Home समाचार ‘भारत हमारा मित्र, लेकिन बांग्लादेश को पाकिस्तान और अफगानिस्तान न समझे’

‘भारत हमारा मित्र, लेकिन बांग्लादेश को पाकिस्तान और अफगानिस्तान न समझे’




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बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के मीडिया सलाहकार इक़बाल शोभन चौधरी ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर कहा कि यह भारत का घरेलू मुद्दा है. उन्होंने आजतक से बात करते हुए कहा कि सीएए पर अगर बांग्लादेश को लेकर भ्रम या चिंता पैदा करने की संभावना हुई तो यह हमारे लिए चिंता का विषय होगा.

चौधरी ने कहा, भारत और बांग्लादेश के बीच एक बेहद सौहार्दपूर्ण संबंध हैं और यह 1971 के लिबरेशन युद्ध से उपजा है. उन्होंने कहा, ‘आपके (भारत के) सैनिकों ने हमारी आजादी की लड़ाई के लिए अपना जीवन दांव पर लगा दिया. यह अनोखा था, यह इतिहास है. आपने 10 मिलियन बांग्लादेशियों को शरण दी, जिन्हें पाकिस्तानी सेना ने सताया था. अब, हम रोहिंग्या शरणार्थियों को भी आश्रय देते हैं.’

बांग्लादेश को पाकिस्तान और अफगानिस्तान न समझे भारत

उन्होंने कहा, ‘भारत अब केवल हमारा मित्र नहीं है, बल्कि हर समय का मित्र है. यदि कोई घरेलू मुद्दा बांग्लादेश में चिंता पैदा कर सकता है तो हमारे पास आशंकित होने के कारण हैं.’ चौधरी ने कहा कि हमें यानी बांग्लादेश को पाकिस्तान और अफगानिस्तान के साथ मत जोड़ो जो कट्टरवाद और आतंकवाद के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने कहा, ‘हमारी प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हमेशा कहा है कि हमारी धरती को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.’

एक समुदाय को बाहर करना भारतीय संविधान के खिलाफ

नागरिकता कानून से एक समुदाय को अकेला छोड़ने पर उन्होंने कहा, ‘मैं उन लोगों के फैसले पर किसी भी तरह से टिप्पणी नहीं करूंगा जिन्होंने कानून बनाया है. लेकिन यह कानून न केवल भारतीयों में बल्कि बाहर भी एक चिंता का विषय बना हुआ है कि भारत अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि के लिए जाना जाता है और इसके लिए हमेशा खड़ा रहा है. जब आप धर्म के नाम पर एक निश्चित समुदाय को बाहर करते हैं तो यह आपकी अपनी धर्मनिरपेक्ष वाली साख और आपके संविधान के विरुद्ध हो जाता है. जबकि आपका संविधान सभी धार्मिक विश्वासों की समानता के लिए है.’

भारत में अल्पसंख्यकों का प्रवास उत्पीड़न के कारण नहीं

भारत के गृह मंत्री अमित शाह द्वारा शेख हसीना की सराहना करना और उसी समय यह कहना कि उनके सरकार के तहत उत्पीड़न भी किया गया. इस बात पर हसीना के मीडिया सलाहकार चौधरी ने कहा कि हम भारत में अल्पसंख्यकों के दाखिल होने को लेकर इनकार नहीं करेंगे, लेकिन यह प्रवास कई कारणों से है. एक उत्पीड़न की वजह से है और दूसरा बेहतर भविष्य के लिए.

उन्होंने कहा, ‘उत्पीड़न के कारण कोई अल्पसंख्यक भारत नहीं गया. यह बात तथ्य पर आधारित नहीं है कि उत्पीड़न के कारण अल्पसंख्यक वहां गए. सांप्रदायिक सद्भाव बांग्लादेश की ऐतिहासिक परंपराओं में से एक है. यहां तक ​​कि जब कुछ शासन सांप्रदायिक होना चाहते थे, तो लोगों ने, यहां तक ​​कि मुस्लिम बहुमत ने भी इसका विरोध किया. गैर सांप्रदायिकता बंगाली लोगों, मुस्लिम, हिंदू, ईसाई, बौद्ध या किसी की भी मूल भावना है.’

भारत ने हमें कहा- चिंता की कोई बात नहीं

बांग्लादेश के विदेश मंत्री द्वारा भारत की यात्रा रद्द करने पर उन्होंने कहा, ‘जब बिल लोकसभा और राज्यसभा में पारित हुआ, तो विदेश मंत्री सहित हमारे मंत्रियों ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह भारत का घरेलू मुद्दा है. प्रधानमंत्री मोदी ने हमारे प्रधानमंत्री और भारत के गृह मंत्री ने हमारे गृह मंत्री को आश्वासन दिया कि चिंतित महसूस करने का कोई कारण नहीं है.’

उन्होंने कहा, ‘हमारे विदेश मंत्री द्वारा भारत दौरे को निरस्त किए जाने को नागरिकता कानून के पारित होने से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए. इस समय रोहिंग्या मुद्दे पर बहस हो रही है, इसलिए उन्हें विदेश कार्यालय में मौजूद रहना है और उसके बाद विजय दिवस समारोह है.’

‘भारत हमारा मित्र’

हसीना के मीडिया सलाहकार ने कहा, ‘जैसा कि आप देख रहे हैं, हाल में जब हमारी प्रधानमंत्री ने भारत का दौरा किया, तो उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ विस्तृत बातचीत की. उनका बहुत सौहार्दपूर्ण संबंध है. दोनों नेता किसी भी समय किसी भी मुद्दे पर चर्चा कर सकते हैं. जब उन्हें लगेगा कि नागरिकता कानून पर चर्चा जरूरी है तो वे इसे करेंगे. प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि बांग्लादेश इस कानून से प्रभावित नहीं होगा. हम भारत को मित्र मानते हैं और इसलिए हम मानते हैं कि यह आश्वासन बना रहेगा.’