जयपुर में इनकम टैक्स विभाग को 100 करोड़ की संपत्ति की ऐसी मालकिन मिली है जो परिवार चलाने के लिए पाई-पाई की मोहताज है. इनकम टैक्स विभाग ने जयपुर दिल्ली हाईवे पर 100 करोड़ से ज्यादा की कीमत की 64 बीघा जमीन खोज निकाली है जिसकी मालकिन एक आदिवासी महिला है और उसे यह भी पता नहीं है कि उसने जमीन कब खरीदी और कहां पर है? इनकम टैक्स विभाग ने इन जमीनों को अपने कब्जे में ले लिया है.
जयपुर-दिल्ली हाईवे पर दंड गांव में पड़ने वाली इन जमीनों पर इनकम टैक्स के अधिकारियों ने बैनर लगा दिए हैं. बैनर पर लिखा है कि बेनामी संपत्ति निषेध अधिनियम के तहत इस जमीन को बेनामी घोषित करते हुए आयकर विभाग अपने कब्जे में ले रहा है. 5 गांव के 64 बीघे की जमीन पर लगे बैनरों पर लिखा हुआ है कि इस जमीन की मालकिन संजू देवी मीणा हैं. जो इस जमीन की मालकिन नहीं हो सकती हैं, लिहाजा इस जमीन को इनकम टैक्स विभाग फौरी तौर पर अपने कब्जे में ले रहा है.
दरअसल आयकर विभाग को शिकायत मिली थी कि दिल्ली हाईवे पर बड़ी संख्या में दिल्ली और मुंबई के उद्योगपति आदिवासियों के फर्जी नाम पर जमीन खरीद रहे हैं. इनका सिर्फ कागजों में लेन-देन हो रहा है. कानून के मुताबिक, आदिवासी की जमीन आदिवासी ही खरीद सकता है. कागजों में खरीदने के बाद यह अपने लोगों के नाम से पावर ऑफ अटॉर्नी साइन करा कर रख लेते हैं. इसके बाद इनकम टैक्स विभाग ने इसके असली मालिक की खोजबीन शुरू की तो पता चला की जमीन की मालकिन राजस्थान के सीकर जिले के नीम के थाना तहसील के दीपावास गांव में रहती हैं. पहाड़ियों के नीचे बसे इस गांव में पहुंचना आसान नहीं है.
आजतक की टीम जब दीपावास गांव में पहुंची तो संजू देवी मीणा ने कहा कि उसके पति और ससुर मुंबई में काम किया करते थे. उस दौरान 2006 में उसे जयपुर के आमेर में ले जाकर एक जगह पर अंगूठा लगवाया गया था. मगर उनके पति की मौत को 12 साल हो गए हैं और वह नहीं जानती हैं कि कौन सी संपत्ति उनके पास है और कहां पर है. पति की मौत के बाद ₹5000 कोई घर पर दे जाता था जिसमें से ढाई हजार रुपए फुफेरी बहन साथ रखती थी और ढाई हजार मैं रखती थी, लेकिन कई साल हो गए अब पैसे भी देने कोई नहीं आता. मुझे तो आज ही पता चला कि मेरे पास इतनी संपत्ति है.
संजू देवी के पति की मौत के बाद कमाई का कोई जरिया नहीं है और दो बच्चों को पालने के लिए खुद ही मजदूरी करती हैं. संजू देवी खेती के अलावा जानवर पालकर गुजारा करती हैं. इनकम टैक्स के इस खुलासे के बाद इलाके में हड़कंप मचा हुआ है क्योंकि गांव वालों का कहना है कि कई कंपनियों ने यहां जमीन खरीदी है जिनके बारे में कहा जाता है कि कंपनी की जमीन है मगर कोई नहीं जानता किसकी है. पिछले कुछ सालों में इनकम टैक्स विभाग इस इलाके में 1400 करोड़ की जमीन जब्त कर चुकी है जिनमें से 69 मामलों में कोर्ट ने फैसला देते हुए जमीन को इनाम घोषित कर सरकार को सौंप दी है.