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आधा मानसून सीज़न खत्म, क्या हैं देश में सूखे और बारिश के हालात?




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भारत में जून से सितंबर तक चार महीने मानसून का मौसम रहता है और 31 जुलाई के दिन इस सीज़न के दो महीने पूरे हो चुकने के बाद आइए जायज़ा लेते हैं कि देश में सूखे और बारिश को लेकर क्या हालात हैं. जून में सामान्य से कम बारिश के चलते बेहद खराब हालात रहे थे और देश के कई हिस्सों में सूखे का संकट गहरा चुका था.  जुलाई में इतनी राहत मिल चुकी है कि देश में सूखे का या जलसंकट खत्म हो गया है? जानिए हां, तो कैसे और नहीं, तो अब क्या स्थिति है.

मानसून के पिछले कुछ दिनों में हम देख चुके हैं कि मुंबई समेत गुजरात, बिहार, असम जैसे राज्यों के कुछ हिस्सों में बाढ़ का कहर टूटा. बारिश से आपदा खड़ी हुई, तो क्या ये मान लेना चाहिए कि ज़रूरत से ज़्यादा बारिश हो चुकी है और देश से सूखे का संकट खत्म हो गया है? नहीं, बारिश की ज़रूरत कहां थी और कहां कितनी हुई, ये इस बात पर निर्भर करता है. आइए, पहले बीते दो महीनों में बारिश के आंकड़ों का जायज़ा लेते हैं.

जुलाई में हो चुकी है भरपाई
मौसम विभाग ने जो आंकड़े जारी किए हैं, उनके मुताबिक 31 जुलाई तक हुई बरसात के बाद देश में जून जुलाई के दो महीनों में होने वाली कुल बरसात से सिर्फ 9 फीसदी कम बरसात हुई है. यानी जून में बरसात की बेरुखी जो देश ने देखी थी, उसकी भरपाई जुलाई में हो गई. बीते एक हफ्ते में यानी 25 से 31 जुलाई के बीच जितनी बारिश देश में हुई है, वह इस हफ्ते के पिछले 50 सालों के औसत से 42 फीसदी ज़्यादा रही है. अगले कुछ समय में भी अच्छी बारिश होने की संभावना मौसम विभाग ने जताई है.पिछले एक हफ्ते में देश के ज़्यादातर राज्यों में सामान्य या उससे ज़्यादा बारिश हुई है. पिछले हफ्ते में सिर्फ केरल में बारिश की भारी कमी रही. साथ ही, तमिलनाडु, बिहार, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में कुछ कम बारिश हुई. बाकी पूरे देश में बारिश भरपूर हुई. (मौसम विभाग के पिछले हफ्ते की बारिश के नक्शे में पीले और नारंगी रंग में दिख रहे राज्यों में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है जबकि हरे रंग में दर्ज राज्यों में सामान्य और नीले रंग में दर्ज राज्यों में सामान्य से ज़्यादा बारिश हुई है.)

सूखे से संबंधित जो ताज़ा डेटा जारी हुआ है, उसके अनुसार बीते 26 जुलाई तक स्थिति ये रही कि देश में 46 फीसदी हिस्सों में सूखे का संकट बना हुआ है. ‘असामान्य रूप से सूखे’ से लेकर ‘भीषण सूखे’ की श्रेणियों में ये 46 फीसदी हिस्सा बंटा हुआ है. ड्रॉट अर्ली वॉर्निंग सिस्टम के मुताबिक़ एक महीने पहले तक 18.03 हिस्से को ‘चिंताजनक सूखे’ की चपेट में दर्ज किया था, जो जुलाई में 19.68 फीसदी हो गया है.

सूखे और जलसंकट से जुड़ी खबरों में चेन्नई सुर्खियों में रहा था. मानसून के दो महीने बीत जाने के बावजूद यहां हालात में कोई खास सुधार नहीं हुआ है. यूएन डिस्पैच की 29 जुलाई की खबर के मुताबिक चेन्नई इस साल ऐसे भयावह जलसंकट की चपेट में बना हुआ है, जितना कभी नहीं था.

दूसरी ओर, सब-नेशनल वॉटर स्ट्रेस इंडेक्स ने हाल में, एक लिस्ट जारी करते हुए भारत के 20 सबसे बड़े शहरों में से 11 को जलसंकट की ‘एक्स्ट्रीम रिस्क’ श्रेणी में रखा है और इनमें से 7 को ‘हाई रिस्क’ श्रेणी में. इस इंडेक्स के मुताबिक़ दिल्ली, चेन्नई, बेंगलूरु, हैदराबाद, नाशिक, जयपुर, अ​हमदाबाद और इंदौर ‘एक्स्ट्रीम रिस्क’ श्रेणी में शुमार हैं, जहां जलसंकट अब भी भयावह है.