इस मामले में वसंत कुंज थाने में दर्ज हुए मुकदमें मे कहा गया है कि जेएनयू के छात्र पिछले कुछ दिनों से हॉस्टल फीस वृद्धि के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. हाईकोर्ट के निर्देश के अनुसार प्रशासनिक ब्लॉक के 100 मीटर के दायरे में किसी भी विरोध की अनुमति नहीं है. मुकदमें में आगे कहा गया है कि एक इंस्पेक्टर की अगुवाई में एक पुलिस दल 5 जनवरी को अपराह्न 3.45 बजे प्रशासनिक ब्लॉक में तैनात किया गया, कुछ छात्रों के बारे में सूचना मिली कि पेरियार हॉस्टल में इकट्ठा हुए हैं और उनके बीच लड़ाई हुई है और वे संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
निरीक्षक अन्य पुलिसकर्मियों के साथ पेरियार हॉस्टल पहुंचे जहां उन्होंने लगभग 50 लोगों को नकाब पहने और लाठियों से लैस पाया. भीड़ हॉस्टल में छात्रों को पीट रही थी और संपत्ति को नुकसान पहुंचा रही थी, लेकिन पुलिस को देखकर वे सभी भाग गए. शाम करीब 7 बजे साबरमती हॉस्टल में भड़के छात्रों और छात्रों की पिटाई के बारे में हिंसा के पीसीआर कॉल आने लगे.
पीए सिस्टम की मदद से वैंडल्स को चेतावनी जारी की गई थी लेकिन वे संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे थे और छात्रों की पिटाई कर रहे थे. वे सब भाग गए. कई छात्रों को चोटें आईं और उन्हें एम्स ले जाया गया. सार्वजनिक संपत्ति अधिनियम को नुकसान की रोकथाम में आईपीसी की धारा 145, 147, 148 149, 151 और धारा 3 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.
दिल्ली पुलिस ने क्या कहा?
दिल्ली पुलिस के PRO मनदीप सिंह रंधावा ने बताया, ‘दोनों गुटों ने बाहरी लोगों को बुलाया था. रविवार (5 जनवरी) की घटना से पहले दिल्ली पुलिस तीन FIR पहले दर्ज कर चुकी है. कुल चार कैस दर्ज हुए हैं. शाम 5 बजे के बाद कॉल मिली था. ऑनलाइन रेजिस्ट्रेशन हुआ था. वहीं चेक करते हैं एडमिन ब्लॉक के पास पुलिस होती है. एडमिन ब्लॉक में पुलिस की दो पोलीमेंट होती है. सीसीटीव कलेक्ट कर जांच शरू कर दी गयी है. 34 एडमिट हुए थे सभी को डिस्चार्ज कर दिया गया है.’
उन्होंने कहा कि फैक्ट फाइंडिंग कमिटी बनाई गई है. शालनी सिंह लीड कर रही हैं. सभी बिंदु की जांच की जा रही है. पीसीआर कॉल मिलते ही पुलिस गयी थी. सोशल मीडिया के वाट्सऐप की जांच की जा रही है.