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लड़कियों के बढ़ सकती है विवाह की उम्र सीमा, वित्त मंत्री ने बजट में दिया संकेत…




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महिला अधिकारों और उनके स्वास्थ्य की दिशा में मोदी सरकार एक अहम कदम उठा सकती है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज पेश किए आम बजट में लड़कियों के विवाह की उम्र सीमा बढ़ाने को लेकर एक बड़ा एलान किया. सीतारमण ने एलान किया कि सरकार लड़कियों के विवाह और मातृत्व की उम्र सीमा की समीक्षा करेगी. वित्त मंत्री ने इस मामले पर विचार करने और सिफ़ारिश करने के लिए अपने बजट भाषण में एक टॉस्क फोर्स के गठन का एलान किया. टॉस्क फोर्स को अपने गठन के 6 महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट देनी होगी.

मातृ मृत्यु दर और महिलाओं के स्वास्थ्य पर ध्यान
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के मुताबिक़ ऐसा क़दम सरकार महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण को ध्यान में रखते हुए उठाने की योजना है. साथ ही, सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि भारत की आर्थिक तरक्की के साथ उच्चतर शिक्षा और करियर के नए रास्ते भी खुल रहे हैं. वित्त मंत्री ने इसी संदर्भ में इस मुद्दे पर पुनर्विचार करने की बात कही. सरकार के मुताबिक़ 2016 में भारत में मातृ मृत्यु दर का आंकड़ा 122 मौत प्रति 1 लाख महिला था.

1978 में बदला था कानून
भारत में महिलाओं के विवाह की उम्र सीमा पहली बार 1929 में अंग्रेज़ी शासन काल के दौरान शारदा एक्ट के माध्यम से हुआ था. तब लड़कियों के विवाह की उम्र सीमा 14 जबकि पुरुषों की सीमा 18 साल रखी गई थी. हालांकि पहले 1940 और फिर बाद में 1978 में शारदा एक्ट में बदलाव किया गया. 1978 में विवाह की उम्र सीमा महिलाओं के लिए 18 जबकि पुरुषों के लिए 21 तय की गई जो आजतक लागू है.