मुंगेली//बसंत पंचमी के पावन अवसर पर मां अंगारमोती माता परमेश्वरी मंदिर पंडरिया रोड पुराना पानी टंकी के पास धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर अंगारमोती मन्दिर में श्रद्धालुओं ने 400 किलो से अधिक दूध से दुधाभिषेक किया गया। जिसमें देवांगन समाज के लोगों द्वारा मन्दिर पहुँचकर 101 किलो दूध से माँ अंगारमोती परमेश्वरी मन्दिर में दुधाभिषेक करते हुए समाज की सुख, शान्ति, खुशहाली की कामना की। इस अवसर पर मुंगेली देवांगन समाज से छत्तीसगढ़ देवांगन समाज के कार्यकरणी सदस्य अमरनाथ देवांगन, छत्तीसगढ़ देवांगन समाज के मीडिया प्रभारी कोमल देवांगन, विवेकानंद वार्ड पार्षद गायत्री आनंद देवांगन, देवांगन समाज मुंगेली के जिलाध्यक्ष आनंद देवांगन सक्रिय सदस्य सुदामा देवांगन, अजय देवांगन, जगदीश देवांगन, नानू देवांगन मौजूद रहे। इस दौरान समाज के लोगों ने नगरवासियों को ऋतु परिवर्तन के पर्व बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा और 14 फरवरी मातृ-पितृ पूजन दिवस की बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। समाज के लोगों ने कहा है कि ऋतुराज बसंत के स्वागत में बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। इस समय प्रकृति अपना सर्वोच्च निखार लिए होती है, इसलिए बसंत पंचमी को हरियाली और फसल का त्यौहार भी माना जाता है। बसंत पंचमी के दिन विद्या, कला और संगीत की देवी मां सरस्वती की भी आराधना की जाती हैं। बसंत पंचमी का पर्व सभी के जीवन में नई उमंग, ऊर्जा और उत्साह लेकर आए। देवांगन समाज के कुल देवी माँ परमेश्वरी है। जिसके आशीर्वाद से आज समाज के लोग हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। 14 फरवरी पर समाज लोगों ने कहा है कि बच्चों को अच्छे संस्कार देने और संस्कृति को सहेज कर रखने के लिए राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ में बसंत पंचमी के दिन मातृ-पितृ दिवस मनाने का निर्णय लिया है। इससे माता-पिता और बच्चों के बीच का बंधन और मजबूत बनेगा और बच्चों में अच्छे संस्कारों का बीजारोपण होगा। यह दिन माता-पिता के प्रति सम्मान, प्यार और देखभाल के संस्कार विकसित करने के लिए समर्पित है। माता-पिता की सेवा से बढ़कर कुछ नहीं है। माता-पिता अपने बच्चों के लिए दिन रात मेहनत करते हैं। बच्चों का यह कर्त्तव्य है कि माता-पिता को सम्मान दें। इस अवसर पर दुर्गेश देवांगन, विष्णु देवांगन, विनय देवांगन, बलराम देवांगन, जलेश देवांगन, अनिल देवांगन, अविनाश देवांगन, ददुआ, पवन, नरेश, रवि, आकाश, राज, वीरेंद्र, चीकू, रघुराज, पल्ला सहित अन्य लोगों के विशेष योगदान रहा।