पत्नी गर्भवती होती है, तो पति उसका ख्याल रखता है, उसकी पसंद की चीजें देता है, क्योंकि उन दोनों के प्यार की निशानी कुछ ही दिनों में घर में आने वाली होती है। घर में नए मेहमान के आने की खुशी ऐसी होती हैं, कि पति का प्यार पत्नी के लिए और बढ़ जाता है। हमेशा लापरवाह होने का ताना सुनने वाले पति भी घर बार के लिए जिम्मेदार से दिखते हैं, वहीं भारत के इस इलाके में पत्नी के गर्भवती होते ही पति उसकी चिंता छोड़कर दूसरी पत्नी की तलाश शुरु कर देते हैं। जी हां ये सच है, स्याह सच जो कई दशकों से राजस्थान के बाड़मेर में देरासर गांव में होता आ रहा है।
ये सुनकर तो आप भी जरूर चौंक गए होंगे, कि कोई अपनी गर्भवती पत्नी को छोड़कर दूसरी शादी के बारे में कैसे सोच सकता है?आपको यह जानकर भी हैरानी होगी कि राजस्थान के कुछ इलाकों ऐसे भी हैं, जहां बहू गर्भवती होती है, तो पति दूसरी शादी कर लेता है। यहां तक तो ठीक है, लेकिन दुख की बात ये हैं कि उन लड़कियों को भी शादी के पहले दिन से यह पता होता है कि ये दिन जरूर आएगा, जब उनकी सौतन आ जाएगी।
चौंकाने वाला सच ये भी है, कि हमारे देश में जहां तमाम कुरीतियां खत्म हो गई हैं, लेकिन कुछ इलाके ऐसे हैं जहां ये प्रथा चली आ रही हैं। इन इलाकों में ऐसा रिवाज है कि जहां हर शादी-शुदा लड़के का पिता बनने से पहले दूसरी शादी करने की प्रथा प्रचलित है। सबसे पहले इसकी शुरुआत राजस्थान के बाड़मेर ज़िले में देरासर नाम के गांव में हुई थी। दरअसल यहां पानी की इतनी किल्लत है कि घर की औरतों को तपती गर्मी या भयंकर सर्दी में कई मीलों तक पानी की खोज में भटकना पड़ता है। पानी खोजने का ये सफर दौर औरतों के लिए आसान नहीं होता। बचपन से ही लड़कियों को पानी ढ़ो कर लाने की बकायदा ट्रेनिंग दी जाती है। जो इसमें परफेक्ट हो गई उसकी शादी इसी काबलियत के मुताबिक तय कर दी जाती है। लड़कियों को कुछ ही सालों में दो-तीन घड़े ढो कर लाना सिखाया जाता है।
गर्भवती होने के बाद औरतों के लिए पानी लाना आसान नहीं होता। साथ ही घर की जिम्मेदारी उठाने और पानी लाने के लिए पत्नी के गर्भवती होते ही। पति दूसरी पत्नी ब्याह लाता है। ताकि पानी लाने की ज़िम्मेदारी नई पत्नी को ऊपर आ जाए। साथ ही पहली पत्नी का ख्याल रखे। सरकारी आंकड़ों की बात करें तो 2011 के जनसंख्या गणना के आंकड़ों के अनुसार, देरासर की आबादी 596 है, जिनमे से 309 पुरुष हैं और 287 महिलाएं हैं।
राजस्थान का देरासर में ‘बहुविवाह’ की प्रथा सालों से चली आ रही है। ऐसे ही महाराष्ट्र में भी कई गांव हैं जहां ये प्रथा बन गई है। कई बार तो पत्नियों को पानी लाने में दस से बारह घंटे लग जाते है।क्योंकि उन्हें पानी लाने के लिए कई गांवों को पार करना पड़ता है। महाराष्ट्र में ऐसे लगभग 19,000 गांव हैं, जहां दूसरी पत्नियों को ‘वाटर वाइव्स’ या ‘वाटर बाईस’ कहा जाता है।
खैर ये तो पानी की तलाश की कहानी थी। देश में एक ऐसा भी गांव है देंगनमल जहां पुरुष तीन शादियां तक करते हैं। इसके पीछे तर्क ये है कि एक पत्नी बच्चों और घर की देख-रेख करे, तो बाकी दो पत्नियां पर्याप्त मात्रा में पानी ढूंढ़ कर लाएं। ऐसे गांव में अक्सर देखा जाता है कि दूसरी पत्नियां ज्यादातार पहले पति की छोड़ी हुई या विधवा होती हैं। स्थिति यहां तक ही होती तो ठीक है, लेकिन दुखद बात ये है कि कई बार यहां देखा गया है कि उम्र दराज पुरुष अपने से आधी उम्र की लड़कियों के साथ शादी करते हैं क्योंकि उम्रदराज औरतों से नई उम्र की लड़कियां ज्यादा पानी ढ़ोने में सक्षम होती हैं।
ऐसे गांवों में कई बार अधिकारी लोग भी बहुबिवाह नहीं रोक पाते। हैरानी की बात यह है कि यहां बहुविवाह पहली या दूसरी पत्नी की मर्जी से ही होते हैं। ऐसे में अधिकारी भी खुद को अक्षम्य पाते हैं।