक, श्रमिक, छात्र गतिविधियों के कारण कोई भी जुलूस निकले, इसी चौक से होकर जाता है। इससे इस थाने में कानून व्यवस्था बनाए रखने की समस्या सदैव रहती है। कालीबाड़ी चौक पर इंदिरा गांधी की मूर्ति की स्थापना नवम्बर 2001 में की गई। 15 अगस्त 1998 से सिटी कोतवाली थाना भवन को पुरातात्विक महत्व का भवन घोषित किया गया। तब से भवन के रख-रखाव की जिम्मेदारी रायपुर नगर निगम ने ली है।
शहर बढ़ने से खुलते गए नए थाने
जैसे-जैस शहर का विकास हुआ वैसे वैसे नए पुलिस थाने खुलते गए और कोतवाली थाने का क्षेत्र विभाजित होता गया। गंज, आजादचौक, पुरानी बस्ती, सिविल लाइन आदि थाना प्रारंभ होने के बाद भी व्यापक क्षेत्र को देखते हुए 15 सितम्बर 1996 में मौदहापारा पुलिस थाना प्रारंभ किया गया। इसमें कोतवाली थाने के उत्तर का जीई रोड के पुराने यातायात थाना, जिसमें कभी गोलबाजार पुलिस चौकी हुआ करती थी, को 5 अक्टूबर 1998 को थाने का पूर्ण दर्जा दिया गया। इसमें कोतवाली थाने का चिकनी मंदिर से बंजारी बाबा मजार जाने वाली सड़क की उत्तर दिशा का हिस्सा शामिल कर दिया गया।