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ग्वालियर सेंट्रल जेल में लग रहे हैं चौके-छक्के… खिलाड़ियों का जोश रोहित और विराट से कम नहीं…




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ग्वालियर सेंट्रल जेल में इन दिनों जेल क्रिकेट प्रीमियर लीग खेली जा रही है. इसमें कैदियों (prisoners) और जेल प्रशासन की छह टीमें शिरकत कर रही हैं. जेल की कोठरी से निकलकर खुले मैदान में चौके-छक्के लगाकर ये कैदी बेहद सुकून और खुशी महसूस कर रहे हैं. इनमें कुछ बेहतरीन खिलाड़ी हैं. सभी टीमें एक दूसरे से दो-दो मैच खेलेंगी. 9 फरवरी को जेपीएल का खिताबी मुकाबला होगा. फायनल जीतने वाली टीम को जेपीएल क्रिकेट प्रीमियर लीग ट्रॉफी दी जाएगी.

जेल में क्रिकेट का खुमार
ग्वालियर सेंट्रल जेल में दिनों क्रिकेट का खुमार छाया हुआ है.यहां जेपीएल मतलब जेल प्रीमियर लीग चल रही है. कैदियों को बेहतर स्वास्थ्य और माहौल देने के लिहाज से ये क्रिकेट प्रतियोगिता शुरू की गई है. इस लीग में सेंट्रल जेल की कैदियों की पांच बेहतरीन टीम शिरकत कर रही हैं तो वहीं एक टीम जेल स्टाफ की खेलेगी.जेल अधीक्षक मनोज साहू के मुताबिक करीब सप्ताह भर तक चलने वाली जेपीएल का फाइनल मुकाबला 9 फरवरी को होगा. जीतने वाली टीम को जेपीएल का खिताब दिया जाएगा.

कैदी बोले- क्रिकेट के जरिए हल्का हुआ दिल का दर्द…. ग्वालियर सेंट्रल जेल में करीब साढ़े तीन हजार कैदी है. इनमें सजायाफ्ता और विचाराधीन दोनों तरह के कैदी शामिल हैं. जेपीएल के लिए जेल में करीब एक महीने तक कैदियों और जेल प्रशासन ने तैयारी की थी. महीने भर तक कैदियों के बीच क्रिकेट की प्रैक्टिस कराई गई.उसके बाद पांच बेहतरीन टीम बनाई गईं. जेल स्टाफ की वहीं एक टीम इस प्रतियोगिता में शामिल हुई है.

सुकून और खुशी के पल
जेल प्रीमियर लीग शुरू हुई तो कैदियों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.मैदान के अंदर कैदियों की टीम एक दूसरे से खेल रही थी.वहीं मैदान के चारों तरफ कैदियों की भीड़ दर्शक के रूप में जुटी थी. जेपीएल में उतरी सीनियर टीम के कैदी सीटू भदौरिया के मुताबिक वो पिछले बारह साल से हत्या के मामले में सजा काट रहा है. जेल में क्रिकेट टीम का कप्तान बनकर खेलने का मौका मिला है. सीटू के मुताबिक जेल में चारदीवारी के भीतर वक्त काटना बेहद मुश्किल होता है. ऐसे में जेपीएल क्रिकेट प्रतियोगिता उनके लिए किसी खुशी से कम नहीं है. वहीं कैदी देवांग पांडे का कहना है जेपीएल प्रतियोगिता के जरिए ना सिर्फ उनको खेलने का मौका मिल रहा है बल्कि इस प्रतियोगिता के जरिए उन्हें बाहर की ज़िंदगी जैसे खुशियों और सुकून के पल भी जीने को मिल रहे हैं.

जेल की अलग ही दुनिया होती है. चार दीवारी में कैद जिंदगी बेहद मुश्किल होती है. जेल में बंद ज्यादातर कैदियों की जिंदगी निराशा में डूबी रहती है. जब जेल में क्रिकेट जैसी प्रतियोगिता होती है तो कैदियों को भी कुछ पल सुकून के जीने को मिलते है, उनको भी खुशी का अहसास होता है.