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महिला पत्रकार ने सुनाई आपबीती, ‘पाकिस्‍तानी आतंकियों से बचाने के लिए मेरी हत्‍या को तैयार थे दादाजी’




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अमेरिकी कांग्रेस में गुरुवार को भारत ने एक बार फिर से साफ कर दिया है कि देश की कल्‍पना, कश्‍मीर के बिना नहीं हो सकती और कश्‍मीर के बिना भारत का अस्तित्‍व नहीं है। पंजाब और नॉर्थ ईस्‍ट में आतंकवाद को मात देने के बाद अब भारत ने कश्‍मीर में इस राक्षस को शिकस्‍त देने का मन बना लिया है। कॉलमनिस्‍ट सुनंदा वशिष्‍ठ ने मानवाधिकार मामलों पर हो रही सुनवाई के दौरान भारत की तरफ से कश्‍मीर पर देश का पक्ष रखा। उन्‍होंने इसके साथ ही कहा कि आतंकवाद के खिलाफ जो लड़ाई जारी है उसमें अंतरराष्‍ट्रीय सहयोग से इस क्षेत्र में मानवाधिकार की समस्‍या हल हो सकती है।तीन हफ्तों के अंदर दूसरी सुनवाई

कश्‍मीर पर पिछले तीन हफ्तों के अंदर यह दूसरी सुनवाई थी जो अमेरिकी कांग्रेस में हो रही थी। सुनंदा वशिष्‍ठ ने मानवाधिकार आयोग के टॉम लैंटोस की तरफ से आयोजित सुनवाई में कहा, ‘भारत के लोकतांत्रिक मूल्‍य किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। देश में सफलतापूर्वक एक लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था है और पंजाब के साथ ही नॉर्थ ईस्‍ट में आतंकवाद को मात दी गई है। अब इस तरह की लड़ाई को फिर से मजबूत करने का समय है और फिर मानवाधिकार की समस्‍या हमेशा के लिए हल हो जाएगी।’ गुरुवार को जो सुनवाई हुई उसमें ज्‍यादातर डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्‍य मौजूद थे। घाटी में जब पांच अगस्‍त को जब से आर्टिकल 370 हटाया गया है और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटा गया तब से ही पार्टी की तरफ से लगातार सरकार की आलोचना की जा रही है।

सुनंदा वशिष्‍ठ ने 400,000 से ज्‍यादा कश्‍मीरी पंडितों की हत्‍या को लेकर वर्ल्‍ड लीडर्स की चुप्‍पी पर भी सवाल उठाया। 90 के दशक में पाकिस्‍तान समर्थित आतंकियों ने इस समुदाय को बड़े पैमाने पर निशाना बनाया था और इसकी वजह से इन्‍हें घाटी छोड़कर जाना पड़ा था। वशिष्‍ठ के शब्‍दों में, ‘मानवाधिकार की हिमायत करने वाले तब कहा थे जब मेरे अधिकार मुझसे छीन लिए गए थे? तब मानवाधिकार के रक्षक क्‍या कर रहे थे जब मेरे बूढ़े और बीमार दादाजी मुझे हैवानियत से बचाने के लिए चाकू से मार डालने के लिए तैयार थे और एक कुल्‍हाड़ी मेरी मां को मारने के लिए तैयार थी।’

‘आपने आज जाना क्‍या है इस्‍लामिक आतंकवाद’

उन्‍होंने कहा कि पाकिस्‍तान की तरफ से प्रशिक्षित आतंकी घाटी में आईएसआईएस के स्‍तर की भयावहता और निर्ममता को उस समय से सामने ला रहे है जब पश्चिमी देश चरमपंथी इस्‍लामिक आतंकवाद जैसे शब्‍द को जानता ही नहीं था। उन्‍होंने कहा, ‘मुझे खुशी है कि आज इस तरह की सुनवाई हो रही है क्‍योंकि जब मेरा परिवार और मेरे जैसा हर शख्‍स अपना घर और अपनी आजीविका को खो देता है तो भी दुनिया शांति से सबकुछ देखती रहती है।’ उन्‍होंने कहा कि सभी मौतों का जिम्‍मेदार पाकिस्‍तान है और यह दोहरा बर्ताव भारत की मदद किसी भी तरह से नहीं कर रहा है।

आतंकवाद की लड़ाई में मदद की अपील

उन्‍होंने अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय से अपील की कि वह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत की मदद करे। वशिष्‍ठ ने साफ कर दिया कि कश्‍मीर में जनमत संग्रह कभी नहीं होने वाला है। वशिष्‍ठ ने कहा कि जनमत संग्रह एक पूरे समुदाय को एक फैसले के लिए साथ लाता है। लेकिन इस मसले में कश्‍मीर का एक हिस्‍सा भारत में है, एक पाकिस्‍तान में है और कुछ हिस्‍सा चीन में भी है।