आज है दान का महापर्व ‘अक्षय तृतीया’, कहते हैं कि आज के सोना-चांदी खरीदने पर घरों के अंदर सुख-शांति का वास होता है और हमेशा खुशियों बनी रहती हैं, वैसे आपको बता दें कि अक्षय का मतलब ही होता है, जिसका कभी ‘क्षय’ यानी नुकसान नहीं होता चूंकि ये बैसाख के तीसरी तिथि को मनाया जाता है इसलिए इसे ‘अक्षय तृतीया’ कहते हैं।
‘अक्षय तृतीया’ आज
मार्केट में एक से एक ऑफर हैं आज
पुराणों में भी वर्णन है कि आज के दिन सोना-चांदी खरीदने पर मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है और वो आशीष के रूप में घर में निवास करती हैं। और अपने भक्त के घर से आजीवन ना जाने का आशीष देती है।
मान्यताओं और परंपराओं का देश है भारत
चूंकि भारत मान्यताओं और परंपराओं का देश है, इसलिए लोग आज के दिन सोना-चांदी के भारी मूल्य होने पर भी सोना-चांदी खरीदते हैं, लोगों की नब्ज भी दुकानदार और कारोबारी जानते हैं, इसलिए उन्होंने मार्केट में काफी लुभावने आफर छोड़ रखे हैं।
प्रचलित ब्रांड
आज से चार धाम यात्रा की शुरूआत
कुछ प्रचलित ब्रांड ने तो आज के दिन पर अपनी चीजों पर काफी छूट दे रखी है, आपको बता दें कि आज ही के दिन से गंगोत्री-यमनोत्री के कपाट भी खुल जाते हैं और चार धाम यात्रा की शुरूआत हो जाती है, आज ही के दिन से वैवाहिक और मांगलिक कार्यों की शुरूआत होती है।
सोना-चांदी की जगह इन्हें भी खरीदा जा सकता है
कुछ पंडितों का मानना है कि ‘अक्षय तृतीया’ पर सोना-चांदी की जगह कुछ और भी खरीदा जा सकता है, कहने का मतलब है कि आज के दिन लोगों को कुछ ना कुछ जरूर खरीदना चाहिए, जरूरी नहीं कि वो सोना-चांदी के रूप में ही हो, वो वाहन सबंधित या कपड़ा संबंधित चीजें भी हो सकती है।
भगवान विष्णु
सुख-शांति से ही है मतलब
वैसे यह भी कहा जाता है कि भगवान विष्णु वैशाख मास की ‘अक्षय तृतीया’ को अवतरित हुये थे, भगवान विष्णु को गरीबों की सहायता करना और सहयोग करना बेहद प्रिय है।
सोना-चांदी खरीदना एक तरह का फैशन बन गया है
वर्तमान समय में ‘अक्षय तृतीया’ के दिन सोना, चांदी एंव आभूषण खरीदना एक तरह का फैशन बन गया है, हालांकि इसका कोई शास्त्रीय आधार या उल्लेख वर्णित नहीं है
अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त-
सोना खरीदने के लिए शुभ मुहूर्त
- अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त- 7 मई दिन मंगलवार को सुबह 06:40 से 12:26 बजे तक।
- सोना खरीदने के लिए शुभ मुहूर्त– 7 मई मंगलवार को सुबह 06.26 बजे से रात्रि 11:47 मिनट तक
त्रेतायुग की शुरुआत
एक और खास दिन
बताते हैं कि इस दिन ही देवी अन्नपूर्णा का जन्म भी हुआ था और इसलिए इस दिन के मायने अपने आप में और ज्यादा बढ़ जाते हैं। इस दिन से ही त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी और इसी दिन से गंगा नदी ने धरती पर बहना प्रारंभ किया था।