रायपुर। चैत्र नवरात्र के तीसरे दिन मां दुर्गा के तृतीय स्वरुप मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। 6 अप्रैल से चैत्र नवरात्र प्रारंभ हो चुका है जो 14 अप्रैल तक चलेगा। यह नवरात्र कई मायनों में माता भक्तों के लिए खास फलदायी है। आज नवरात्र का तीसरा दिन है। मां चंद्रघंटा के सच्चे मन से पूजा करने से रोग दूर होते हैं, शत्रुओं से भय नहीं होता और लंबी आयु का वरदान मिलता है। इसके साथ ही मां आध्यात्मिक शक्ति, आत्मविश्वास और मन पर नियंत्रण भी बढ़ाती हैं। मां चंद्रघंटा शेर पर सवारी करती हैं और इनके दसों हाथों में अस्त्र-शस्त्र हैं। मां के माथे पर चंद्रमा विराजमान है जो उनका रूप और सुंदर बनाता है। मन, कर्म, वचन शुद्ध करके पूजा करने वालों के सब पाप खत्म हो जाते हैं।
मां चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे का आकार का चंद्रमा अलंकृत है, इसलिए इन्हें माता चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है। मां चंद्राघंटा देवी माता पार्वती के सुहागिन रुप से भी प्रचलित हैं। ऐसा माना जाता है कि नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की विधि-विधान से पूजा करने से इंसान के जीवन में से अंहकार रुपी अंधकार नष्ट होकर जीवन में शांति और समृद्धि की प्राप्ती होती है। दस भुजाधारी मां चंद्राघंटा के हाथों में तलवार, त्रिशूल, गदा, चमेली का फूल, धनुष, भाला, सहित कई अस्त्र-शस्त्र सुशोभित हैं। मां चंद्रघंटा की सवारी सिंह (शेर) है।
ऐसे करें पूजा…
मां को केसर और केवड़ा जल से स्नान कराएं। मां को सुनहरे या भूरे रंग के वस्त्र पहनाएं और खुद भी इसी रंग के वस्त्र पहनें। केसर-दूध से बनी मिठाइयों का भोग लगाएं। मां को सफेद कमल और पीले गुलाब की माला अर्पण करें। पंचामृत, चीनी व मिश्री का भोग लगाएं।
मां का आशीर्वाद पाने के लिए इस मंत्र का 108 बार जाप करने से फायदा मिलेगा।
या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।