छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कुत्ता काटने से एक बच्ची की मौत हो गई थी. बच्ची के इलाज में अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही सामने आई. लापरवाही का आरोप लगाकर बच्ची के परिजन हाई कोर्ट गए. मामले की पूरी सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने अस्पताल प्रबंधन को दस लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया. अस्ताल प्रबंधन ने मुआवजा रशि दे दी है और आगे से ऐसे सभी मामलों का रिकॉर्ड रखने के निर्देश भी दिए हैं.
मिली जानकारी के मुताबिक रायपुर के भनपुरी की आठ वर्षीय दिव्या वर्मा की डाॅग बाइट से जून 2015 में मौत हो गई थी. 11 जून 2015 को बुनियाद नगर स्थित घर के सामने खेलते समय कुत्तों ने बच्ची पर हमला कर दिया था. इसमें बच्ची बुरी तरह से घायल हो गई थी. इसके बाद बच्ची को भनपुरी स्थित जेठानी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बच्ची के पिता अशोक वर्मा ने अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाया था. लेकिन हालत में सुधार न होने पर कुछ दिन बाद अंबेडकर अस्पताल में रेफर कर दिया गया. यहां करीब 19 दिन इलाज चलने के बाद दिव्या ने दम तोड़ दिया. क्योंकि, मौत अंबेडकर में हुई, इसलिए इलाज में लापरवारी का दोष अस्पताल प्रबंधन पर ही लगा.
इसके बाद बच्ची के परिजन कोर्ट पहुंचे. हाई कोर्ट के आदेश के बाद पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल काॅलेज, रायपुर प्रबंधन ने बच्ची के पिता अशाेक वर्मा को ऑटोनॉमस फंड से 10 लाख रुपए की मुआवजा राशि दे दी है. बताते हैं कि कई मामलों में परिजन कुत्ता काटने के कई दिन बाद एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाने पहुंचते हैं. तब तक पीड़ित इंफैक्ट होने लगता है, लेकिन अस्पताल जब पूरा रिकॉर्ड रखेंगे तो जिम्मेदारी और लापरवाही, दोनों स्पष्ट हो जाएंगी. इसलिए ही रिकॉर्ड रखने कहा गया है.