Home समाचार देश में बाघ तो बढ़े, पर उनके रहने के लिए पर्याप्त नहीं...

देश में बाघ तो बढ़े, पर उनके रहने के लिए पर्याप्त नहीं जंगल, मनुष्यों के साथ बढ़ रहा संघर्ष




IMG-20240704-WA0019
IMG-20220701-WA0004
WhatsApp-Image-2022-08-01-at-12.15.40-PM
1658178730682
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.50-PM
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.48-PM

तीन दिन पहले उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में एक बाघ को ग्रामीणों ने पीट-पीटकर मार डाला। दो सप्ताह पहले असम के एक घर के बेडरूम में बाघ आराम करता पाया गया। हाल में आई बाढ़ में कई बाघ डूब गए, तो कुछ ट्रेन से कटकर मर गए। उत्तराखंड में तो अक्सर बाघ का मनुष्यों से सामना हो जाता है। पिछले साल हुई बाघों की जनगणना के मुताबिक, देश में इनकी संख्या तो 33 प्रतिशत बढ़ी है, लेकिन उनके लिए पर्याप्त जंगल न होना बड़ी समस्या है। यही वजह है कि लगभग एक चौथाई बाघ जंगलों से बाहर रह रहे हैं और मनुष्यों के साथ संघर्ष कर रहे हैं।

प्रोजेक्ट टाइगर के पूर्व निदेशक राजेश गोपाल का कहना है कि बाघों के लिए जंगल कम पड़ रहे हैं। इनको बचाने के लिए बनी अंतरराष्ट्रीय संस्था ग्लोबल टाइगर फंड के मौजूदा प्रमुख गोपाल के मुताबिक, देश के जंगलों में जितने बाघ रह सकते हैं, अब उससे कहीं ज्यादा संख्या में बाघ हो गए हैं। इसकी वजह बाघों की संख्या में वृद्धि तो है ही, साथ ही सघन जंगल के क्षेत्रफल में आई कमी भी है।

वन और पर्यावरण मंत्रालय के कामकाज की समीक्षा के लिए बनी संसदीय समिति की 12 फरवरी को संसद में पेश हुई रिपोर्ट के मुताबिक, देश में कुल 7.08 लाख वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र है। इसका लगभग 44 प्रतिशत हिस्सा अत्यंत कम आच्छादित (10 से 40 प्रतिशत सघनता वाला) वन क्षेत्र है। यह बाघ जैसे वन्यप्राणी के लिए उचित जगह नहीं है।

लगभग 42 प्रतिशत हिस्सा कम आच्छादित (40 से 70 प्रतिशत सघन) है, जबकि अत्यंत सघन (70 प्रतिशत से अधिक आच्छादित) वन क्षेत्र महज 14 प्रतिशत ही है। यही वजह है कि देश के 2967 बाघों में से 22-24 प्रतिशत बाघ जंगल छोड़कर बाहर विचरण कर रहे हैं। सबसे ताजा उदाहरण केदारनाथ वन क्षेत्र का है, जहां पहली बार ट्रैप कैमरों में एक बाघ की मौजूदगी दर्ज की गई है।

इसलिए कम पड़ रहे हैं जंगल एक स्वस्थ नर बाघ के लिए 50 से 60 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र जरूरी होता है, जबकि मादा बाघ का गुजारा 15 से 20 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में चल जाता है। बाघों पर कई अंतरराष्ट्रीय डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाने वाले वन्य जीव विशेषज्ञ अजय सूरी कहते हैं कि एक नर बाघ के इलाके में तीन से चार बाघिन रहती हैं। लेकिन बाघों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर उनमें अपने दबदबे वाले इलाके के लिए आपसी संघर्ष होने लगा है, जिसमें कई बाघ मारे जा रहे हैं।

वन क्षेत्र बढ़ाने का प्रयास केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सोमवार को दावा किया कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान देश में दो प्रतिशत वन क्षेत्र की वृद्धि हुई है। इसे तेजी से आगे बढ़ावे का प्रयास होगा ताकि बाघों को निवास की कमी न पड़े। लेकिन बाघ संरक्षण परियोजना से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि दिक्कत वन क्षेत्र की नहीं है, बल्कि बाघों के लिए जरूरी सघन वन क्षेत्र की है, जो विभिन्न कारणों से कम होता जा रहा है।