कहते है बेजुबानों की अपनी भाषा होती है, मगर प्यार की भाषा हर कोई समझता है. छत्तीसगढ़ का जशपुर ऐसा जिला है, जो घने वनों से घिरा हुआ है. जंगली जीवों के लिए इसे स्वर्ग माना जाता है. सुदूर वनाचल क्षेत्र में एक परिवार का मयूर (मोर) रक्षक बन कर जहरीले जीव जंतुओं से उनकी रक्षा कर रहा है. परिवार का प्यार पा कर जंगल से भटक कर आये मयूर ( Peacocks ) अब परिवार की सदस्यों की तरह ही रहता है. एक तरफ तीन मयूर को परिवार के लोग चुग्गा देते है तो वहीं तीनों मयूर परिवार की रक्षा सांप बिच्छुओं से करता है.
जशपुर जिले जंगली इलाके में बसे गांव लोधमा में धनंजय उरांव का पुरा परिवार रहता है. जुलाई 2019 में खेती-किसानी का काम जोरो पर था. इसी दौरान तीन मयूर के बच्चे जंगल से भटक कर गांव आ पहुंचे. चुग्गा खिलाने के बाद तीनों मयूर का मन गांव में ही रम गया तब से मयूर जंगल की ओर जाते तो हैं, मगर शाम तक वापस गांव लौट आते हैं.
मुर्गे के साथ भी दोस्ती, सांप बिच्छू से रक्षा धनंजय उरांव के घर मयूर और मुर्गे एक साथ ही रहता है. दोनों को बीच दोस्ती भी अच्छी हो गई है. मुर्गे और मयूर एक ही बर्तन में दाना चुगते हैं. एक दुसरे का साथ दोनों नहीं छोड़ते. धनंजय उरांव का कहना है कि जब से तीन मयूर उसके घर आया है तब से सांप और बिच्छुओ का भय खत्म हो गया है. चूकि घर जंगल से लगा हुआ है इस लिए सांप और बिच्छुओ का भय बना रहता था. अब पलक झपकते ही मयूर जहरीली जीवों को चट कर जाते है. उरांव कहते हैं एक बार तो सांप उनके करीब ही था, तभी तीनों में से एक मयूर ने उसे पकड़ लिया. घर व बाड़ी में घुसे सांप व बिच्छुओं से अब से 10 से 15 बार उनके परिवार की रक्षा मोरों ने की है.