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सिर्फ नाग पंचमी के दिन खुलता है महादेव का यह मंदिर, जानें क्या है रहस्य ?




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सावन माह आते ही हिन्दू धर्म के लोगों को नागपंचमी का बेसब्री से इंतज़ार रहता है। नाग पंचमी हिंदुओं के मुख्य त्योहारों में से एक है। हिंदू पंचांग के अनुसार सावन माह की शुक्ल पक्ष के पंचमी को नाग पंचमी के रूप में बड़ी ही श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा की जाती है और उन्हें दूध से स्नान कराया जाता है। इस बार नाग पंचमी 5 अगस्त 2019 को मनाया जा रहा है। वैसे तो ये पर्व पूरे देश में मनाया जाता है और सभी मंदिरों में नाग देवता की पूजा की जाती है। लेकिन एक ऐसा भी मंदिर है जसके कपाट पूरे साल में एक ही बार नाग पंचमी के दिन खुलते हैं। ऐसा मंदिर है महाकाल की नगरी मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित नांगचंद्रेश्वर मंदिर इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि यहां नाग पंचमी के दिन पूजा करने से काल सर्पदोष से मुक्ति मिल जाती है। यह मंदिर महाकाल जी की नगरी उज्जैन के मुख्य मंदिरों में से एक है। नाग पंचमी वाले दिन इस मंदिर के दर्शन हेतु भक्तों की लम्बी कतार लगती है। इस मंदिर के पूरे साल में सिर्फ एक बार खुलने के पीछे एक रहस्य छिपा हुआ है। आइए आपको बताते हैं कि उस रहस्य के बारे में

ऐसा माना जाता है कि नांगचंद्रेश्वर मंदिर महादेव शिवालयों में से एक है। इस मंदिर की ख़ास बात यह है कि नांग पंचमी के दिन नागराज तक्षक स्वंय ही इस मंदिर में मौजूद रहते हैं। नांगचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट साल में एक बार सिर्फ नाग पंचमी के दिन ही खुलते हैं। मंदिर के अंदर भगवान शिव और माता पार्वती की दुर्लभ प्रतिमा लगी हुई है। साथ ही फन फैलाए नाग के आसन पर महादेव और मां पार्वती जी विराजमान हैं।

नांगचंद्रेश्वर मंदिर शिव जी का पहला ऐसा मंदिर है, जिसमें महादेव और माता पार्वती नाग के फन पर विराजमान हैं। दशमुखी नाग शैय्या पर महादेव का विराजमान होना वाकई देखने योग्य है। इसके अलावा एक और मान्यता है कि नांग पंचमी के दिन नांगचंद्रेश्वर मंदिर में पूजा करने से लोगों को सर्पदोष से मुक्ति मिलती है। महाकाल का यह मंदिर महाकालेश्वर मंदिर के प्रांगण में मौजूद है। पौराणिक कथाओं के अनुसार नागराज तक्षक की तपस्या से खुश होकर महादेव ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया था और नागचंद्रेश्वर मंदिर नागराज तक्षक की कठोर तपस्या की ही देन है।