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जानिए दुनिया की सबसे महंगी चाय के बारे में, भारत की इस पुरानी कंपनी ने बेची 70,501 रुपये की एक किलो चाय




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असम के चाय उद्योग के लिए यह बेहतरीन समय है. मैजान टी एस्टेट की गोल्डन टिप 70,501 रुपये प्रति किलो की कीमत पर पूरे विश्व में सर्वाधिक दामों पर बिकने वाली चाय बन गई है. दुनिया की सबसे पुरानी चाय कंपनी असम कंपनी इंडिया लिमिटेड ने सीजन की सबसे अच्छी गुणवत्ता वाली इस डिज़ाइनर चाय को 31 जुलाई को गुवाहाटी के चाय नीलामी सेंटर में ऑनलाइन नीलामी द्वारा बेचा.केवल एक साल पहले ही खरीदे गए चाय बागान ने “ओल्ड इज गोल्ड ” यानी “जो पुराना है वही अच्छा है” को चरितार्थ करते हुए इस कंपनी को एकदम फायदेमंद स्थिति में ला दिया. गोल्डन टिप चाय ने अभी एक दिन पहले ही 30 जुलाई को मनोहारी गोल्ड टी के बनाए 50,000 रुपये प्रति किलो के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है.

राज्य के 200 साल पुराने चाय उद्योग में हर बार नया रिकॉर्ड बनना एक परंपरा जैसी हो गई है. अभी कल ही के साथ दुनिया की सबसे महंगी चाय बनकर उभरी थी और महज़ 24 घंटों के अंदर ही मैजान टी एस्टेट की गोल्डन टिप चाय विशेषज्ञों के लिए एक नया क्रेज बन गई.

रूढ़िवादी शुद्ध रूप से सुनहरे धागों वाली चाय ने सुबह 31 जुलाई को गुवाहाटी नीलामी सेंटर में हुई नीलामी में 70,501 रुपये प्रति किलो की भारी भरकम कीमत वसूल कर ली.

अपने उत्पाद की सर्वाधिक कीमत मिलना विश्व की सबसे पुरानी चाय कंपनी के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने जैसा है. इस चाय कंपनी को 1839 में रॉयल चार्टर ऑफ़ दी ब्रिटिश एम्पायर द्वारा सम्मिलित किया गया था.

दूसरे फ्लश के दौरान पैदा की गई चाय एक कुटीर उद्योग का उत्पाद है जोकि बहुत दुर्लभ है और यह हाथों से तराशी हुई चाय विशेष तौर पर चाय के चुनिंदा नस्ल के पौधों से बनाई जाती है.सुगंध में अनोखी और स्वाद में कड़क मैजान गोल्डन टिप पीने में सबसे अलग और अनोखे प्रकार का अनुभव देती है. अनूठे पेय पदार्थ जैसा इसका स्वाद देशी चाय के पौधों से आता है जो तकरीबन सौ साल पुराने हैं.

आमतौर पर चाय के पौधे 50 सालों के बाद उखाड़ दिए जाते हैं क्योंकि इनसे मिलने वाली पैदावार कम हो जाती है. मैजान टी एस्टेट ने लगभग 40 किलो गोल्डन टिप चाय उगाई थी जिसमें दो किलो की नीलामी की गई.

यहां इस बात का ज़िक्र करना ज़रूरी है कि अबू धाबी में व्यापार कर रहे पदमश्री बीआर शेट्टी के निवेश की बदौलत असम कंपनी लिमिटेड ने असम के 14 चाय बागान हासिल किए थे.

इन चाय बागानों में से दस बागान असम के चाय बहुल ऊपरी हिस्से में थे जिन्हें कंपनी ने असम चाय की गुणवत्ता सुधरने की पहल के साथ साथ श्रमशक्ति और नए ताज़ा प्रयोगों की कमी से जूझ रहे असम के चाय उद्योग में नए प्राण फूंकने के लिए हासिल किया था.

अपनी डोमोरडोलोंग चाय के लिए जो कंपनी चार्ट में 185 पोजीशन पर थी वह अपनी मदहोश कर देने वाली खुशबू से भरी सीटीसी चाय के चलते केवल एक साल के समय में नंबर वन पोजीशन पर आ चुकी है.

असम के पूरे चाय उद्योग के लिए यह बड़े गौरव की बात है हालांकि यह समय वह है की चाय उद्योग मात्रा पर नहीं बल्कि गुणवत्ता पर अपना ध्यान केंद्रित करे.

अब समय आ गया है कि असम की चाय का स्वाद न केवल चाय प्रेमियों की स्वाद कलियों को गुदगुदाए बल्कि विश्व में अपना एक स्थान भी बनाए. यहां बताना जरूरी है की 750 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष उपयोग के साथ भारत चाय के प्रयोग की इस सूची में सबसे नीचे है.