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लूटने के लिए खुद बुलाने लगे उप्र से शूटर, गैंगस्टर तक को नहीं लगने दी भनक




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रायपुर

शॉर्टकट में पैसे कमाने के चक्कर में शादी में शहनाई बजाने वाले देवीप्रसाद बसोर ने उप्र के कुख्यात गैंगस्टर संजय उर्फ महेश वर्मा से दोस्ती बढ़ाई, फिर उसके गैंग के सदस्यों को दुर्ग बुलाकर पिछले तीन साल में लूट की तीन वारदातों को अंजाम दिया। उसके बाद देवीप्रसाद ने महेश को बिना बताए उसके गैंग के तीन सदस्यों को दुर्ग बुलाकर दिसंबर में सराफा कारोबारी अनिल सोनी और फरवरी में जसराज सोनी को टारगेट में लेकर उनसे 30 लाख के जेवर लूट लिया। पुलिस की तफ्तीश में खुलासा हुआ है कि गिरफ्तार गैंगस्टर संजय उर्फ महेश इन दोनों लूट की वारदात में शामिल नहीं रहा है। उसके गैंग के शार्फ शूटर समेत तीन सदस्य ने दोनों वारदातों को अंजाम दिया था। उनके नाम-पते पुलिस को मिल गए हैं, लिहाजा रायपुर पुलिस की टीम तीनों को दबोचने उप्र के इलाहाबाद जिले के मुस्लिम बहुल गांव के बाहर कैंप कर रही है। बताया जा रहा है कि लोकल पुलिस भी इस गांव में दाखिल होने से भय खाती है, क्योंकि गांव के ज्यादातर लोग हिस्ट्रीशीटर हैं। लिहाजा गांव के बाहर ही पुलिस आरोपितों के बाहर निकलने का इंतजार कर रही है।

एडिशनल एसपी सिटी प्रफुल्ल ठाकुर ने बताया कि फिलहाल दुर्ग पुलिस ने गिरफ्तार गैंगस्टर महेश समेत देवीप्रसाद और उसके बेटे मनीष बंसोर को पुलिस रिमांड पर लिया है। दो-तीन दिन के बाद रिमांड खत्म होते ही रायपुर पुलिस तीनों को पुलिस रिमांड पर लेगी। उन्होंने बताया कि 26 जून 2016 की रात में टिकरापारा में हुई सराफा कारोबारी पंकज बोथरा हत्याकांड में भी संजय उर्फ महेश वर्मा के गैंग के हाथ होने की आशंका है, क्योंकि उस समय संजय व उसके साथियों का दुर्ग में आना-जाना हुआ था। लिहाजा आरोपितों से जब्त पिस्टल व कट्टे को बैलेस्टिक जांच कराने भेजा जाएगा, ताकि यह साफ हो सके कि पकंज बोथरा हत्याकांड का कनेक्शन जुड़ा है या नहीं। दरअसल पुलिस को इसलिए शक है कि जिस पिस्टल, कट्टे व कारतूस का इस्तेमाल गैंग ने जसराज सोनी को गोली मारकर जेवर लूटने में किया था, ठीक वैसा ही कारतूस का खोखा पंकज बोथरा हत्याकांड में घटनास्थल पर मिला था।

बैंक डकैती में काट चुका है 11 साल की कैद

अपने गैंग के सदस्यों के साथ वर्ष 2002 में उप्र में बैक डकैती की वारदात को अंजाम देने के मामले में आरोपित संजय उर्फ महेश वर्मा 11 साल की सजा जेल में काट चुका है। उसके खिलाफ उत्तर प्रदेश में हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण, डकैती, लूट जैसे 12 से अधिक मामले दर्ज हैं। वर्ष 2014 में वह पहली बार भिलाई आया था। सुपेला चौक के पास स्थित एक बार में उसकी आरोपित देवी प्रसाद बसोर से पहचान हुई थी। इसके बाद दोनों ने प्लानिंग कर वर्ष 2015 में सद्भावना चौक के पास पेट्रोल पंप के मुनीम से लूट की पहली वारदात की। इसके बाद ईरानी डेरा के पास और चौहान प्लाजा के पास लूट को अंजाम दिया।

ठेके पर लूट करने पिता-पुत्र बुलाते थे यूपी के बदमाशों को

देवी प्रसाद व उसके बेटे मनीष ने संजय के गैंग के सदस्यों से दोस्ती बढ़ाई फिर उन्हें बिना संजय को जानकारी दिए बातचीत कर ठेके पर लूट की वारदात करने बुलाने लगे। पिता-पुत्र का काम कारोबारी की रेकी कर गैंग के सदस्यों को चोरी की दोपहिया वाहन उपलब्ध कराना था। वे सदस्यों को अपने घर पर ही रखते थे, ताकि पुलिस को भनक न लगे। वारदात के बाद लुटेरे बिना रूके चोरी की दोपहिया लवारिश छोड़कर हाइवे से ट्रक में सवार होकर उप्र फरार हो जाते थे। कुछ दिनों बाद पुलिस की सक्रियता कम होने पर लूटे गए पैसे व जेवरों का बंटवारा होता था।

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