कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री बघेल ने सबसे पहले सभी को ओणम् पर्व की बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। उन्होंने इस मौके पर कहा कि, केरल राज्य की कल्पना करने से ही स्मृति में जो छवि उभरकर आती है कि एक ऐसा प्रदेश जहां बहुत सुंदर हरियाली है। यह हरियाली वहां मनुष्यों ने बनाई हैं। केरल में औषधीय पौधों का भंडार है। केरल शिक्षा में सबसे अग्रणी राज्य है। लिंगानुपात के मामले में केरल सबसे आगे है। यह देखकर खुशी होती है कि वहां लड़के और लड़की के बीच भेद नहीं किया जाता। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि, केरल को याद करते हैं तो त्याग व वचन के लिए अपना सर्वस्व भेंट कर देने वाले राजा महाबलि और जगतगुरु शंकराचार्य का नाम आता है। जगतगुरु शंकराचार्य ने ही भारत देश को जोड़ने का काम किया।
ऐतिहासिक घटनाक्रमों पर बात करते हुए मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि, विदेशी भी जब पहली बार भारत आए तो यहां केरल पहुंचे और केरल के मसाला लेकर गए। देश से लेकर विदेशों तक केरल से मसालों की सप्लाई होती है। आज दुनिया के हर कोने में केरल के लोग मौजूद हैं। उन्होंने कहा, छत्तीसगढ़ में सघनता इतनी बढ़ रही है कि कई शहरों का विस्तार दूसरे शहर तक हुआ है तो केरल में गांवों का विस्तार दूसरे गांवों तक हो चुका है।
अपने दो दिन पूर्व के केरल दौरे के अनुभव को साझा करते हुए मुख्यमंत्री श्री बघेल ने बताया कि केरल में ओणम् के पहले दिन ही ओणम् को लेकर उत्साह देखने को मिल रहा था। वहीं उन्होंने कहा कि केरल के लोग कहीं भी जाएं अपने हुनर से अपनी जगह बना लेते हैं। केरल के लोग़ों ने शिक्षा के माध्यम से रोजगार पाया है। सेवाभाव केरल के लोगों में देखने को मिलता है, इसलिए देशभर के हॉस्पिटल में केरल की नर्स सेवाकार्य करते मिलती हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि केरल समाज से अनुशासन, शिक्षा और सेवाभाव दूसरे समाजों को भी सीखना चाहिए। इस अवसर पर समाज की प्रतिष्ठित नागरिक का भी सम्मान किया गया। वहीं रायपुर केरला समाज की ओर से मुख्यमंत्री को स्मृति चिन्ह और पारम्परिक नेट्टीपट्ट्म भेंट किया गया।