ये 7 नायब तरीके
1. दुःख में भी ख़ुश रहने की कला…ख़ुशी हमारा मूल स्वभाव है
हर हाल, हर परिस्थिति में हमें ख़ुश रहना चाहिए क्योंकि खुशी हमारा मूल स्वभाव है, स्रोत है। जैसे पानी का स्वभाव है गीला रहना; उसी तरह सत्य, ईश्वर, सेल्फ, अनुभव (जो हम सब के अंदर है) का स्वभाव है प्रेम, खुशी और आंनद में रहना। एक छोटी सी बात हमेशा याद रहे– “अपने अंदर उठते विचारों को हमेशा तटस्थ भाव से देखना सीखो तो तुम्हारी खुशी कहीं नहीं जाएगी, क्योंकि अक्सर तुम विचारों के उठने पर उनमें डूब जाते हो और दुःखी होते रहते हो।”
2. दुःखद घटनाओं में भी हम ख़ुश रह सकते हैं क्योंकि ‘हम ख़ुद ही ख़ुशी हैं’
जब इंसान अपने जीवन में ज्ञान रूपी ख़ुशी का दीपक जलाता है, तब उसे हीरा ही नहीं पारस भी मिलता है। पारस रूपी ज्ञान पाकर इंसान आगे आने वाले दुखों से भी मुक्त हो सकता है। तुम चाहो तो सभी दुःखद घटनाओं में ख़ुश रह सकते हो क्योंकि “तुम ख़ुद ही ख़ुशी हो”
3. ख़ुश रहने के कारण—ख़ुशी आपको शक्तिशाली मैगनेट बनाती है।
*याद रखें, ख़ुशी आपको चुम्बक (मैगनेट) बनाती है। हर चीज़ (घटना, इंसान, बस्तु, आदि) को ख़ुशी की नज़र से देखना सीखें। *लोगों के लिए मङ्गल भावना रखें। उनके लिए प्रार्थना करें।
4. ख़ुशी को पाने का कोई रास्ता नहीं है, ख़ुशी ख़ुद ही रास्ता है।
*ख़ुशी को पाने का कोई रास्ता नहीं है, ख़ुशी ख़ुद ही रास्ता है। *अकारण ही ख़ुश रहने की कला सीखें। दुःख महसूस करते समय भी अपने जीवन के खुशनुमा पलों को याद करें, अपने मूल-स्वभाव को याद कर हृदय से ख़ुश हो जायें।
5. हमारे दुःख के नौ कारण
1. ख़ुद, ख़ुदा, जुदा— ख़ुद को खुदा (ईश्वर) से जुदा करना।अपने अंदर के ही स्रोत, स्व-अनुभव, स्व-साक्षी, सेल्फ (जिसके होने से ही संसार का निर्माण हुआ है) को भूल जाना। 2. ख़ुशी रोकने का स्विच— नफ़रत, नकारात्मक सोच, आदि। ‘किसी और को सुख मिल रहा है, यह देखकर हम दुःखी हो जाते हैं।’ 3. सीक्रेट इज़ ‘सी-ग्रेट’ — प्रत्येक में हमेशा अच्छाई न देखना। 4. दुःख का दुःख मनाना— अर्थात हमारा अज्ञान युक्त अहंकार ही हमारे दुःख का मूल कारण है। 5. लक्ष्य पर ध्यान हटने से हम दुःखी हो जाते हैं। 6. अज्ञान युक्त कर्म हमें दुःखी बनाते हैं। 7. अकल से ही कल का बीज है, कल की पनाह (कल्पना) में जीना ही हमें दुःख देता है। अतः कल्पना शक्ति का सिर्फ़ उपयोग करें। 8. सुख ही दुःख है– पृथ्वी नगर है, न घर है और न ही मंजिल है। इस नगर के पेट में माया है। इस माया को बाहर निकालो। सुख सुविधाएं मिली हैं, पर इनमें अटकना ही दुःख है। 9. अपना अस्तित्व ईश्वर सेल्फ से अलग मानने से भी हम दुःखी होते रहते हैं।
6. दुःखों से खुशी की खोज़ कैसे करें…?
1. विश्वास का सूरज सदैव चमकता रहे। 2. ‘स्वीकार युक्त अनुमति’ इस मंत्र का उपयोग करें। हर चीज़ को यथास्थिति में स्वीकार करें, कोई प्रतिक्रिया न करें। 3. ख़ुशी के महा अनुवादक बनें। दुःखद विचारों का भी खुशी में अनुवाद करें। 4. ख़ुशी का चश्मा सदैव पहनें। 5. अपने दुःख को उपवास पर डालें और अलमारी में बंद कर दें। 6. इच्छा का बल ध्यान में रहे, अतः हमेशा ख़ुशी की ही इच्छा करें। दुःख में आये बल का शुभेच्छा में इस्तेमाल करें। 7. ध्यान से मन, बुद्धि, आत्मबल जाग्रत करें। 8. जीवन की स्क्रीन पर सदैव खुशी महसूस करें। 9. ख़ुशी के लिए स्वयं को रिपीट आर्डर दें। 10. ख़ुशी का कोई रास्ता नहीं, यह ख़ुद रास्ता है। 11. ख़ुशङ्ग संग, ख़ुश लोगों की संगत करें। 12. शरीर को आप नहीं मिले, सेल्फ (ईश्वर मिला)! 13. ख़ुशी का संकल्प लें। (स्रोत: सर श्री व अन्य)
7. दुःखों से खुशी की खोज़ कैसे करें…?
1. विश्वास का सूरज सदैव चमकता रहे। 2. ‘स्वीकार युक्त अनुमति’ इस मंत्र का उपयोग करें। हर चीज़ को यथास्थिति में स्वीकार करें, कोई प्रतिक्रिया न करें। 3. ख़ुशी के महा अनुवादक बनें। दुःखद विचारों का भी खुशी में अनुवाद करें। 4. ख़ुशी का चश्मा सदैव पहनें। 5. अपने दुःख को उपवास पर डालें और अलमारी में बंद कर दें। 6. इच्छा का बल ध्यान में रहे, अतः हमेशा ख़ुशी की ही इच्छा करें। दुःख में आये बल का शुभेच्छा में इस्तेमाल करें। 7. ध्यान से मन, बुद्धि, आत्मबल जाग्रत करें। 8. जीवन की स्क्रीन पर सदैव खुशी महसूस करें। 9. ख़ुशी के लिए स्वयं को रिपीट आर्डर दें। 10. ख़ुशी का कोई रास्ता नहीं, यह ख़ुद रास्ता है। 11. ख़ुशङ्ग संग, ख़ुश लोगों की संगत करें। 12. शरीर को आप नहीं मिले, सेल्फ (ईश्वर मिला)! 13. ख़ुशी का संकल्प लें।