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चुनाव में पाकिस्तान का पानी बंद कर रही थी बीजेपी, अब सरकार बनते ही मिलने लगा पहले से भी ज्यादा




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इस समय पंजाब में धान की बिजाई के लिए पानी की सख्त जरूरत है, फिर भी पंजाब से बहने वाली तीन नदियों- रावी, ब्यास और सतलुज का पानी बड़ी मात्रा में पाकिस्तान की तरफ जा रहा है। लोगों की बात पर यकीन करें तो इस सीजन में कभी इतना पानी पाकिस्तान की तरफ नहीं गया।

बीजेपी तो लगता है भूल गई, लेकिेन शायद लोग नहीं भूले होंगे कि चुनाव के दौरान बीजेपी नेताओं ने दावा किया था कि इन नदियों का पानी पाकिस्तान नहीं जाने दिया जाएगा। लेकिेन शायद वह सब चुनावी बातें थीं। अभी तो देश में मानसून भी नहीं आया है, फिर भी इन तीन नदियों का पानी बड़ी मात्रा में पाकिस्तान की ओर जा रहा है।

अमृतसर से करीब 90 किलोमीटर दूर सीमावर्ती तरनतारन जिले में स्थित हरिकेपत्तन बैराज से 12,380 क्यूसेक पानी पाकिस्तान की तरफ छोड़ा जा रहा है। सतलुज और ब्यास नदियों के संगम हरिके में ही बांध बनाकर इन दोनों नदियों का पानी पाकिस्तान की तरफ जाने से रोका गया है। इसके अलावा रावी नदी से भी पांच सौ क्यूसेक से ज्यादा पानी पाकिस्तान जा रहा है।

हरिके बैराज के नोडल अधिकारी सुखवंत उप्पल का कहना है कि हमारे पास स्टोरेज क्षमता नहीं है। नहरों से जो पानी बचता है, उसे हमें पाकिस्तान की तरफ छोड़ना ही पड़ता है। उप्पल के मुताबिक, बैराज की उंचाई समुद्र तल से 690 फीट है। तापमान बढ़ने के कारण पहाड़ों पर बर्फ पिघलने के चलते ब्यास और सतलुज में पानी की मात्रा अचानक बढ़ गई है। उप्पल कहते हैं कि यदि हम पानी नहीं छोड़ेंगे तो बारिश से पहले ही बांध फुल हो जाएंगे। बारिश में जब पानी की मात्रा कई गुना बढ़ जाती है, तब यदि एकसाथ पानी छोड़ना पड़ा तो नुकसान बहुत ज्यादा होगा।

उप्पल के मुताबिक, रावी, ब्यास और सतलुज को मिलाकर करीब 32 हजार क्यूसेक पानी इस समय आ रहा है जबकि पानी के स्टोरेज की क्षमता हमारे पास नगण्य है। इतनी मात्रा में आ रहे पानी को हम रोक नहीं सकते। यही हालत रावी के पानी को रोकने वाले रंजीत सागर बांध की है। पठानकोट के पास बन रहे शाहपुर कंडी बांध के चीफ इंजीनियर जेएस नेगी का कहना है कि रंजीत सागर बांध में इस वक्त 514 मीटर तक पानी है। इसे हमें 507-08 मीटर तक लाना है। ऐसा नहीं किया गया तो निर्माणाधीन शाहपुर कंडी बांध को भारी नुकसान पहुंच सकता है।

बात साफ है कि स्टोरेज कैपेसिटी न होने के चलते पानी पाकिस्तान की तरफ छोड़ना ही होगा। पुलवामा हमले के बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि हम अपने हिस्से का पानी पाकिस्तान नहीं जाने देंगे। पाकिस्तान जाने वाली नदियों का रास्ता मोड़कर इन्हें यमुना नदी से मिलाने तक का वादा गडकरी ने किया था। पाकिस्तान की तरफ बहने वाली नदियों का रास्ता मोड़ने वाली सभी परियोजनाओं के नेशनल प्रोजेक्ट होने की बात भी कही गई थी। लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पंजाब के होशियारपुर में हुई रैली में पाकिस्तान जाने वाले पानी की एक-एक बूंद रोककर इसे किसानों को देने की बात कही थी।

पठानकोट के पास जम्मू की तरफ से आने वाले उज्ज दरिया के रावी में मिलन स्थल मकौड़ा पत्तन में बैराज बनाने का भी गडकरी ने चुनाव से पहले बड़े जोर-शोर से ऐलान किया था। इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से न सिर्फ पाक को जाने वाले पानी को पूरी तरह रोका जा सकेगा बल्कि सीमावर्ती गुरदासपुर और अमृतसर जैसे शहरों की प्यास भी बुझाई जा सकेगी। इन शहरों की जरूरत ही मात्र तीन सौ क्यूसेक के आसपास है, जबकि ऑफ सीजन में भी यहां पांच सौ क्यूसेक से ज्यादा पानी मौजूद रहता है। चैनलाइज होने के बाद यहां इतना पानी होगा कि इसका उपयोग सिंचाई के लिए किया जा सकेगा। चुनाव से पहले किए गए इन वादों के पूरा होने का सभी को इंतजार है।

हरिकेपत्तन क्षेत्र से विधायक डॉ. धर्मबीर अग्निहोत्री का कहना है कि बारिश में तो यहां से इतना पानी पाकिस्तान जाता है कि वहां किसानों की फसलें तबाह हो जाती हैं जबकि इस समय जब हमारे किसानों को पानी की जरूरत है, तब भी यह पाकिस्तान जा रहा है। धर्मबीर ने कहा कि केंद्र ने पंजाब की नदियों के पानी को रोकने के लिए जो भी वादे किए थे, उन पर अब तक कोई पहल नहीं हुई है।

भारतीय किसान यूनियन पंजाब के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजोवाल का कहना है कि फ्री में सारा पानी पाकिस्तान जा रहा है जबकि धान की बिजाई के लिए पंजाब के किसानों को पानी की जरूरत है। राजोवाल का कहना है कि इस मौसम में आज तक कभी इतना पानी पाकिस्तान नहीं गया, जितना इस समय जा रहा है। सतलुज और ब्यास भरी हुई हैं। प्रधानमंत्री तो रैलियों में बोलते रहते हैं। राजोवाल का कहना है कि पाकिस्तान जाने वाले पानी की बूंद-बूंद रोकने का वादा भी शायद उनका जुमला ही होगा।